संजय गुप्ता, INDORE. जीएसटी में कागजों पर चलने वाली फर्जी (डमी) कंपनियों द्वारा बोगस बिल जारी करने, गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने जैसी धोखाधड़ी रोकने के लिए जीएसटी काउंसिल ने मध्यप्रदेश शासन के अहम सुझाव को मंजूर कर लिया है। कंपनियां वास्तव में किसी स्थान पर संचालित भी हो रही हैं या नहीं, इसकी जानकारी के लिए अब रजिस्ट्रेशन में लगने वाले दस्तावेजों की जांच एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) प्रक्रिया से की जाएगी।
आधार, MPEB या निगम के सर्वर से क्रॉस चेक होंगे दस्तावेज
कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड, बिजली बिल, संपत्ति कर या जो भी दस्तावेज संबंधित द्वारा लगाए जाएंगे, इनके कोड नंबर का क्रॉस चेक आधार के डेटा बेस सर्वर, एमपीईबी के सर्वर या निगम के सर्वर से किया जाएगा। इसके लिए इन सभी विभागों के डेटा सर्वर को जीएसटी के सर्वर से जोड़ा जाएगा। जैसे कि किसी कंपनी ने रजिस्ट्रेशन के लिए बिजली बिल लगाया तो इसमें डला हुआ कोड एमपीईबी के सर्वर से क्रॉस चेक होगा कि वास्तव में जिसने ये बिल लगाया वो व्यक्ति सही है या नहीं।
सामने आएगी कंपनियों की वास्तविक जानकारी
हाल ही में मध्यप्रदेश और गुजरात में पकड़े गए फर्जी कंपनियों के गठजोड़ में भी ये बात सामने आई कि माफिया ने दूसरों के आधार कार्ड, पैन नंबर आदि की फोटो कॉपी कराकर कंपनियों का पंजीयन करा लिया और सामने वालों को पता ही नहीं चला। मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा और विभाग के आयुक्त लोकेश कुमार जाटव द्वारा मध्यप्रदेश में पहले से ही इस पर काम चल रहा है। जिससे कि मध्यप्रदेश के सभी विभागों के डेटा, जीएसटी विभाग से लिंक हो जाएं और कंपनियों की वास्तविक जानकारी सामने आ सके। अब रिवेन्यू बढ़ाने और टैक्स चोरी रोकने के लिए मध्यप्रदेश की ओर से ये प्रस्ताव चंडीगढ़ में चल रही जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी दिया गया जो मंजूर कर लिया गया। हालांकि सभी विभागों के सर्वर को लिंक करने में अभी कुछ महीने का समय लगेगा।