MP: कोविड के चलते पैरेंट्स की जेब खाली, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की लूट जारी

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Rahul Garhwal
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MP: कोविड के चलते पैरेंट्स की जेब खाली, लेकिन प्राइवेट स्कूलों की लूट जारी

राहुल शर्मा, Bhopal. कोविड काल में आपने एक वाक्य जोर शोर से सुना होगा। आपदा को अवसर में बदलना है। देश के प्रधानमंत्री हो, प्रदेश के मुख्यमंत्री हो या फिर और कई पदों पर बैठे नेता या ब्यूरोक्रेट्स हर कोई कहता नजर आया कि आपदा को अवसर में बदलना है। ये बात पॉजिटिव संदर्भ में कही गई थी लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने कोविड काल की आपदा को अवसर में बदला। लाखों रुपए के वारे न्यारे किए। पैरेंट्स पर आर्थिक बोझ डाला।



कोविड काल में फीस वसूली का आरोप



दरअसल प्राइवेट स्कूलों पर कोविड काल में जमकर फीस वसूली का आरोप है जबकि हाईकोर्ट के आदेश थे कि प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई और फीस न वसूल करें। लेकिन इस आदेश का भी जमकर मखौल उड़ाया गया। फीस बढ़ोतरी को लेकर सरकार का कानून है, लेकिन इसका भी पालन नहीं किया गया। द सूत्र ये सारी बातें पालक महासंघ के सर्वे के आधार पर कह रहा है। जिसने कोविड के दो सालों में ये पता किया कि किस तरह से प्राइवेट स्कूलों ने मनमानी की है। पालक महासंघ का तो आरोप है कि उन्हें प्राइवेट स्कूलों ने लूटा है।



4 नवंबर 2020, हाईकोर्ट का आदेश



जब तक कोरोना काल खत्म नहीं हो जाता तब तक स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं वसूल सकते, साथ ही ट्यूशन फीस भी कोरोना काल से पहले यानी 2019—20 के शैक्षणिक सत्र की ही मानी जाएगी।



प्राइवेट स्कूलों ने किया आदेश का उल्लंघन



हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए कोविड काल यानि शैक्षणिक सत्र 2020-21 और 2021-22 में प्राइवेट स्कूलों ने ट्यूशन फीस के अलावा भी जमकर फीस वसूली है। पालक महासंघ ने जो सर्वे किया है उसका नतीजा चौंकाने वाला है। प्राइवेट स्कूलों ने 103 फीसदी से ज्यादा की राशि वसूल की है।



47 स्कूलों में पालक महासंघ का सर्वे



पालक महासंघ ने राजधानी भोपाल के 47 स्कूलों में ये सर्वे किया है। सर्वे के लिए एमपी एजुकेशन पोर्टल और स्कूलों के पोर्टल पर दर्ज फीस को लिया गया। साथ ही इस सर्वे में पालक महासंघ के पास आने वाली शिकायतों के साथ जो स्कूल फीस की रसीद भेजी गई थी, उसका डाटा भी इकट्ठा किया गया। पालक महासंघ का दावा है कि सर्वे 95 फीसदी तक सटीक है। यानि पालक महासंघ का दावा है कि पूरा ठोंक बजाकर ये सर्वे किया गया है। मकसद केवल यही बताना है कि न तो सरकार के कानून का प्राइवेट स्कूल पालन कर रहे हैं और न ही हाईकोर्ट के आदेश को प्राइवेट स्कूलों ने माना।



पालक महासंघ के सर्वे के नतीजे



हर मीडिया संस्थान के शैक्षणिक संस्थानों से विज्ञापन के रूप में अपने आर्थिक हित जुड़े रहते हैं, इसलिए हो सकता है कि वे इस सर्वे को आप तक न पहुंचाए, लेकिन द सूत्र अपनी नैतिक जिम्मेदारी का पालन करते हुए आप तक ये सर्वे पहुंचा रहा है। पालक महासंघ का सटीक सर्वे का दावा है। इसके बावजूद द सूत्र इसकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं करता। जो सर्वे हुआ उसके नतीजे हम अपने दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं। इस सर्वे में इस बात का भी जिक्र है कि कौन से स्कूल ने सबसे ज्यादा फीस वसूली और कौन से स्कूलों ने फीस नहीं वसूली। पालक महासंघ का सर्वे कहता है कि प्राइवेट स्कूलों ने 65 फीसदी की फीस बढ़ोतरी की है। इसमें से भी कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने 90 से लेकर 103 फीसदी तक बढ़ोतरी की है।



कोविड काल में अतिरिक्त फीस वसूलने वाले टॉप-5 स्कूल



पहला नंबर : सागर पब्लिक स्कूल, साकेत नगर

क्लास : 12वीं कॉमर्स 

2019-20 में ट्यूशन फीस : 41 हजार 160 रुपए



2020-21 में ट्यूशन फीस ली : 57 हजार 360 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए 8 हजार 270 रुपए



कुल फीस ली : 65 हजार 630 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 59 फीसदी ज्यादा



2021-22 में ट्यूशन फीस वसूली गई  : 68 हजार 880 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा वसूल किए गए : 14 हजार 390 रुपए



यानि कुल 83 हजार 810 रुपए वसूल किए गए



2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 103 फीसदी ज्यादा है



दूसरा नंबर : सिल्वर बेल कॉन्वेंट स्कूल



क्लास : 12वीं कॉमर्स



2019-20 में ट्यूशन फीस : 16 हजार रुपए



2021-22 में ट्यूशन फीस : 27 हजार रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए 4 हजार रुपए



कुल 31 हजार रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 93.75 फीसदी ज्यादा



2020-21 में ट्यूशन फीस : 16 हजार रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए : 4800 रुपए



कुल 20 हजार 800 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 30 फीसदी अधिक



तीसरा नंबर : सागर पब्लिक स्कूल रोहित नगर



क्लास : 12वीं कॉमर्स



2019-20 में ट्यूशन फीस : 48 हजार 720 रुपए



2021-22 में ट्यूशन फीस : 79 हजार 440 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए : 14 हजार 560 रुपए



कुल 94 हजार रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 92.94 फीसदी ज्यादा



2020-21 में ट्यूशन फीस : 64 हजार 560 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए : 8 हजार 160 रुपए



कुल 72 हजार 720 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 49.26 फीसदी ज्यादा



चौथा नंबर : सागर पब्लिक स्कूल एयरपोर्ट रोड



क्लास : 12वीं कॉमर्स



2019-20 में ट्यूशन फीस : 40 हजार 920 रुपए



2021-22 में ट्यूशन फीस : 64 हजार 920 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए : 13 हजार 360 रुपए



कुल 78 हजार 280 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 91.30 फीसदी ज्यादा



2020-21 में ट्यूशन फीस : 55 हजार 500 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए : 6 हजार 830 रुपए



कुल 62 हजार 330 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 52.32 फीसदी ज्यादा



पांचवां नंबर : जवाहरलाल नेहरू स्कूल भेल



क्लास : 12वीं कॉमर्स



2019-20 में ट्यूशन फीस : 21 हजार 660 रुपए



2021-22 में ट्यूशन फीस : 22 हजार 528 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा लिए : 15 हजार 193 रुपए



कुल 37 हजार 721 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 74.15 फीसदी ज्यादा



2020-21 में ट्यूशन फीस : 25 हजार 90 रुपए



ट्यूशन फीस के अलावा और कितने पैसे लिए उसकी जानकारी नहीं



कुल 25 हजार 90 रुपए



यानि 2019-20 की ट्यूशन फीस के मुकाबले 15.84 फीसदी ज्यादा



प्राइवेट स्कूलों ने 65 फीसदी फीस बढ़ाई



सर्वे के आधार पर इन टॉप-5 स्कूलों ने फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी की। लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने कोरोना काल में पेरेंट्स से फीस वसूलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जबकि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017, मध्यप्रदेश में 2020 से लागू है। जिसके मुताबिक प्राइवेट स्कूल हर साल सिर्फ 10 फीसदी ही फीस बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। इससे ज्यादा फीस बढ़ोतरी के लिए इस कानून के तहत गठित जिला कमेटियों को आवेदन करना होगा। कमेटी 3 साल की ऑडिट रिपोर्ट और बाकी दस्तावेजों के आधार पर ही फीस बढ़ाने की अनुमति देगी। लेकिन स्कूलों ने इस एक्ट का भी जमकर मखौल उड़ाया, बगैर अनुमति के ही 65 फीसदी फीस बढ़ोतरी कर दी। जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का साफ कहना है कि पिछले तीन सालों में कलेक्टर के पास फीस बढ़ोतरी का कोई आवेदन नहीं आया।



सर्वे में ऐसे स्कूल भी जिन्होंने एक्ट का किया उल्लंघन



अयोध्या बायपास के बोनी फाई स्कूल की 2019-20 में 12वीं कॉमर्स की ट्यूशन फीस 27 हजार 990 रुपए सालाना थी। जिसे 2020-21 में 60 फीसदी बढ़ाकर 44 हजार 865 रुपए कर दिया गया। साकेत नगर के सागर पब्लिक स्कूल की 2019-20 में सालाना ट्यूशन फीस 41 हजार 160 रूपए थी। जिसे 2020-21 में 39 फीसदी बढ़ाकर 57 हजार 360 और 2021-22 में 20 फीसदी बढ़ाकर 68 हजार 880 कर दिया गया। सिल्वर बेल कॉन्वेंट स्कूल की 2020-21 में सालाना ट्यूशन फीस 16 हजार रुपए थी। जिसे 2021-22 में 68 फीसदी बढ़ाकर 27 हजार कर दिया गया। जवाहरलाल नेहरू भेल स्कूल की 12वीं कॉमर्स की सालाना ट्यूशन फीस 2019-20 में 21 हजार 660 रुपए थी। जिसे 2020-21 में 16 प्रतिशत बढ़ाकर 25 हजार 90 रुपए कर दिया गया।



आज तक नहीं हुआ जिला कमेटियों का गठन



पालक महासंघ का तो सीधा आरोप है कि कानून तो लागू कर दिया है लेकिन कानून के तहत जो जिला कमेटियां बननी थी वो तो आज तक गठित नहीं हुई। कानून का पालन करवाने में सामने आ रही इस खामी का फायदा प्राइवेट स्कूल उठा रहे हैं और पैरेंट्स लूटे जा रहे हैं।



शिकायत सही होने पर फीस वापसी का प्रावधान



मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 की धारा-9 की उपधारा-1 और 7 ये भी कहती है कि यदि कोई पैरेंट्स फीस बढ़ोतरी को लेकर शिकायत करता है और वो शिकायत सही पाई जाती है तो स्कूल को बढ़ी हुई फीस स्टूडेंट को वापस करना होगी। जिला समिति उस स्कूल पर 2 से 6 लाख तक का जुर्माना भी लगा सकती है। लेकिन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया।



सर्वे के नतीजों को नकार रहा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन



अब प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन तो सिरे से इनकार कर रहा है लेकिन सर्वे के नतीजे साफ-साफ कह रहे हैं कि फीस बढ़ाई गई है। दूसरी तरफ मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस विनियम अधिनियम 2017 की धारा-9 की उपधारा-2 में डीईओ को भी ये अधिकार है कि वो ऐसे मामलों का स्वत संज्ञान ले सकते हैं।



स्कूलों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई ?



पालक महासंघ के सर्वे के नतीजे से साफ है कि स्कूलों ने फीस में बढ़ोतरी की है। कानून, जिला शिक्षा अधिकारी को स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार भी देता है। द सूत्र का सीधा सवाल है कि डीईओ साहब क्या स्वत: संज्ञान लेकर इन स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे, क्योंकि इन स्कूलों ने आपदा को अवसर में बदलने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। ये ऐसी आपदा थी जिसमें किसी की नौकरी चली गई, कोई बेघर हो गया; किसी के अपनों ने साथ छोड़ दिया। मगर स्कूलों को इससे फर्क नहीं पड़ा। प्राइवेट स्कूल ना केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश में संगठित गिरोह के रूप में काम करते हैं और इनके इस तरह से पनपने के पीछे जिम्मेदार है तो सरकारें, जिन्होंने शिक्षा को कभी भी प्राथमिकता में नहीं रखा।


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