नासिर बेलिम रंगरेज, UJJAIN. मध्यप्रदेश (MP) के उच्च शिक्षा मंत्री (Higher Education Minister) मोहन यादव (Mohan Yadav) के गृह जिले उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी( Vikram University) में पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम-2022 (PhD Entrance Exam) में बड़े फर्जीवाड़े का सामना सामने आया है। इस धांधली में यूनिवर्सिटी के के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के दो अतिथि शिक्षकों (Guest Faculty) को परीक्षा की ओएमआर शीट (OMR Sheet) में कांटछांट कर नंबर बढ़ाए गए हैं ताकि वे पीएचडी करने के लिए पात्रता हासिल कर लें। जबकि हकीकत में वे एग्जाम में मिनिमम क्वालिफाइंग मार्क्स (45) भी हासिल नहीं कर पाए। ये पूरा मामला सामने आने के बाद वाइस चांसलर अखिलेश पांडेय (Vice Chancellor) ने परीक्षा की सभी आंसरशीट की पुलिस से जांच कराने की घोषणा की है।
मार्च में हुआ था पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम
दरअसल, चार महीने पहले यानी मार्च 2022 को शहर के विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा हुई थी। जानाकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय में पहली बार इंजीनियरिंग सब्जेक्ट में भी पीएचडी की शुरुआत की गई, जबकि विवि के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संस्थान (एसओईटी) में एक भी नियमित शिक्षक नहीं है। यह पूरा का पूरा विभाग ही गेस्ट फैकल्टी के भरोसे संचालित हो रहा है।
गेस्ट फेकल्टी ने प्रवेश के लिए किया आवेदन
इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में शोध निदेशक नहीं होने के बावजूद भी यहां शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज से एमओयू कर पीएचडी की सीटें निकाल दी गईं। वहीं प्रवेश परीक्षा में एसओईटी में ही काम करने वाले कई अतिथि शिक्षकों ने ही प्रवेश के लिए फॉर्म जमा कर दिए। इसके बाद ज्यादातर गेस्ट फैकल्टी पास भी हो गए। वहीं जो पास नहीं हो पाए उनकी आंसरशीट में कांट-छांट कर नंबर बढ़ाने का काम विवि में बैठे जिम्मेदारों ने कर दिया।
ओएमआर शीट में 18 नंबर को काटकर कर दिए 45
दरअसल, इस प्रवेश परीक्षा में पास होने के लिए 100 में से कम से कम 45 अंक ही चाहिए थे। बताया जा रहा है कि एक अतिथि शिक्षक रीतेश नागर की आंसरशीट में मूल्यांकनकर्ता ने पहले 18 नंबर दिए थे। सही उत्तर की संख्या के कॉलम में पहले 18 और गलत उत्तर के कॉलम में 82 लिखा हुआ था। लेकिन सांठगांठ और हेरफेर कर आंसरशीट में 18 को काटकर 45 अंक कर दिया गया। ओएमआर शीट पर काले गोल घेरे करते हुए 27 अंक बढ़ा दिए। वहीं एक अन्य महिला अतिथि शिक्षक नेहा सिंह को भी पहले आंसरशीट में 26 अंक दिए गए थे, लेकिन इसमें भी फर्जीवाड़ा करते हुए 26 से बढ़ाकर 45 कर दिया गया।
इन पर लगे धांधली के आरोप
युवा कांग्रेस के शिकायती पत्र में पीएचडी चयन परीक्षा समिति के सदस्य डॉ. प्रमोद कुमार वर्मा, गणपत अहिरवार, वाईएस ठाकुर पर सीधे आरोप लगाते हुए इंजीनियरिंग विषय की आंसरशीट में की गई हेरफेर के सबूत भी दिए गए हैं। आरोप है कि अपने चहेतों को लाभ देने के लिए अंसर शीट में कांट-छांट कर पात्र करने के लिए अंक बढ़ाए गए है। इसके कारण पात्र छात्र-छात्राओं के साथ धोखाधड़ी हुई है।
पीएचडी एंट्रेस एग्जाम के लिए ये हैं नियम
पीएचडी चयन परीक्षा के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि, हर प्रश्न के उत्तर के लिए केवल एक ही गोले को गाढ़ा किया जाए। एक से ज्यादा गोले को गाढ़ा करने पर या एक वृत को अपूर्ण करने पर वह उत्तर गलत माना जाएगा। परीक्षा के बाद आंसर शीट चेक करने के दौरान सारे नियम ताक पर रखकर जांच की गई। यहां तक की एक से ज्यादा गोलों को गाढ़ा करने पर भी उत्तर सही करके अंक दिए गए हैं। खास बात यह है कि समिति के सदस्यों का चयन कुलपति ने ही किया था। शिकायत के साथ परीक्षा पूर्व जारी हुई समिति की अधिसूचना और आरएसी (रिचर्ज एडवाइजरी कमेटी) के सदस्यों द्वारा की गई अनुशंसा आदेश की फोटो कॉपी भी दी गई है।
युवा कांग्रेस ने भी की शिकायत
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव बबलू खींची ने कुलपति सहित शोध समिति के सदस्यों पर परीक्षा में धांधली के आरोप लगाए। इसके साथ ही पुलिस को शिकायत के साथ हेरफेर किए गए कागजों की फोटो कॉपी भी उपलब्ध कराई है। शिकायत में युवा कांग्रेस कहा है कि, कुलपति और शोध समिति के सदस्यो ने अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए, अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग किया है। म.प्र. विश्वविद्यालय अधिनियम, अध्यादेशों एवं एआईसीटीई एवं यूजीसी के विनिमयों का घोर उल्लंघन करने के साथ-साथ, आन्सर-शीट मे काँट-छाँट/छेड़-छाड़ कर, फ़ेल को पास करने के अनैतिक एवं अवैध कृत्य, धांधली एवं फर्जीवाड़ा करके होनहार ओर भोले-भाले छात्रों के साथ धोखाधड़ी की है। साथ ही घोर भ्रष्टाचार एवं अनियमितता की है। खिंची ने शिकायत की प्रति राज्यपाल, मुख्यमंत्री, यूजीसी, डीजीपी को भेज कर फर्जीवाड़ा करने वालों पर सक्षम धाराओं में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। शिकायत में कहा है कि इन अपराधियों के विरूद्ध अगर तत्काल एफआईआर कर हिरासत मे नहीं लिया तो, ये सबूतों के साथ भी छेड़-छाड़ कर सबूत नष्ट कर सकते है। इसकी समस्त जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन एवं जिम्मेदार अधिकारियों की होगी।
वीसी ने किया मामले की पुलिस से जांच का ऐलान
इस पूरे मामले में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश पांडेय का कहना है कि यह शिकायत मिली है, जिसके बाद हम पूरा रिजल्ट जब्त कर रहे हैं, और इसको पुलिस को भी हैंडओवर करके उनसे भी जांच कराएंगे। इसके साथ ही कुलपति ने यह भी कबूल किया कि कुछ विवि के ही लोग है जो लगातार इस तरह का काम करके विवि की साख को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे लोगों पर भी कार्यवाही करने की बात कही है।