संजय गुप्ता/योगेश राठौर, INDORE. सरकारी दफ्तर और उनके अधिकारी, एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोलने में कतई पीछे नहीं रहते हैं, भले ही मामला आमजन की जिंदगी का ही क्यों ना हो। जबलपुर अस्पताल के अग्निकांड में 8 लोगों की जान जाने के बाद भी इंदौर के 40 अस्पतालों की फायर एनओसी को लेकर नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग एक-दूसरे पर जिमेदारी ढोल रहे हैं।
नगर निगम ने अस्पतालों को NOC देने से किया इनकार
नगर निगम ने आवासीय भूखंड पर बने इन अस्पतालों को लेकर सीएमएचओ को पत्र लिखकर एनओसी देने से ये कहते हुए साफ इनकार कर दिया कि ये भवन मंजूरी के खिलाफ भूखंड का उपयोग हो रहा और साथ ही इन पर वैधानिक कार्रवाई करने के लिए कहा। मूल बात तो ये है कि जब आवासीय भूखंड पर अस्पताल खुले हैं तो गलत निर्माण पर तो पहले निगम को ही कार्रवाई करना चाहिए और फिर स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो उन्हें इन अस्पतालों की फायर एनओसी नहीं होने के चलते पंजीयन रद्द करना चाहिए, लेकिन दोनों ही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं।
क्या कह रहे हैं निगम अधिकारी
एडिशनल कमिश्नर व फायर एनओसी प्रभारी संदीप सोनी ने बताया कि 40 से ज्यादा अस्पतालों के फायर एनओसी आवेदन निरस्त किए गए हैं, इनकी भवन मंजूरी अस्पताल की नहीं होकर आवासीय थी। ऐसे में फायर एनओसी नहीं दे सकते हैं। इस आधार पर ही आवेदन निरस्त किए थे और सीएमएचओ को इसके लिए सूचित कर दिया था।
सीएमएचओ बोले जमीन कैसी, किसका बना ये देखना हमारा काम नहीं
सीएमएचओ बीएस सैत्या इस बारे में कहते हैं कि अस्पताल कहां पर हैं, जमीन निजी या कुछ और है ये सब तो नगर निगम का काम है। हम जमीन के बारे मे कुछ नहीं कर सकते हैं, क्योंकि वो हमारे क्षेत्र से बाहर है। हमारा काम सिर्फ रजिस्ट्रेशन करना, जमीन किसकी है और कहां पर बना है ये निगम को देखना है। अब अस्पताल तो होते ही शहर के बीच में हैं।
आवासीय भूखंड पर बने 40 अस्पताल
- सुयोग अस्पताल