पंकज स्वामी, Jabalpur. जबलपुर में ब्रिटिश काल की बर्न कोर्ट की जमीन से शनिवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई। इस जमीन पर अवैध रूप से मैरिज हॉल संचालित किया जा रहा था। इसके अलावा यहां अवैध वर्कशॉप, ठेले और टपरे भी थे जिन्हें हटाया गया। इस भूमि को लेकर शासन और समदड़िया ग्रुप के बीच कानूनी विवाद चला, मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने शासन के पक्ष में फैसला सुनाया था। सिविल लाइन में ब्रिटिश काल की 8.86 एकड़ की जमीन की कीमत 1 अरब 72 करोड़ है। इस बेशकीमती जमीन पर टेंट वाले ने कब्जा किया जिसे जिला प्रशासन ने मुक्त कराया। हालांकि बर्न कोर्ट कम्पनी का 130 वर्ष पुराना इतिहास रहा है। ये भी दफन हो गया।
ये है इतिहास
बर्न स्टैंडर्ड कंपनी के जनरल मैनेजर के जबलपुर सिविल लाइंस में बंगला ‘बर्न कोर्ट’ जमींदोज होने के साथ ही जबलपुर में बर्न स्टैंडर्ड कंपनी का 130 वर्ष पुराना इतिहास भी दफन हो गया। हावड़ा में एक इंजीनियरिंग कंपनी की शुरुआत 1871 में एक सेवानिवृत्त कर्नल आर्चीबाल्ड स्विंटन ने की थी। वर्ष 1809 में था जब अलेक्जेंडर बर्न मिस्टर करी के साथ कंपनी के प्रमुख बने तो कंपनी 'बर्न एंड करी' कहलाई। करी 1831 में चले गए और कंपनी 'अलेक्जेंडर बर्न एंड कंपनी' बन गई, जिसे बाद में 'बर्न एंड कंपनी' से अनुबंधित किया गया। 'बर्न एंड कंपनी लिमिटेड' का गठन 1895 में 'बर्न एंड कंपनी' के व्यवसाय को अधिग्रहित करने और जारी रखने के लिए किया गया। बर्न एन्ड कंपनी लिमिटेड वर्ष 1895 में बनी थी। वर्ष 1900 की शुरुआत में इसका हैड ऑफिस 12 मिशन रो कलकत्ता में और एक साइट ऑफिस हावड़ा में था। इस साइट ऑफिस को हावड़ा आयरन वर्क्स के नाम से जाना जाता था। इसके ऑफिस जबलपुर, बंबई, रानीगंज, रंगून, सिंगापुर और स्ट्रेट्स सेटलमेंट में कार्यालय थे। इंग्लैंड में इस कंपनी को बर्न क्रेडॉक एन्ड कंपनी के नाम से जाना जाता था और वहां इसके आफिस लंदन व ग्लासगो में थे।
कलकत्ता के ड्रेनेज सिस्टम में जबलपुर के बने पाइपों का उपयोग-बर्न एन्ड कंपनी की जबलपुर फैक्टरी वर्ष 1892 में स्थापित हुईं। इसके बाद बंगाल में रानीगंज में फैक्ट्री बनी। इन दोनों फैक्ट्रियों में टाइल्स, फायर ब्रिक्स (ईंट), स्टोन वेयर, पाइप्स और रिफ्रेक्टरीज बनती थीं। जबलपुर के बाद कटनी के निवार में भी बर्न स्टेंडर्ड कंपनी की फैक्ट्री स्थापित हुईं। कलकत्ता के पूरे ड्रेनेज सिस्टम में बर्न स्टेंडर्ड फैक्टरी जबलपुर के बने पाइपों का उपयोग किया गया था। बर्न एन्ड कंपनी ने रेलवे के लिए यात्रा और माल वेगन का निर्माण भी किया।
दोनों बिजली दफ्तरों को मिला जेसू नाम
जेसू के रूप में गुणवत्ता और विश्वसनीय बिजली सप्लाई-वर्ष 1946 में 'बर्न एंड कंपनी लिमिटेड' का 'मार्टिन एंड कंपनी' के साथ विलय हो गया और ये 'मार्टिन, बर्न एंड कंपनी' बन गई। मार्टिन बर्न कंपनी की जबलपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई अंडरटेकिंग (जेसू) ने जबलपुर में बिजली सप्लाई का काम शुरू किया। सातवें दशक के मध्य तक जेसू की बिजली सप्लाई की गुणवत्ता और विश्वसनीयता ऐसी थी कि जिसे आज भी लोग याद करते हैं। जबलपुर में गोकुलदास धर्मशाला के पीछे की बिल्डिंग जेसू ईस्ट और मिशन कम्पाउंड का भवन जेसू वेस्ट के नाम से मशहूर रहा। आज भी कुछ लोग दोनों बिजली दफ्तरों को जेसू नाम से ही पुकारते हैं।
बर्न स्टैंडर्ड कंपनी का जबलपुर से गहरा नाता
दुर्गा पूजा, नाट्य मंचन और फुटबाल-बर्न स्टैंडर्ड का जबलपुर से गहरा संबंध रहा। साल 1956 में मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के समय जबलपुर में किसी अति विशिष्ट व्यक्ति की अगवानी में बर्न स्टैंडर्ड कंपनी के जनरल मैनेजर को शामिल किया जाता था। पांचवे दशक में बर्न कंपनी के जनरल मैनेजर मिस्टर मरवाहा जबलपुर में खूब लोकप्रिय रहे। बर्न स्टैंडर्ड की स्थापना के साथ नौकरी के लिए बंगला परिवार जबलपुर आए। इन्हीं परिवारों से जबलपुर में दुर्गा पूजा और नाट्य मंचन की परम्परा शुरू हुई। छठे से नौवें दशक तक यहां आयोजित होने वाली ऑल इंडिया फुटबॉल टूर्नामेंट में कलकत्ता की बर्न स्टैंडर्ड फैक्ट्री की टीम और उसके खिलाड़ी अपने उत्कृष्ट खेल के कारण लोकप्रिय रहे।