पानी को लेकर रोज होती लड़ाई, दूसरे गांव से पानी लाने को मजबूर आदमपुर की महिलाएं

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Shivasheesh Tiwari
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पानी को लेकर रोज होती लड़ाई, दूसरे गांव से पानी लाने को मजबूर आदमपुर की महिलाएं

राहुल शर्मा, Bhopal. द सूत्र ने आपको बताया कि आदमपुर (Adampur) खंती में वेस्ट मैनेजमेंट (Waste Management) करने वाली कंपनी मेसर्स ग्रीन रिसोर्स (mesars Green Resource) किस तरह से खंती से कचरा (Garbage) निकालकर नदी और नालों के आसपास फेंक रही है। टेड़िया नाले के पास कचरा फेंकने से सेहतगंज (Sehatganj) के लोगों के स्वास्थ से खिलवाड़ हो रहा है। अब हम आपको बता रहे हैं कि आदमपुर खंती में डंप हो रहे कचरे ने कैसे एक गांव को दो घूंट पानी के लिए मोहताज कर दिया है। दरअसल आदमपुर खंती पडरिया काछी और कोलुआ खुर्द के बीच बनी है। आदमपुर खंती का गेट नंबर 3 कोलुआ खुर्द से करीब 650 मीटर और खंती का गेट नंबर 1 पडरिया काछी से करीब 750 मीटर दूर है। वैसे तो इस खंती में इकट्ठा हो रहे कचरे से दोनों गांव का पानी दूषित हो रहा है, लेकिन स्थिति ज्यादा खराब पडरिया काछी गांव की है। यहां पानी इतना दूषित (Dusit) है कि बर्तन और घरों के उपर रखी पानी की टंकियों में पीले रंग की एक परत चढ़ गई है। पडरिया गांव के लोग इस पानी का उपयोग पीने के लिए तो छोड़िए नहाने या हाथ धोने तक के लिए नहीं कर पा रहे हैं। स्थानीय निवासी लीला बाई कहती हैं कि यदि इस पानी से नहा लें तो हाथ पैर में खुजली चलने लगती है। रामप्यारी कुशवाह ने बताया कि गांव के लोग प्यासे मर रहे हैं। नगर निगम ने 3 टंकियां रखवाई पर उतना पानी गांव के लिए पर्याप्त नहीं है। गांव की ही एक अन्य महिला ने बताया कि वे पुराने गांव से और 1-1 किमी दूर से पीने का पानी लेकर आ रहे हैं। लीलाबाई ने बताया कि खंती ने यहां गांव के लोगों को जिंदा मार डाला। जिसने भी खंती के लिए यह जगह बताई वह रोज उनको कोसती है। आसपास की खेती पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। 



टंकी रखवाकर निगम ने खुद स्वीकार कर लिया कि उन्होंने जहरीला कर दिया पानी



पडरिया गांव नगर निगम (Municipal Corporation) की सीमा से बाहर है। ऐसे में इस गांव में निगम द्वारा 3 टंकी रखवाना और हर रोज टेंकर से उसमें पानी भरवाना खुद इस बात का सबूत है कि निगम भी मानता है कि उनके कारण पडरिया गांव का पानी जहरीला हो गया। हालांकि ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि गांव में करीब 500 परिवार निवास कर रहे हैं, उनके बीच सिर्फ 3 पानी की टंकियों से पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है। टंकियों से पानी भरने को लेकर आए दिन झगड़े हो रहे हैं। जब इस विषय में नगर निगम क​मिश्नर वीएस चौधरी से बात की तो उन्होंने कहा कि गर्मी को देखते हुए पानी की मांग बढ़ी है, इसलिए हम पानी की सप्लाई को वहां बढ़ा रहे हैं, वीएस चौधरी ने कहा कि कचरा जमीन पर न गिरे इसके लिए हम प्लेटफार्म तैयार करवा रहे हैं ताकि प्लेटफार्म पर ही उसकी प्रोसेसिंग हो सके। जमीन पर कचरा नहीं आएगा तो जलस्तर प्रदूषित नहीं होगा। 



2019 में लगी आग भी जलस्तर के प्रदूषित होने का एक कारण



आदमपुर खंती के आसपास जलस्तर प्रदूषित होने का एक बड़ा कारण यहां 2019 में लगी आग को भी माना जाता है। खंती चालू होने से पहले यहां गड्ढे कर प्लास्टिक की लेयर चढ़ाई गई थी, ताकि कचरा सीधा जमीन के संपर्क में न आए और इससे भूजल प्रदूषित न हो। अप्रैल 2019 में यहां के कचरे में आग लग गई जो नीचे 20 से 30 फीट तक चली गई। आग कचरे के बड़े बड़े ढेर के नीचे थी इसलिए ये जून में हुई बारिश के बाद ही बुझ सकी। जानकार बताते हैं कि यहां 5 मई 2019 को आग भड़क गई। जिससे गड्ढों में जो प्लास्टिक की लेयर थी वह जल गई। इससे कचरा सीधे जमीन के संपर्क में आ गया और भूजल प्रदूषित होने लगा। हरिपुरा की ओर 5 हजार पौधे रोपे गए। इनमें से अधिकांश पौधों को रोपने के लिए जो गड्ढे खोदे गए उनमें पहले कचरा भरा गया, इससे भी भूजल प्रदूषित हुआ। 



पीसीबी की इस रिपोर्ट से समझिए कितना जहरीला कर दिया पानी



म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी पीसीबी ने 10 दिसंबर 2021 को आदमपुर खंती और उसके आसपास के इलाकों से पानी के सेंपल लिए, जिसकी जांच रिपोर्ट 2 दिन बाद यानी 13 दिसंबर 2021 को आई। इस रिपोर्ट के अनुसार खंती के गेट नंबर—1 के पास यानी कोलुआ गांव के पास बोरवेल से पानी का सेंपल लिया। जिसमें पीएच की मात्रा 6.5—8.5 की जगह 5.6 मिली। यानी इस पानी को पीने से ऐसिडिटी जैसी अन्य पेट रोग संबंधी बीमारी होने का खतरा है। वहीं गांव पडरिया के काशाराम के ट्यूबवेल और छावनी पठार नाका के हैंडपंप से लिए गए पानी में आयरन की मात्रा क्रमश: 9.16 और 0.63 मिली ग्राम प्रति लीटर मिली जो तय मानक 0.3 से कहीं ज्यादा है। पानी में आयरन की मात्रा अधिक होने से इसे पीने पर बच्चों को ब्लू बेबी सिंड्राम नामक बीमारी होने का खतरा रहता है। वहीं छावनी पठार नाका के हैंडपंप से जो पानी का सेंपल लिया था उसमें टोटल हार्डनेस वेल्यू 300 की जगह 438 और डिजोल्वड सॉलिड मात्रा 500 की जगह 518 मिली है। यानी पानी में इनकी मात्रा अधिक होने से यदि आप पानी पियेंगे तो कैंसर जनक बीमारी हो सकती है।



अब समझिए...हर दिन खंती में आ रहे कचरे का हो क्या रहा है



राजधानी भोपाल से करीब 1 हजार टन हर रोज आदमपुर खंती पहुंच रहा है। खंती 44 एकड़ में फैली है। यहां हर रोज 600 से 700 टन कचरे की प्रोसेसिंग होती है। इसमें से 150 से 200 टन कचरा हर रोज वेस्ट टू एनर्जी प्लांट जबलपुर, एसीसी और जेके सीमेंट प्लांट सहित अन्य कंपनियों में कोप्रोसेसिंग के लिए भेजा जाता है। वहीं 200 टन कचरे से हर रोज जैविक खाद बन रही है। यानी हर रोज 300 से 400 टन कचरा यहां इकट्ठा हो रहा है। यानी हर महीने 9 हजार से 12 हजार टन और हर साल 1 लाख से 1.44 लाख टन कचरा ऐसा हैं जिसकी प्रोसेसिंग नहीं हो रही है। उपर से 1 लाख 97 हजार टन कचरा भानपुर खंती का यहां पड़ा हुआ है, वह अलग। खंती को चालू हुए 3 साल से अधिक समय हो गया है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदमपुर खंती में स्थिति कितनी भयावह है।



आदमपुर खंती में अभी क्या हैं व्यवस्थाएं-




  • आदमपुर खंती में सूखे और गीले कचरे की प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित की गई है।


  • सूखे कचरे से प्रारंभिक स्तर पर रेगपिकर्स द्वारा प्लास्टिक एवं रीसाइकिलेबल मैटेरियल अलग किया जाता है। इसके बाद मैकेनिकल ट्रॉमल स्क्रीनिंग मशीनों द्वारा विभिन्न साइजों के कचरे को अलग कर आरडीएफ अलग किया जाता है। जिसे ईपीआर कंपनियों को प्रोसेसिंग के लिए दिया जाता है। इसकी क्षमता लगभग 150 से 200 टन प्रतिदिन है।

  • गीले कचरे के प्रोसेसिंग के लिए 200 टन प्रतिदिन क्षमता का जैविक खाद संयंत्र भी स्थापित किया गया है। इससे जैविक खाद बन रही है।

  • सूखे कचरे और गीले कचरे के प्रोसेसिंग के बाद शेष बचे इनर्ट अनुपयोगी मटेरियल के निपटान के लिए खंती पर एक साइंटिफिक सेनेटरी लैंडफिल साइट विकसित की गई है। इस लैंडफिल साइट से उत्पन्न होने वाले लीचैट के लिए ईटीपी 50 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन क्षमता का संयंत्र स्थापित किया गया है। 



  • क्या थे दावे जो नहीं हुए पूरे



    आदमपुर खंती में सीएनजी प्लांट अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इससे कचरे से बायो सीएनजी गैस बनना है। ग्रीन रिसोर्स कर्मचारी माखनलाल के मुताबिक अभी इसके लिए काम चल रहा है। नगर निगम के अपर आयुक्त एमपी सिंह ने बताया कि बायो सीएनजी प्लांट शुरू होने में करीब एक साल और लगेगा। वहीं खंती में कचरे से रस्सी बनने के भी दावे किए गए थे। एक ओर ग्रीन रिसोर्स के कर्मचारी का कहना है कि पहले रस्सी बनती थी पर अब इसका काम बंद है, वहीं निगम के अधिकारी की माने तो यहां रस्सी बनने जैसा कोई प्रोजेक्ट ही नहीं था। 



    हाईपावर जांच कमेटी ने कहा था- निगम के खिलाफ हो कार्रवाई



    पर्यावरणविद् सुभाष पांडे ने 8 दिसंबर 2021 को प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग अनिरुद्ध मुखर्जी को साइंटिफिक लैंडफिल साइट (कचरा खंती) आदमपुर छावनी में अवैध और अनधिकृत रूप से कचरे का निष्पादन को लेकर शिकायत की। जिसके बाद एक हाईपावर जांच समिति गठित की। तीन सदस्यीय इस कमेटी में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संचालक (पर्यावरण) हेमंत शर्मा, मुख्य रसायनिज्ञ आलोक सक्सेना और क्षेत्रीय अधिकारी बृजेश शर्मा को शामिल थे। इस समिति ने बिना पीसीबी की अनुमति के साइट चलने को लेकर नगर निगम के विरूद्ध कार्रवाई करने को कहा था। कमेटी ने यह भी माना कि कचरे की प्रोसेसिंग के लिए मशीनों की क्षमता बढ़ाया जाना आवश्यक है, साथ ही खंती के आसपास बनी बाउंड्रीवॉल की उंचाई भी बढ़ाई जाए ताकि कचरा खंती के बाहर न आ सके। सघन पौधरोपण भी किया जाए।

     


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