Bhopal. भोपाल एम्स में पहली बार जायगोमेटिक इम्प्लांटस लगाकर दांत लगाए गए हैं। ये मप्र के मेडिकल क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है। एम्स के सीनियर डॉ. अंशुल राय के नेतृत्व में इस ऑपरेशन को किया गया, जबकि इसी ऑपरेशन के लिए मरीज को मुंबई में 7-8 लाख रुपये का खर्चा बताया गया था। जबकि एम्स में बहुत ही कम खर्च में हो गया। दरअसल मार्च 2021 में सुरेश(बदला हुआ नाम) नामक मरीज को ब्लैक फंगस हो गया था जिसके कारण उसका ऊपर का जबड़ा सड़ गया था और ऊपर के सभी दांत हिलने लगे थे। इस बीमारी से उसका बुरा हाल था यहां तक कि वह खाना भी नहीं खा पा रहा था। उसने इलाज के लिए कई जगह संपर्क किया लेकिन कुछ नहीं हो पाया।
डॉ. अंशुल राय से संपर्क साधा
बाद में वह मुंबई भी गया लेकिन खर्चा सुनकर वह वापस आ गया। बआखिरकार उसने भोपाल एम्स में डॉ. अंशुल राय से संपर्क कर ऊपर का जबड़ा बनाकर दांत लगाने की अपील की। डॉ. राय ने चैकअप के बाद जायगोमेटिक इम्प्लांटस लगाकर ऊपर का जबड़ा बनाकर दांत लगाने की सलाह दी। उन्होंने इस संबंध में सभी संभव रिस्क बताते हुए कम खर्चे में उपचार के बारे में बताया। इसके बाद डॉ. राय ने जायगोमेटिक इम्प्लांटस की सर्जरी की जो लगभग 2 घंटे चली। इसमें डॉ. जीतेंद्र कुमार, फरहान, प्रधान और तरुणा ने सहयोग दिया।
जायगोमेटिक इम्प्लांटस से मरीज को मिला आराम
कुछ दिनों बाद जायगोमेटिक इम्प्लांटस के ऊपर दांतों का प्रोस्थेसिस लगाने का काम किया गया जो लगभग 1 सप्ताह में पूरा हो गया। इसमें डॉ. गुंजन चौकसी और अमन पटेल ने डॉ. राय के साथ मिलकर मरीज का बेहतर उपचार किया और वह खाना खाने की स्थिति में आ गया। करीब डेढ़ साल बाद मरीज को खाना खाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज वह बहुत खुश है। आज वह पूरी तरह से ठीक है और आसानी से भोजन को चबाकर खाने में समर्थ है। इस इलाज से उसकी दिनचर्या ही बदल गई है। इ
मप्र में पहला ऑपरेशन
स तरह का मप्र में पहली बार ऑपरेशन किया गया है जिसमें जायगोटिक इम्प्लांटस लगाकर दांत लगाए गए और ब्लैक फंगस के कारण सड़े हुए जबड़े को सफलतापूर्वक बनाया गया। इस उपलब्धि के लिए संस्थान के निदेशक डॉ. अजय सिंह. विभाग प्रमुख डॉ. अजय गोयल ने पूरी टीम को बधाई दी है। डॉ. अंशुल राय ने बताया कि पिछले साल कई लोगों का ब्लैक फंगस का एम्स में ऑपरेशन किया गया अब वे लोग दांत लगवाने आ रहे हैं। जायगोटिक इम्प्लांटस के द्वारा दांत लगाने की सर्जरी बहुत जटिल होती है इसमें आंख के डैमेज होने का खतरा रहता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के मरीजों जिनका ब्लैक फंगस के कारण जबड़े निकाल दिए गए थे उनको जायगोमेटिक प्रोस्थेसिस लगाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से फंडिंग भी मांगी है। फंडिंग मिलने के बाद मरीजों का इलाज पूरी तरह से फ्री में होना संभव हो पाएगा।