भोपाल. दिवाली की तैयारियों के साथ हर साल पटाखों पर बहस शुरू हो जाती है। कहीं पटाखों पर बैन की खबरें तो कहीं उन्हें इजाजत देने की बाद या फिर पर्यावरणविदों का ग्रीन दिवाली का संदेश। मध्य प्रदेश में पटाखों के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई। ग्वालियर और सिंगरौली में पटाखे फोड़ना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। भोपाल, इंदौर समेत 21 शहरों में लोग दिवाली पर केवल दो घंटे ग्रीन पटाखे फोड़ सकते हैं।
इन शहरों में रहेगी रोक
नई गाइडलाइन के अनुसार मध्यप्रदेश के जिन शहरों में पटाखों को सिर्फ 2 घंटे फोड़ सकते है। उसमें भोपाल, कटनी, हरदा, धार, रतलाम, रायसेन, इंदौर, नीमच, उज्जैन, सागर, जबलपुर, होशंगाबाद, भिंड, मुरैना, श्योपुर, दमोह, अनूपपुर, देवास, बुरहानपुर, बड़वानी और अलीराजपुर शामिल है। इन शहरों में केवल रात 8 से 10 बजे के बीच ही ग्रीन पटाखे फोड़ सकेंगे। इतना ही नहीं, जिन इलाकों में पटाखों पर प्रतिबंध नहीं है, वहां भी 125 डेसीबल से अधिक आवाज वाले पटाखे नहीं फोड़ सकेंगे।
इन पटाखों पर रहेगी रोक
इस दौरान दिवाली पर लड़ी वाले पटाखे और रस्सी बम पर पूरी तरह बैन लगाया गया है। ना तो ये बनाए जा सकते हैं और न ही स्टोर और बेचे जा सकते हैं। साथ ही अस्पताल, नर्सिंग होम, हेल्थ केयर सेंटर, शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक स्थलों से 100 मीटर तक पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। जिन इलाकों में पटाखों पर प्रतिबंध नहीं है, वहां भी 125 डेसीबल से अधिक आवाज वाले पटाखे नहीं फोड़ सकेंगे।
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखों से प्रदूषण काफी कम होता है। इन पटाखों से 30-40 फीसदी तक प्रदूषण को कम किया जाता है। इन पटाखों में वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले नुकसानदायक कैमिकल नहीं होते हैं। ग्रीन पटाखों के लिए कहा जाता है कि इसमें एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का इस्तेमाल नहीं किया जाता या फिर बहुत कम मात्रा में किया जाता है। इससे वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है। ग्रीन पटाखे दिखने में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इसमें हरा रंग का लोगो प्रिंट होता है। ग्रीन पटाखों की कैटेगरी में फुलझड़ी, फ्लॉवर पॉट, स्काईशॉट जैसे सभी तरह के पटाखे मिलते हैं। ये पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, साथ ही इन पटाखों को जलाने पर धुआं कम निकलता है। हालांकि, ये पटाखे सामान्य पटाखों से महंगे होते हैं।