BHOPAL: आज विश्व जनसँख्या दिवस है और केंद्र एवं राज्य सरकार जनसँख्या नियंत्रण के लिए कई कार्यक्रम चला रही है जिनपर करोड़ों रूपए खर्च किये जा रहे हैं। इन सारी कवायदों का असर भी देखने को मिला है जिसके बाद मध्य प्रदेश में टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) यानी कि कुल प्रजनन दर इतने सालों में पहली बार राष्ट्रीय दर के बराबर यानी 2.0 पर आ चुकी है। वर्ष 2015-16 के मुकाबले TFR में 0.3 की कमी आई है जब यह 2.3 हुआ करती थी। इसका मतलब है कि अब मध्य प्रदेश में अब हर महिला के करीब 2 बच्चें हैं। पर मुस्लिम समुदाय की महिलाओं में TFR आज भी राष्ट्रीय दर से ज्यादा 2.40 है। यानी मुस्लिम महिलाओं के हिंदू महिलाओं की तुलना में औसतन 0.4 बच्चे अधिक होते हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अगर हम जातिगत फर्टिलिटी रेट देखें तो हिन्दू महिलाओं के लिए यह 1.97 है। वहीं जैन महिलाओं में यह सबसे कम यानी 0.69 है।
समुदाय के आधार पर TFR: जैनों में प्रजनन दर सबसे कम
- हिन्दू: 1.97
जाति के आधार पर TFR
- SC: 2.06
ये है टीएफआर का मतलब
टोटल फर्टिलिटी रेट यानी टीएफआर प्रजनन दर होती है जो प्रति परिवार के आधार पर निकाली जाती है। इस सर्वे में पति-पत्नी और बच्चों वाले परिवारों को गिना जाता है। प्रदेश की प्रजनन दर 2 है यानी एक परिवार में औसतन दो बच्चे होते हैं। गांव में प्रति परिवार 2.1 बच्चे और शहर में 1.6 बच्चे होते हैं।
अशिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में कमी के कारण मुस्लिमों में TFR ज्यादा: एक्सपर्ट्स
मुस्लिम समुदाय में ज्यादा TFR इसलिए चिंता का विषय हो सकता है क्यूँकि जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में पिछले 10 सालों के बीच लगभग सवा करोड़ जनंसख्या वृद्धि हुई है और यदि इसी तरह जनंसख्या बढ़ती रही तो प्रदेश का कुल TFR फिर से बढ़ सकता है और अगले कुछ सालों में ही प्रदेश की जनंसख्या 10 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के भोपाल ब्रांच के मैनेजर नीलेश चौबे का कहना है कि धर्म और जाति/जनजाति के अनुसार प्रजनन क्षमता में जो सबसे बड़ा अंतर आ रहा है उसका सबसे बड़ा कारण समुदाय-विशेष में साक्षरता की कमी है। उसके बाद रोजगार, आय और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में कमी के कारण भी मुस्लिम्स में TFR ज्यादा है। हालाँकि, उन्होंने बताया के मुस्लिम महिलाओं के प्रजनन दर में पिछले आंकड़ों की तुलना में ओवरआल कमी भी आई है।
दरअसल, एसोसिएशन जनसँख्या नियंत्रण करने के लिए तीन पैमानों पर काम करता है
- शादी में देरी
वहीँ मुस्लिमों में प्रचलित व्यवस्था उक्त तीनों पैमानों के विपरीत है
- समुदाय में कई शादियाँ मान्य हैं
MP में परिवार नियोजन कार्यक्रम पर पांच सालों में 900 करोड़ से ज्यादा खर्च
मध्य प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए पिछले पांच वर्षों -साल 2015-16 से साल 2018-19- में करीब 1200 करोड़ रुपए जारी किए। जिसमें से 967 रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
100 साल में भोपाल की आबादी 15 गुना बढ़ी
वर्ष 2022 के लिए मध्यप्रदेश की अनुमानित जनंसख्या 8 करोड़ 50 लाख है, इसमें से 4 करोड़ 40 लाख जनसंख्या पुरुषों की है और 4 करोड़ महिलाओं की। 10 साल पहले यानी वर्ष 2011 में 7 करोड़ 26 लाख हुआ करती थी। वहीँ बात करें भोपाल की तो वर्ष 2022 की अनुमानित आबादी 28 लाख के करीब है। वहीँ साल 2021 में शहर की आबादी 21 लाख तक थी। वहीँ वर्ष 1921 में भोपाल की आबादी केवल 1.40 लाख थी। साफ़ होता है कि 100 साल में भोपाल की आबादी 15 गुना बढ़ी है।
जय प्रकाश हॉस्पिटल में JP में जनवरी 2021-जून 2022 तक 7229 बच्चों का जन्म
जनवरी -दिसम्बर, 2021
- लड़के: 2488
जनवरी-जून, 2022
- लड़के: 1287