संजय गुप्ता, INDORE. चार साल पहले लोकायुक्त पुलिस (Lokayukt MP) के छापे से चर्चित हुए नगर निगम (Municipal Corporation Indore)) के बेलदार (Labour) असलम खान (Aslam Khan) के मामले में फिर चौंकाने वाले खुलासा सामने आया है। सस्पेंड होने के बाद भी असलम ने 2020 में महंगी अचल संपत्ति (Property) खरीदी है। द सूत्र के पास मौजूद दस्तावेजों से पता चला है कि असलम ने इसके लिए गुपचुप तरीके से अपनी पत्नी के नाम से कोऑपरेटिव बैंक (Co-operative Bank) में खाता खुलवाया। इस खाते में लाखों की नकदी जमा कराई गई है। लेकिन लोकायुक्त पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) तक ये जानकारी पहुंचने के बाद भी असलम की पत्नी का बैंक अकाउंट अटैच नहीं किया गया।
पत्नी के नाम पर गुपचुप कोऑपरेटिव बैंक में खुलवाया खाता, लाखों जमा
लोकायुक्त के छापे के दौरान साल 2012 से 2018 तक असलम की पत्नी राहेला खान के नाम से अलग-अलग बैंक खातों की जानकारी सामने आई थी। इन खातों में लाखों रुपए की नकदी जमा होने के कारण ये सभी जांच के दायरे में आ गए। लेकिन छापे की कार्रवाई पूरी होने के बाद असलम ने पत्नी राहेला के नाम पर ट्रांसपोर्ट कोऑपरेटिव बैंक में अगस्त 2019 में गोपनीय रुप से एक खाता ( नंबर 1001007004542) खुलवाया। उसने कोऑपरेटिव बैंक इसलिए चुना क्योंकि ऐसे बैंकों पर जांच एजेंसियों और आयकर विभाग की ज्यादा नजर नहीं जाती है।
बैंक खाते में हमेशा 40 से 49 हजार रुपए, ही जमा कराए
कोऑपरेटिव बैंक खाते के ऑपरेशन में यह चालाकी बरती गई कि इसमें हमेशा 50 हजार से कम नकद राशि ही जमा कराई गई। ज्यादातर 40 हजार रुपए से 49 हजार रुपए के बीच ही कैश जमा कराया गया ताकि पैन नंबर बताने की जरूरत नहीं पड़े। नियमानुसार किसी भी बैंक खाते में 50 हजार और इससे ज्यादा राशि जमा कराने पर पैन नंबर देना अनिवार्य होता है। बैंक से जुड़े दस्तवेजों से ये बात सामने आई है कि लोकायुक्त के छापे की कार्रवाई के बाद अगस्त 2019 से मार्च 2020 के बीच जब असलम निलंबित था, उस दौरान भी खाते में ढाई लाख रुपए से ज्यादा की रकम जमा कराई गई है।
सस्पेंड होने के बाद खरीदा 76 लाख रुपए का प्लॉट
असलम ने अपने यहां अगस्त-2018 में लोकायुक्त छापे के करीब एक साल बाद दिसंबर 2019 में इंदौर में माणिकबाग रोड स्थित अशोका कॉलोनी में 76 लाख रुपए में 4 हजार 500 वर्गफीट का प्लॉट खरीदा। इस प्लॉट की रजिस्ट्री असलम और उसके भाई के नाम पर कराई गई है। इसके लिए 75 लाख रुपए की रकम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते से अदा किया जाना बताया गया है।
सस्पेंड होने के बाद भी नगर निगम में बना रहा असलम का दखल
सूत्रों के मुताबिक असलम भले ही निलंबित था लेकिन नगर निगम में मकानों का नक्शा पास कराने से लेकर अन्य काम कराने में उसका दखल कभी कम नहीं हुआ। वह अपने भाई इकबाल, इलियास व अन्य रिश्तेदारों के माध्यम से निगम के कई ठेके भी हासिल करता रहा। राहेला खान के एक खाते से 13 लाख रुपए इकबाल को ट्रांसफर किए जाने की जानकारी सामने आई थी, जिससे इनके बीच लेन-देन होने की बात प्रमाणित हुई थी।
छापे से पहले पांच बैंक खातों में लाखों रुपए जमा होने के प्रमाण
जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के अनुसार साल 1998 से 2018 के दौरान निगम में बेलदार (मजदूर) के रूप में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए असलम को वेतन के रूप में कुल 18 लाख रुपए की आय हुई थी। लेकिन छापे में बरामद दस्तावेजों के अनुसार उसकी संपत्ति की कीमत 1 करोड़ 35 लाख रुपए आंकी गई थी। इसके अलावा असलम और उसकी पत्नी रेहाला के पांच अलग-अलग बैंक खातों में करोड़ों की नकदी जमा होने के भी प्रमाण मिले थे।
- बैंक खाता- असलम खान- 913010024263568- इसमें जनवरी 2012 से 2015 बीच करीब छह लाख नकद जमा हुए।
अधिमान्य पत्रकार का कार्ड नकली निकला
जनसंपर्क के उपसंचालक डॉ. आरआर पटेल ने तुकोगंज थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी कि बेलदार असलम के घर छापे में अधिमान्य पत्रकार का कार्ड मिला है। विभाग के रिकॉर्ड में कार्ड पत्रकार कैलाश यादव के नाम पर है। असलम ने क्लोनिंग के माध्यम से फर्जी कार्ड बना लिया था। पुलिस ने असलम को बचाने की कोशिश की और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में दर्ज प्रकरण में ही जोड़ने के लिए लोकायुक्त को पत्र लिख दिया।