Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार से फाइनल हियरिंग शुरू हो गई है। पहले चरण में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अपना पक्ष रख रहे हैं। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ के समक्ष आज आगे की बहस को गति दी जाएगी। दरअसल राज्य सरकार ने 2019 में ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। जिसके समर्थन और विरोध में याचिकाएं दायर हुई थीं, जो लंबे समय से विचाराधीन हैं।
अशिता दुबे और अन्य करीब 30 याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं ओबीसी आरक्षण को बढ़ाए जाने के खिलाफ और फैसले को अवैधानिक करार देने पर बल देने वाली हैं। इन याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने अंतिम स्तर की बहस शुरू की। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा 2003 में मयंक जैन विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन मामले का हवाला दिया और कहा कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश राजारत्नम की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने कुल आरक्षण 50 फीसद से ज्यादा रखे जाने के रवैए को अनुचित करार दिया था। उन्होंने अपने आदेश में साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी मराठा आरक्षण से जुड़े जयश्री वर्सिस महाराष्ट्र स्टेट के मामले में भी स्पष्ट किया है कि जनसंख्या के आधार पर आरक्षण नहीं बढ़ाया जा सकता।
आदित्य संघी ने बताया कि सुको ने कुल आरक्षण 50 फीसद को लक्ष्मण रेखा माना है। संघी ने 1948 में बाबा भीमराव अंबेडकर के लोकसभा में दिए भाषण का भी जिक्र किया। जिसमें अंबेडकर ने कहा था कि पिछड़े वर्ग को आरक्षण बढ़ाने के बजाय अन्य तरीकों से सहायता देनी चाहिए। दलील दी गई कि यदि ओबीसी को प्रदेश में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है तो कुल आरक्षण प्रतिशत सीमा-रेखा के पार हो जाएगा।
22 याचिकाओं की सुनवाई की जाएगी
हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण के समर्थन में दायर करीब 22 याचिकाओं की सुनवाई की जाएगी। इसके बाद राज्य शासन की तरफ से अंतिम बहस प्रस्तुत की जाएगी। सुनवाई के दौरान असस्टिेंट सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज नई दिल्ली से बहस के लिए वर्चुअल जुड़े। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, ओबीसी के लिए नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह उपस्थित हुए।