भोपाल. आज यानी 9 मार्च मध्यप्रदेश विधानसभा बजट सेशन का तीसरा दिन है। वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने 2022-23 का बजट पेश किया। बजट भाषण के दौरान कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के बीच ही देवड़ा ने अपना भाषण पूरा किया। 1 घंटा 26 मिनट लंबे इस बजट भाषण में देवड़ा ने कई घोषणाएं की है। प्रदेश का कुल बजट 2 लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपए का है। 55 हजार 111 करोड़ का राजकोषीय घाटा। बजट में देवड़ा ने 13 हजार नए शिक्षकों की भर्ती का ऐलान किया है। वित्तमंत्री ने बताया कि किसानों को 1 लाख 72 हजार करोड़ रुपए की सहयोग राशि दी गई है।
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- मध्यप्रदेश के साढ़े सात लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी घोषणा की है। सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 20 फीसदी से बढ़ाकर 31 फीसदी किया जाएगा।
मध्यप्रदेश सरकार का यह बजट जनता की भावनाओं के अनुरूप होगा, जनहित का बजट होगा। इस बजट में सभी वर्गों का विशेष रूप से ख्याल रखा जाएगा: वित्त मंत्री श्री @JagdishDevdaBJP #MPBudget2022#AatmaNirbharMPkaBudget pic.twitter.com/3mCQepsXpI
— Jansampark MP (@JansamparkMP) March 9, 2022
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दी बधाई: मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना पूरा योगदान दे रहा है। राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 19.74 फीसदी पहुंच गई है। देश में आज अर्थव्यवस्था की दृष्टि से हम प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को बधाई देता हूं। मध्य प्रदेश आज सकल घरेलू उत्पाद 11 लाख 79 हजार 4 करोड़ हो गया है। बजट में सभी क्षेत्र का ध्यान रखा है। अधोसंरचना पर मध्य प्रदेश 50% बजट खर्च करेगा।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: सरकार ने 8 मार्च को आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में प्रदेश के आर्थिक हालातों की जानकारी पेश की गई। रिपोर्ट में बताया कि प्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी बढ़ोत्तरी हुई है। सकल घरेलू उत्पाद में 19. 24 फीसदी और स्थिर भाव पर 10.12 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में एक लाख 64 हजार 677 करोड़ रुपए की आय अनुमानित है, जो पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है। सरकार को खनिजों से इस बार 36 प्रतिशत अधिक राजस्व मिला है। साथ ही बताया गया कि एक साल के अंदर 6 लाख बेरोजगार बड़े हैं। 2020 में बेरोजगारों की संख्या 24.72 लाख थी। ये 2021 में बढ़कर 30.23 लाख हो गई। यानी 6 लाख नए बेरोजगार हो गए हैं। MSME में रोजगार के अवसर बढ़े।
MP में चाइल्ड बजट की पहल: चाइल्ड बजट की व्यवस्था देश के कई राज्यों में पहले से है। ऐसे में एमपी अब ये पहल करने जा रहा है। दरअसल इस समय करीब 2 दर्जन विभाग बच्चों के कल्याण के लिए योजनाएं चला रहे हैं। लेकिन इन विभागों का फोकस योजनाओं की राशि को खर्च करने में ज्यादा होता है। इस पर नहीं होता कि इसका लाभ हितग्राहियों को मिल सके। पहली कैटेगरी ऐसे विभाग की योजनाएं है, जिसमें 100 फीसदी खर्च बच्चों पर होता है। दूसरी कैटेगरी में वो योजनाएं जिसमें कम से कम 30 फीसदी बच्चों पर खर्च होता है। जिन योजनाओं में बच्चों पर 30 फीसदी से कम खर्च हो रहा है वो चाइल्ड बजट में नहीं होगी। अधिकारियों के मुताबिक चाइल्ड बजट को आउटकम बेस्ड बजटिंग के तौर पर लाया जा रहा है। जिससे इसके बेहतर नतीजे मिलेंगे। महिला एवं बाल विकास के डायरेक्टर रामराव भोंसले ने बताया कि हम आउटकम बेस्ड बजट पर बात कर रहे हैं। हम पहले आउटकम तय कर लें कि यदि बच्चों पर राशि खर्च कर रहे हैं तो उसका आउटकम कितना आ रहा है। जैसे कुपोषण पर काम कर रहे हैं तो कितने बच्चे सुपोषित हो रहे हैं, इस पर बात की जाएगी।