SATNA. शिवराज सरकार मेडिकल की पढ़ाई भले ही हिंदी भाषा में करने की तैयारी कर रही है लेकिन पिछले आठ सालों में जितने भी प्राइवेट प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल खुले हैं, सभी की मान्यता इंग्लिश मीडियम के लिए है। सतना में स्कूल खुलने का औसत गांव और शहर में लगभग बराबर है। सतना जिले में बीते आठ साल में हर साल औसतन 30 प्राइवेट स्कूल खुले हैं। इन सभी स्कूलों ने हिंदी मीडियम की जगह अंग्रेजी को चुना है।
प्राइवेट स्कूलों की नवीन मान्यता के आंकड़े अनुसार साल 2015 से लेकर साल 2022 तक में औसतन 30 स्कूलों (हर साल) को मान्यता दी गई। जो इस प्रकार है-
- साल 2015 में 31 स्कूल
अंग्रेजी मीडियम के नए स्कूल गांव-शहर में बराबर
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के रिकोर्ड में यह तो दर्ज नहीं किया जाता कि स्कूल गांव का है या शहर का लेकिन उनके दिए गए पतों के अनुसार कहा जा सकता है कि मान्यता लेने के मामले में नगर और गांव का औसत 50-50 प्रतिशत है। जिला शिक्षा अधिकारी नीरव दीक्षित ने कहा कि विद्यालय की मान्यता लेने के लिए विकल्प है। संचालन समिति स्वेच्छा से भाषा का विकल्प चुन सकती है।
शिक्षाविद क्या कहते हैं
शिक्षाविदों का मानना है कि अभिव्यक्ति के लिए अपनी ही भाषा का उपयोग हो और ज्ञान के लिए दूसरी भाषा भी सीखनी चाहिए। शिक्षाविद् डॉ. हर्षवर्धन श्रीवास्तव कहते हैं कि विचारों को व्यक्त करना जितना आसान हिंदी भाषा में है, अन्य भाषा में उतना नहीं है। लेकिन अन्य भाषा सीखने में हर्ज नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां तक बात प्राइवेट स्कूलों की मान्यता और अंग्रेजी भाषा की है, तो शिक्षा के अधिकार के बाद से निजी स्कूल खोलने और आंग्रेजी भाषा में पढ़ाने की होड़ सी मच गई हैं।