ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन का फर्जीवाड़ा, किसानों को लालच देकर कराया पंजीयन

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Aashish Vishwakarma
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ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन का फर्जीवाड़ा, किसानों को लालच देकर कराया पंजीयन

भोपाल (राहुल शर्मा). असंठित क्षेत्र के श्रमिकों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए शुरू किए गए ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़ा सामने आया है। मध्य प्रदेश में हर दिन हजारों की संख्या में रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं। टॉप पर एग्रीकल्चर यानी कृषि कैटेगरी है। सच्चाई का पता लगाने द सूत्र ने पूरे मामले की पड़ताल शुरू की तो पता चला कि महज 10 दिनों के अंदर 6 लाख 5 हजार लोगों ने कृषि कैटेगरी में रजिस्ट्रेशन करवा दिया। यह चमत्कार हुआ कैसे...? जब इसकी जानकारी जुटाना शुरू की तो जो सच्चाई पता चली, वह बेहद चौंकाने वाली थी। वैसे तो पोर्टल पर 20 से ज्यादा कैटेगरी में कई सब कैटेगरी हैं, जिससे यह पता चल जाता है कि पंजीयन के लिए कौन पात्र है और कौन अपात्र। इसके बावजूद ग्रामीण स्तर पर घर-घर जाकर किसानों का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है, चाहे वह पात्र हो या अपात्र। इसके लिए गांव में शिविर लगाए जा रहे हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गांव में घर-घर जाकर लोगों को पंजीयन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। किसान भी बढ़-चढ़कर इसमें अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ई-श्रम पोर्टल पर ऐसे किसानों के भी रजिस्ट्रेशन कराए गए हैं, जिनके पास 30 से 40 एकड़ तक की खेती है। ई-श्रम पोर्टल में स्पष्ट किया हुआ है कि केवल कृषि श्रमिक या भूमिहीन किसान ही ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए पात्र हैं। खुद की जमीन वाले किसान इस योजना के दायरे में नहीं आते।



पैसों का दे रहे लालच: पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन बढ़ाने के लिए खातों में पैसे डालने का लालच दिया जा रहा है। हरदा जिले के किसान रामकिशोर ने कहा कि दो महीने पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर ई-श्रम कार्ड बनवाया था। उससे हर महीने खाते में 1000 रुपए आने की बात बोली गई थी, पर अब तक खाते में एक रुपया भी नहीं आया। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन फ्री होता है, लेकिन रजिस्ट्रेशन की एवज में रामकिशोर से 60 रु. लिए गए। रामकिशोर ने बताया कि गांव में कैंप लगा था, जिसकी जानकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर पर देने आई थी।



शिक्षित युवाओं को भी नहीं मिला लाभ: रामकिशोर की तरह बैतूल के देवेंद्र सुन्हारे ने भी ई-श्रम पर रजिस्ट्रेशन कराया था, पर उन्हें अब तक इसका कोई फायदा नहीं मिला। वहीं, प्रोफेशनल कैटेगरी में अपना रजिस्ट्रेशन कराने वाले छिंदवाड़ा के शैलेष पवार कहते हैं कि उन्होंने लीगल एडवाइजर के साथ दी गई अदर कैटेगरी में पंजीयन कराया, पर अब तक रोजगार संबंधी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह शैलेष के अन्य दोस्तों ने भी अलग-अलग कैटेगरी में रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन अब तक तो कोई नतीजा नहीं निकला।  



10 दिन में 9 लाख रजिस्ट्रेशन: ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के मामले में मध्य प्रदेश, देश में चौथे स्थान पर है। पहले पर उत्तर प्रदेश, दूसरे पर बिहार और तीसरे पायदान पर पश्चिम बंगाल है। मध्य प्रदेश में अब तक 1 करोड़ 37 लाख 30 हजार 303 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। वहीं 7 फरवरी 2022 तक 1 करोड़ 28 लाख 30 हजार 109 रजिस्ट्रेषन थे। साफ है कि 10 दिन में मध्य प्रदेश में 9 लाख रजिस्ट्रेशन हुए। इसमें सबसे ज्यादा 6 लाख 5 हजार रजिस्ट्रेशन एग्रीकल्चर यानी कृषि कैटेगरी में ही हुए।



किस कैटेगरी में कितने रजिस्ट्रेशन: मध्य प्रदेश में कृषि में 79 लाख 88 हजार 846, निर्माण में 11 लाख 89 हजार 114, घरेलू कामकाज में 7 लाख 24 हजार 692, कपड़े में 6लाख 87 हजार 917, कई अन्य तरह के काम में 5 लाख 03 हजार 735, शिक्षा में 1 लाख 72 हजार 961, हेल्थकेयर में 97 हजार 572, ब्यूटी एंड वेलनेस में 97 हजार 062, ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन में 91 हजार 671 और प्रोफेशनल कैटेगरी में 42 हजार 787 रजिस्ट्रेशन हुए हैं। 



फर्जी रजिस्ट्रेशन से किसे फायदा: जानकार इसके पीछे दो कारण बताते हैं। पहला- पोर्टल लॉन्च होते ही सरकार ने 38 करोड़ कामगारों के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा। राज्यों को रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोत्साहित करने को कहा। अपनी सक्रियता दिखाने के लिए राज्यों ने वास्तविक की जगह फर्जी रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए। दूसरा- भले अभी ई-श्रमिक कार्डधारी लोगों को आर्थिक लाभ नहीं मिला हो, लेकिन जैसा ही इसका लाभ मिलना शुरू होगा, इसका राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।



क्यों बनाया गया ई-श्रम पोर्टल: कोरोना महामारी की पहली लहर में मजदूरों के पलायन की भयावह तस्वीरें पूरे देश ने देखीं। भूखे-प्यासे पैदल जाते और मरते मजदूरों के आंकड़ों ने सरकार की नीतियों और व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए। तब पहली बार असंगठित कामगार मजदूरों का एक डेटाबेस तैयार करने की ज महसूस की गई। इसकी के चलते 26 अगस्त 2021 को ई-श्रम पोर्टल को लॉन्च किया। सरकार की ओर से दावा किया गया कि इससे असंगठित क्षेत्र के करीब 38 करोड़ कामगारों को फायदा होगा। इसके माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराने वाले कामगार को एक ई-श्रम कार्ड जारी किया जाता है, जिसकी मदद से रजिस्टर्ड कामगार देश में कहीं भी, कभी भी विभिन्न सामाजिक सुरक्षा और रोजगार संबंधी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। इस डेटाबेस को तैयार करने का मूल उद्देश्य यही था कि आंकड़ों के आधार पर कामगारों के उत्थान की योजना बनाई जा सके।  



रजिस्ट्रेशन के पात्र कौन: ई-श्रम कार्ड केवल असंठित क्षेत्र के कामगारों के लिए है। कोई भी कामगार जो गृह-आधारित कामगार, सेल्फ एंप्लॉइड कामगार या असंगठित क्षेत्र में कार्यरत वेतनभोगी कामगार हैं, इसमें शामिल हैं। असंगठित क्षेत्र के कामगारों में निर्माण मजदूरों के अलावा प्रवासी श्रमिक, रेहड़ी-पटरी वाले और घरेलू कामगार आदि भी शामिल हैं। असंगठित क्षेत्र में ऐसे प्रतिष्ठान/इकाइयां शामिल हैं, जो वस्तुओं/सेवाओं के उत्पादन/बिक्री में लगी हुई हैं और 10 से कम कामगारों को नियोजित करती हैं। कृषि श्रमिक और भूमिहीन किसान ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए पात्र हैं। दूसरे किसान पात्र नहीं है।



ये सुविधाएं मिलती हैं: ई-श्रम योजना के तहत श्रमिकों को 2 लाख तक का दुर्घटना बीमा भी दिया जाता है। ई-श्रम कार्ड स्कीम के जरिए सरकार लाभार्थियों को पेंशन, इलाज में आर्थिक सहायता, गर्भवती महिलाओं को बच्चों के भरण-पोषण के लिए राशि, मकान बनवाने के लिए आर्थिक मदद के साथ-साथ रोजगार से जुड़ी योजनाओं का लाभ देगी। इस स्कीम के जरिए केंद्र और राज्य सरकार की स्कीम का लाभ सीधा लाभार्थियों के खाते में पहुंचाया जाएगा। पोर्टल पर रजिस्टर्ड श्रमिक यदि दुर्घटना का शिकार होता है तो मृत्यु या फिर पूर्ण विकलांगता की स्थिति में 2 लाख की धनराशि दी जाएगी। अगर श्रमिक आंशिक रूप से विकलांग होता है तो इस बीमा योजना के तहत वह 1 लाख रु. का हकदार होगा।



यह शर्मनाक है: राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के प्रदेशाध्यक्ष हेमंत टाले ने कहा कि यह हमारे लिए शर्मनाक है कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के मामले में मध्य प्रदेश चौथे स्थान पर है। 1 करोड़ 28 लाख रजिस्ट्रेशन यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में बेरोजगारी है, जिनके पास मूलभूत सुविधा तक नहीं है और उन्हें सरकारी मदद की आस है।


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