CM के गृह जिले में रोक के बाद भी माइनिंग कंपनी नर्मदा में चला रही पोकलेन और JCB

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Rahul Garhwal
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CM के गृह जिले में रोक के बाद भी माइनिंग कंपनी नर्मदा में चला रही पोकलेन और JCB

शिवराज सिंह राजपूत/अरुण तिवारी, Sehore. मध्यप्रदेश सरकार इस समय माफिया के खिलाफ बुलडोजर चला रही है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि हर तरह के माफिया के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन कथनी और करनी में अंतर साफ समझ आता है। रेत माफिया के खिलाफ ये बुलडोजर तो छोड़िए खुद माफिया नर्मदा नदी में बुलडोजर चला रहा है। मां नर्मदा की छाती छलनी की जा रही है। सरकार का आदेश है कि नर्मदा नदी में मशीनों से खनन नहीं हो सकता। मां नर्मदा की गोद में ये मशीनें सीहोर जिले में ही चल रही हैं जो खुद सीएम का गृह जिला है।





रात के अंधेरे में चलती मशीनें





रात के घने अंधेरे में टिमटिमाती रोशनी के बीच पोकलेन मशीन और जेसीबी साफ नजर आती हैं। द सूत्र संवाददाता शिवराज सिंह राजपूत को जानकारी मिली थी कि सीहोर जिले की बुदनी विधानसभा में नर्मदा से रेत का खनन मशीनों से किया जा रहा है, जो नियमों के खिलाफ है। सरकार ने 30 अगस्त 2019 को रेत खनन के नए नियम बनाए थे, जिसका गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसमें निर्बंधन यानि रिस्ट्रिक्शन मतलब क्या नहीं किया जा सकता उसका जिक्र किया गया है। इस कॉलम के छठवें बिंदु में साफ लिखा है कि नर्मदा नदी में मशीनों से खनन नहीं किया जा सकता। सीहोर में नर्मदा से रेत खनन का ठेका। पावर मेक कंपनी को मिला है। कंपनी दिन के उजाले में मशीनों का इस्तेमाल नहीं करती और जैसे ही रात गहराती है, खनन के लिए मशीनों का इस्तेमाल होता है। बकायदा मशीनों से खनन कर उन्हें डंपरों में भरकर ले जाया जाता है। द सूत्र संवाददाता शिवराज सिंह ने पाया कि रात भर रेत से भरे डंपरों की आवाजाही होती है। नर्मदा में रेत का खनन केवल श्रमिकों के जरिए ही करवाया जा सकता है। ताकि रोजगार मिले लेकिन दिन के उजाले में तो कंपनी श्रमिकों का इस्तेमाल करती हैं, मगर रात में मशीनों का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। यहां के स्थानीय लोग भी खुलकर ये बात कहते हैं।





कैमरे पर आने से बचते अधिकारी





कुल मिलाकर हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और। रात भर डंपरों की आवाजाही होती है लेकिन पुलिस को ये नजर नहीं आते और ना ही प्रशासन को। इस मामले में द सूत्र ने जिले के खनिज अधिकारी, एसडीएम और कलेक्टर से संपर्क की कोशिश की लेकिन किसी ने इस मसले पर प्रतिक्रिया नहीं दी। अधिकारियों को व्हाट्सएप मैसेज भी किए लेकिन उनका जवाब नहीं मिला। इससे इस आरोप को बल मिलता है कि कंपनी की काली करतूत में अधिकारियों की मिलीभगत है। इस मामले में जब द सूत्र ने खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह से पूछा तो उनका कहना था कि पोकलेन मशीन से खनन किया जा सकता है इसमें कोई अनुचित बात नहीं है। लेकिन फिर भी कोई शिकायत आएगी तो कार्रवाई की जाएगी।





अवैध खनन में देश में पहले नंबर पर मध्यप्रदेश





सीहोर जिले से रेत देवास, इंदौर तक जाती है। बीच में एक खनिज चौकी भी पड़ती है, लेकिन वहां भी इन डंपरों को रोका नहीं जाता यानि अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आती है। ये मिलीभगत आंकड़ों में भी दिखाई देती है। 2020-21 की केंद्रीय खनन मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि अवैध खनन के मामले में मप्र नंबर वन रहा है। इन तीन सालों में अवैध खनन करने वालों के खिलाफ केवल एक एफआईआर दर्ज हुई, 11 वाहन जब्त किए गए। इस रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की पॉलिसी नजर आती है कि अवैध खनन करने वालों से जुर्माना वसूलो, मगर उन पर कार्रवाई मत करो। इस साल की पहली तिमाही के जो आंकड़े सामने आए हैं, उनके आधार पर सरकार दावा कर रही है कि कार्रवाई की जा रही है।





सिर्फ एक एफआईआर और 11 वाहन जब्त





मध्यप्रदेश सरकार लाख दावे करें कि रेत का अवैध खनन नहीं होने दिया जाएगा लेकिन हो रहा है इसका उल्टा। केंद्रीय खनन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-21 में अवैध खनन के मामले में मप्र अव्वल था। ये रिपोर्ट कहती है कि तीन साल में अवैध खनन के 20 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। लेकिन कार्रवाई के नाम पर एफआईआर की गई सिर्फ एक और 11 वाहन जब्त किए गए। इतना जरूर है कि सरकार ने अवैध खनन करने वालों के खिलाफ 100 करोड़ से ज्यादा जुर्माना वसूल किया। द सूत्र ने खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह से पूछा तो मंत्री ने कहा कि कार्रवाई हो रही और जिनकी आदत चोरी की है वे अपनी आदत से बाज नहीं आते।





खनन माफिया पर लचर कार्रवाई





सूत्र बताते हैं कि मप्र में अवैध रेत खनन के खिलाफ हो रही लचर कार्रवाई को लेकर केंद्र ने नाराजगी जाहिर की इसके बाद प्रदेश सरकार ने खनन माफिया के खिलाफ कार्रवाई को बढ़ाया है। 9 अप्रैल को हुई कलेक्टर कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के दौरान खनन माफिया और अवैध रेत परिवहन को लेकर की गई कार्रवाई के आंकड़े पेश किए गए। जिसमें 1 जनवरी से 31 मार्च 2022 तक सरकार ने कुल 3 हजार 531 मामले दर्ज किए। और 857 लोगों को गिरफ्तार किया। साथ ही 1 लाख 24 हजार 989 घनमीटर रेत जब्त की गई। इसमें 3 हजार 490 चार पहिया वाहन जब्त किए गए तो 28 वाहनों को राजसात किया गया। ये सरकारी आंकड़े हैं। लेकिन सवाल उठता है कि जब कार्रवाई के दावे हो रहे हैं तो फिर सीहोर में जो मशीनों से खनन हो रहा है क्या वो इन आंकड़ों में शामिल नहीं है। 







अवैध उत्खनन के मामले और कार्रवाई







  • साल 2019-20 में 8 हजार 223 मामले दर्ज किए गए।



  • साल 2020-21 में 11 हजार 157 मामले दर्ज किए गए।


  • सितंबर 2021 में 1 हजार 464 मामले दर्ज किए गए।






  • कार्रवाई







    • एक एफआईआर।



  • 11 वाहन जब्त।


  • 8 हजार 290 न्यायिक मामले।


  • 110 करोड़ जुर्माना वसूला।




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