मुरैना में बर्बाद हुए बाजरे के गट्ठर और चूहा मार दवा लेकर किसानों का प्रदर्शन, बोले- मुआवजा नहीं मिला तो जहर खा लेंगे

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Dev Shrimali
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मुरैना में बर्बाद हुए बाजरे के गट्ठर और चूहा मार दवा लेकर किसानों का प्रदर्शन, बोले- मुआवजा नहीं मिला तो जहर खा लेंगे

श्याम मोहन दंडोतिया, MORENA. जिले में चार दिन से हो रही बरसात ने पूरी फसल  ख़राब कर दी है। दुखी ,चिंतित और नाराज किसानों  ने जोरदार प्रदर्शन  किया। वे अपने साथ उजड़ चुके बाजरे की बालें ,करब के गट्ठे भी लेकर आये। उनका कहना था कि आगामी पिछले तीन-चार दिनों से धुंआधार बारिश मुसीबत बन गयी है बारिश की वजह से खेतों में कटी रखी एवं पकी फसल को बेहद ज्यादा नुकसान पहुंचा है सरसों की बोवनी पर भी संकट पैदा हो गया है। जिससे इस वर्ष सरसों की बोवनी नहीं हो पा रही है । वे रोते हुए बोले की साहब हम चूहे मार जहर साथ में लेकर आए है या तो सरकार मुआवजा दे नहीं तो हम जहर खाने को मजबूर है। 



सरसों की बोवनी भी पिछड़ी 



 कृषि चक्र के अनुसार  15 अक्टूबर तक का समय सरसों की बोवनी सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता  है लेकिन इस वर्ष भारी बरसात के कारण खेतों में पानी भरा हुआ है जिससे बोवनी नहीं हो सकती है जिससे किसानों के लिये संकट बढ़ गया है उधर बाजरा, सोयाबीन, उडद, धान, मूंग, तिली, ज्वार आदि फसलों में बेहद नुकसान हुआ है किसानों की फसल जल-मग्न हो रही है किसानों ने बेजोड मेहनत करकर जो फसल उगाई थी। वह पूरी तरह नष्ट हो चुकी है किसान के पास खेती के अलावा जीवन-यापन करने के लिये और कोई साधन नहीं, इसलिए किसान आत्म-हत्या करने के लिये मजबूर है किसान के पास खेती के अलावा अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिये कोई और रास्ता नहीं है।



इस वर्ष कहाँ-कितना गिरा पानी 



 किसानों की 10 हजार हेक्टर बाजार की फसल कटी पड़ी है अभी 8 अक्टूबर को 52 मिमी, 9 अक्टूबर को 48 मिमी, 10 अक्टूबर को 62 मिमी एवं 11 अक्टूबर को 55 मिमी बारिश होने का अनुमान है कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भारी वर्षा हाने के कारण खेत पूरी तरह पानी से भर जायेंगे। ऐसे में किसान कटी हुयी फसल को ना ही उठा सकता है और ना ही सरसों या अन्य किसी फसल की बोवनी कर सकता है।



खाद की किल्लत भी बड़ी समस्या 



 किसानों को समय पर सोसायटी पर खाद्य उपलब्ध नहीं करा पा रही है। किसान सुबह 3 बजे से लाइन में लगा रहता है और फिर भी कूपन नहीं मिल पाता जो किसान बगैर कूपन के रह जाता है उसे लोटकर घर जाना पड़ता है और सोसायटी द्वारा किसानों को तीन कट्टे निर्धारित किए है। जोकि गलत है किसानों को जमीन की जरूरत के हिसाब से जितना खाद् मिलना चाहिए  जिस किसान पर जितनी जमीन है उसे उतनी मात्रा में खाद मिले और प्रतिदिन कूपन एवं खाद वितरण होना चाहिए और बाजार में प्राइवेट दुकानों पर खाद स्टाॅक कर सोसायटी से उपर दाम बढ़ाकर बेचा जा रहा है उन पर कार्यवाही की जावे व उन पर जुर्माना भी किया जाये। 



किसान कांग्रेस के नेतृत्व में किया आंदोलन 



 इस आंदोलन का नेतृत्व किसान कांग्रेस में किया। किसान कांग्रेस ने मांग की है कि मुरैना शहर में भारी वर्षा होने के कारण शहर वासियों के कई मकान ढह गये, पानी के बोरिंग पम्प खराब हो गये उनको उचित मुआवजा दिया जावे एवं किसानों को समय-समय पर खाद-बीज उपलब्ध कराये जावे। नहीं तो किसान कांग्रेस उग्र आंदोलन करेगी जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। 



 इन नेताओं ने आंदोलन का नेतृत्व 



इस आंदोलन में  शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपक शर्मा, विधायक रविंद्र सिंह तोमर भिडौसा, मुरैना सभापति राधारमण दंडोतिया, किसान कांग्रेस अध्यक्ष जितेन्द्र डंगस, प्रदेश सचिव मदन शर्मा, प्रदेश सचिव जसवीर गुर्जर, महिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष संजू शर्मा, महिला कांग्रेस शहर अध्यक्ष नजमा बेगम, ब्लॉक अध्यक्ष दक्षिण अब्दुल रज्जाक पटेल, अनु.जाति शहर अध्यक्ष विनोद जोनवार, एन.एस.यू.आई अध्यक्ष गौरव बाथम, शहर जिला महामंत्री विनोद शर्मा, शहर जिला महामंत्री गजेन्द्र सिंधी, रामप्रकाश गुर्जर,प्रमोद शर्मा हुसैनपुर, हरेन्द्र शर्मा, कुलदीप छावई ,जिला उपाध्यक्ष रघुराज गुर्जर,प्रेम कुमार बंसल,सौरव सोलंकी, गौरव चतुर्वेदी,रिंकू पचौरी, सुभाष माहोर,वकील जाटव ,दीपक सोलंकी, धर्मेन्द्र गुर्जर,संतोष सिकरवार,संदीप बैंसला,हीरा कुशवाह,अब्दुल रहमान,गोपाल,रामू टुंडेलकर, होतम परमार, किशन पंडित, झिंगुरिया रजक,आइके  पठान,रामू शर्मा ,नरेश यादव,राजा गुर्जर,पवन यादव,अमन दंडोतिया, सरफुद्दीन खान,रामू शर्मा मोटा,भूरा भैया,आकाश रावत,दुर्गेश रोजे,और कई सैकड़ों किसान एवं कार्यकर्ता शामिल रहे। 


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