डॉ मनोज जैन. BHIND. भिंड के कोटा में चंबल बैराज से बारिश थमने के बाद छोड़े जाने वाले पानी से बर्बादी की कहानी साल दर साल दोहराई जाती है। पिछले 3 साल से लगातार आ रही बाढ़ से ग्रामीणों की गृहस्थी का सामान बर्बाद हो जाता है और मकान भी जर्जर हो चुके हैं। यहां के बाशिंदों का दर्द यह है कि इनकी खेती की जमीन चंबल के किनारे है जिसको छोड़कर कहीं नहीं जा पा रहे हैं और यहां शांति से रह भी नहीं पा रहे हैं। चंबल नदी के किनारे बसे गांव नावली वृंदावन, मुकुटपुरा, देवालय, कोषण, रमा, खिपोना, मंडियां, चीलोंगा, ज्ञानपुरा और सांकरी आदि सबकी एक-सी कहानी है।
रेस्क्यू कार्य कर ग्रामीणों को बचाया
इन गांवों का 24 अगस्त से ही सड़क से संपर्क कटना शुरू हो गया था। 25 अगस्त की दोपहर तक अधिकांश गांव में चंबल का पानी भरने लगा था। 26 अगस्त की सुबह होते-होते तो अपेक्षाकृत ऊंचाई पर बसे रमा गांव में भी पानी बढ़ने लगा और दोपहर तक तो पानी से पूरा गांव घिर चुका था। ग्रामीणों के बहने की स्थिति बन गई। द सूत्र की टीम को सुबह रमा गांव से जैसे ही सूचना मिली तत्काल जिला कलेक्टर को स्थिति से अवगत कराया गया। जिला कलेक्टर ने संवेदनशीलता से मामले को लेते हुए द सूत्र की टीम को साथ में लिया और 40 से अधिक लोगों को रमा कोट से देर शाम तक रेस्क्यू किया। रेस्क्यू कार्य में कलेक्टर डॉक्टर सतीश कुमार, पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह चौहान, एनडीआरएफ की टीम के साथ जिला प्रशासन मौजूद रहा।
सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया भी जुटे बचाव अभियान में
सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया का विधानसभा क्षेत्र भी बाढ़ से प्रभावित हुआ है। यही कारण है कि जिला कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार, पुलिस कप्तान शैलेंद्र सिंह चौहान के साथ क्षेत्रीय विधायक और मंत्री अरविंद सिंह भदोरिया बाढ़ राहत की कमान खुद संभाले हुए हैं। अटेर के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में, विंडवा के स्कूल में, दैपुरिया कॉलेज में, मघरा के सरकारी स्कूल में, सुरपुरा के सभी स्कूल और कॉलेजों में राहत शिविर शुरू किए गए हैं और इनमें आवश्यक व्यवस्थाएं जुटाई गई है।