Jabalpur. किडनी में संक्रमण होने से मौत की कगार पर पहुंचे एक बेटे को उसके पिता ने अपनी किडनी देकर अपने बेटे का जीवन बचाया। एक बेटे को उसके पिता ने किडनी दे दी तो उसका जीवन बीच गया लेकिन ऐसे कितने ही मरीज हैं जिनको किडनी नहीं मिल पाती या वे अंग नहीं मिल पाते जो जीवित अवस्था या ब्रेन डेड केस या मृत्य उपरांत दान किए जा सकते हैं,और इस कमी से मरीज की मौत हो जाती है। आज विश्व में हर 39 मिनट में व्यक्ति का जीवन अंग की खराबी से खत्म हो रहा है।
इन अंगों को दान किया जा सकता है
व्यक्ति अपने जीवनकाल में किडनी, लिवर, आंत को दान कर सकता है। यदि किसी दुर्घटना में व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है, और उसके जीवित रहने की संभावना नहीं रहती तो इस स्थिति में उसके परिजन की स्वीकृति से किडनी,हार्ट, कॉर्निया दान किया जा सकता है।
मेडिकल में किडनी प्रत्यारोपण
मेडिकल अस्पताल परिसर में बने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण किया जा रहा है। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ नीरज जैन का कहना है कि आयुष्मान योजना से यहां किडनी प्रत्यारोपण निशुल्क हो रहा है।
कॉर्निया प्रत्यारोपण
किसी व्यक्ति के मृत्य उपरांत उसके परिजन की अनुमति से मृतक का कॉर्निया निकाला जाता है जिसका प्रत्यारोपण किया जाता है। मेडिकल अस्पताल के नेत्ररोग विभाग के अध्यक्ष डॉ नवनीत सक्सेना का कहना है कि नेत्रदान के प्रति लोग जागरूक हुए हैं। मेडिकल अस्पताल में पिछले पांच साल में 46 लोगों को नेत्र प्रत्यारोपित किए हैं। नेत्रदान के इच्छुक लोग जीवनकाल में फार्म भर सकते हैं कि मृत्य के उपरांत वे नेत्रदान कर दिए जाएं। जिससे किसी जरूरतमंद को आंखो में रोशनी मिल सके।
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट पर अंगदान के इच्छुक लोग रजिस्ट्रेशन करा सकते है। इनको रजिस्टर्ड अस्पताल से डोनर कार्ड जारी किया जाता है।