कलियासोत का कत्ल पार्ट- 9: एक के बाद एक कब्जा किया, सरकारी एजेंसी भी पीछे नहीं

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कलियासोत का कत्ल पार्ट- 9: एक के बाद एक कब्जा किया, सरकारी एजेंसी भी पीछे नहीं

राहुल शर्मा, भोपाल। अब तक आपने देखा कि कलियासोत पर किस तरह अतिक्रमण (Encroachment on Kaliasote) हो रहा है। दरअसल, कलियासोत नदी पर अतिक्रमण का पूरा खेल पूरी प्लानिंग (Planning) के साथ किया गया, ताकि जब कभी निर्माण पर आवाज उठे तो उसे जस्टिफाइड (Justified) किया जा सके। इस खेल में सरकारी एजेंसी (Govt Agency) भी शामिल होती है। इसका हम आपको एक उदाहरण बताते हैं। इससे पहले ये समझना जरूरी है कि पहाड़ काटकर या नदी के मुहाने पर सड़क बनाना या पब्लिक इंट्रेस्ट के लिए निर्माण होना कोई नई बात नहीं है। पर निर्माण से पहले जिम्मेदार एजेंसियां यह देखती है कि इससे पब्लिक इंट्रेस्ट कितना जुड़ा है और यहीं से शुरू होता है अतिक्रमण का खेल।

प्रॉफिट कमाने वाली संस्था JLU की ओर जाने के लिए सड़क

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के याचिकाकर्ता सुभाष पांडे का आरोप है कि कलियासोत डैम से जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी (Jagran Lakecity University) जाने के लिए नदी के ग्रीन बेल्ट पर आधा किमी लंबी सड़क का निर्माण हुआ। प्रॉफिट कमाने वाली इस संस्था तक जाने भर के लिए सड़क बनने का कुछ ने विरोध किया। बाद में यहीं से जोड़ती हुई एक नई सड़क बना दी, जो कोलार पर जाकर मिलती है। इससे अब भविष्य में जब भी जेएलयू जाने वाली उस आधा किमी लंबी सड़क के निर्माण का सवाल उठाए जाएंगे तो उसे जस्टिफाई करने के लिए इन निर्माणों का हवाला दे दिया जाएगा। क्योंकि बाद में बनी सड़क कोलार की एक बहुत बड़ी आबादी को जोड़ती है। जेएलयू निर्माण एजेंसी नहीं तो उस पर सीधे तौर पर उंगली उठने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

नदी पर यह है सरकारी अतिक्रमण

1. निगम के वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट

मंदाकिनी कॉलोनी और बीडीए के घरौंदा प्रोजेक्ट के पास ही ग्रीन बेल्ट पर नगर निगम ने वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगा रखे हैं। जब इस संबंध में निगम के वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट प्रभारी अजय सिंह से बात की तो उन्होंने पहले तो पूरे निगम क्षेत्र के ट्रीटमेंट प्लांट का इंचार्ज होने की बात कही पर जब नदी पर अतिक्रमण कर प्लांट बनाने का सवाल पूछा तो वे पलट गए और उन्होंने कहा कि यहां के प्रभारी कोई और है...आप उनसे बात करें।

2. BDA का घरौंदा प्रोजेक्ट

सलैया के पास भोपाल विकास प्राधिकरण यानि बीडीए का घरौंदा प्रोजेक्ट हैए इसकी एक बिल्डिंग नदी के मुहाने पर बनी है। जब इस संबंध में बीडीए के सीईओ बुद्धेश कुमार वैद्य से बात की तो उन्होंने कहा कि घरौंदा एनजीटी के नार्मस को पूरा करता है, उसके बाद ही इस प्रोजेक्ट पर निर्माण हुआ था। बल्कि हकीकत में यह नदी के ग्रीन बेल्ट पर है। डेम के कुछ गेट खुलने पर ही यहां की भयावह स्थिति यहीं के लोग बताते हैं।

द सूत्र के सवाल

  • यदि सरकारी एजेंसी ही नदी पर अतिक्रमण करेगी तो वह किस अधिकार से दूसरों को ऐसा करने से रोकेगी?

  • क्या सरकारी एजेंसी इस तरह से अतिक्रमण कर दूसरों के कब्जे को जस्टिफाई नहीं कर रही है?
  • एक उदाहरण ऐसा भी: होटल इंस्टीट्यूट ने छोड़ी जमीन

    कलियासोत नदी के ग्रीन बेल्ट एरिए में ही भोपाल के होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की आरक्षित भूमि का बोर्ड लगा है। जब इस संबंध में होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल आनंद के सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि कैबिनेट से 2014 में जमीन मिली थी, लेकिन टाइगर मूवमेंट एरिया होने से उन्होंने इसे छोड़ दिया। अब वहां केवल उनका बोर्ड भर लगा हुआ है। जमीन से उनका कोई लेना देना नहीं है।

    मध्य प्रदेश involved government agency खतरे में भोपाल की इकलौती नदी Encroachment on Kaliasote MP Captured Bhopal कलियासोत पर अतिक्रमण only River The Sootr सरकारी एजेंसी की मिलीभगत one after the other