BHOPAL, हरीश दिवेकर. मास्टर प्लान 2031 आने के बाद राजधानी के लो डेनसिटी में बने आईएएस-आईपीएस अफसरों के करोड़ों के अवैध बंगले वैध हो जाएंगे। इन बंगलों को अवैध इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वर्तमान मास्टर प्लान के अनुसार लो डेनसिटी एरिया में मात्र 0.06 एफएआर यानि फ्लोर एरिया रेशो ही मान्य है, जबकि अफसरों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए तय एफएआर से ज्यादा निर्माण करवा लिया है जोकि अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है।
हेरिटेज बिल्डिंग्स का मामला अधर में
ऐसे में अफसरों को नए मास्टर प्लान के आने का इंतजार है। अफसरों ने नए प्लान में लो डेनसिटी एरिया का एफएआर 0.75 प्रस्तावित किया है। नए प्लान के लागू होते ही अफसरों के बंगलों में हुए अवैध निर्माण स्वत: वैध हो जाएंगे। नया प्लान लागू होने पर आम लोगों को लगभग दोगुना फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर- प्लॉट का एरिया व कुल बिल्टअप एरिया का अनुपात) मिलने और सड़क की चौड़ाई के हिसाब से लैंडयूज का चयन करने की छूट मिलना है, पर यह अटकी हुई है। साथ ही पुराने शहर की हेरिटेज बिल्डिंग्स का डेवलपमेंट भी अटक गया है। मास्टर प्लान में इन बिल्डिंग के डेवलपमेंट के लिए अधिग्रहित किए जाने वाले मकानों व जमीन पर हेरिटेज एफएआर का प्रावधान किया है।
तीन एरिया लो डेनसिटी में
भोपाल मास्टर प्लान के अनुसार तीन एरिया लो डेनसिटी में आते हैं, पुलिस लाइन के पीछे फायरिंग रेंज वाला एरिया, लॉ एकेडमी के पीछे सूरज नगर वाला एरिया और साक्षी ढाबे के सामने वाला एरिया लो डेनसिटी में आता है। मजेदार बात ये है कि तीनों ही एरिया में सीनियर आईएएस-आईपीएस अफसरों ने कई एकड़ जमीन खरीदने के साथ करोड़ों रुपए के आलीशान बंगले तान रखे हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने हाल ही में मीडिया से दावा किया है कि एक माह में नया मास्टर प्लान लागू कर दिया जाएगा। हालांकि इसके पहले भी तीन बार भूपेन्द्र सिंह प्लान लाने का दावा कर चुके हैं, लेकिन मास्टर प्लान का फाइनल ड्राफ्ट उन्हीं के विभाग में डेढ़ साल से दबा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि जब तक मुख्यमंत्री खुद नहीं बोलेंगे तब तक प्लान का फाइनल ड्राफ्ट हिलेगा तक नहीं।
ऐसे वैध हो जाएंगे अफसरों के बंगले
प्लान में दिए गए एफएआर के अनुसार ही भवन निर्माण किया जा सकता है। लो डेनसिटी वाले एरिया की ही बात करें तो वर्तमान में यहां 0.06 एफएआर है यानि 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर मात्र 600 वर्गफीट का ही निर्माण किया जा सकता है। इसमें सर्वेंट क्वार्टर और कार गैरेज का अलग से निर्माण करने की अनुमति मिलती है। लेकिन प्रदेश के सीनियर आईएएएस-आईपीएस अफसरों ने लो डेनसिटी एरिया में 10 हजार वर्गमीट के प्लाट पर 5 हजार वर्गफीट से ज्यादा अवैध निर्माण करवा लिया है। ऐसे में उनके करोड़ों के बंगले अवैध की श्रेणी में आ गए हैं। नया प्लान आता है तो इसमें प्रस्तावित एफएआर 0.75 मिल जाएगा। इससे वे 10 हजार वर्गफीट के प्लॉट पर 7500 वर्गफीट का निर्माण करने कर सकेंगे। ऐसे में इन अफसरों के सारे अवैध निर्माण वैध हो जाएंगे।
18 साल से अटका है प्लान
भोपाल मास्टर प्लान 18 साल से अटका है। साधारण बोल चाल की भाषा में बोलें तो प्लान पर शनि की दशा लगी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले तीन कार्यकाल और वर्तमान के ढाई साल में कई बार भोपाल का मास्टर प्लान लाने का प्रयास किया, लेकिन इसे ला नहीं सके। इसके अलावा बीच में 15 महीने की कांग्रेस सरकार ने भी प्लान लाने का ताबड़तोड़ प्रयास किया, लेकिन प्लान आता उससे पहले ही सरकार गिर गई। आपको बता दें कि भोपाल का मास्टर प्लान 1995 में आया था। इसकी अवधि 31 दिसंबर 2005 को समाप्त हो चुकी है, लेकिन नया प्लान नहीं आने के कारण भोपाल में 2005 के प्लान के अनुसार ही डेवलपमेंट हो रहा है।
2008 में पहली बार लाया गया
मास्टर प्लान 2031 को लाने के लिए पहली बार कवायद 2008 में हुई थी, प्लान आता उससे पहले ही 2008 के विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई, इस कारण प्लान पहली बार अटका। इसके बाद से अब तक तकरीबन आधा दर्जन बार प्लान का ड्राफ्ट बना और आपत्ति सुझाव के लिए प्रकाशित भी हुआ, लेकिन सरकार इसका फाइनल ड्राफ्ट जारी नहीं कर सकी। आखिरी बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 5 मार्च 2020 को नए मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी किया था।
जनवरी 2021 से धूल खा रहा
1731 आपत्तियां आई थी, सरकार ने इसकी सुनवाई कर इसका फाइनल ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया। सरकार इसे जारी कर पाती उससे पहले ही कांग्रेस की सरकार चली गई। जनवरी 2021 से ये ड्राफ्ट नगरीय प्रशासन विभाग में टेबल पर धूल खा रहा है। सरकार न तो इसे निरस्त कर रही और न ही इसे लागू कर रही है। लेकिन सरकार बदलने और फिर कोरोना के चलते दावे-आपत्ति में देरी हुई। जुलाई में नए सिरे से अधिसूचना जारी की गई।
दो करोड़ खर्च कर बना ग्रीन एंड ब्लू मास्टर प्लान भी फाइलों में कैद
स्मार्ट सिटी कंपनी ने 2018 में दो करोड़ रुपए खर्च करके शहर का ग्रीन एंड ब्लू मास्टर प्लान तैयार किया था। भोपाल देश का पहला ऐसा शहर था जिसने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में यह प्लान बनाया, लेकिन यह भी फाइलों में कैद रह गया। प्लान के तहत शहर में 10 फीसदी ग्रीन बिल्डिंग, 153.02 किमी के ग्रीन कॉरिडोर और तालाबों व नालों के किनारे ग्रीन बेल्ट डेवलप करने जैसे कई टारगेट फिक्स किए गए थे।