Jabalpur. जबलपुर में परियट नदी से सटे ग्राम रिठौरी की एक गौशाला में कब्जा जमाए मगरमच्छों को आखिरकार ग्रामीणों को ही रेस्क्यू करना पड़ा। दिन में कई मर्तबा वन विभाग को सूचना देने के बाद भी जब मौके पर कोई टीम नहीं पहुंची तो दिन ढलने से पहले ग्रामीणों ने इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया और इस जटिल काम को पूरा भी किया।
चुनाव ड्यूटी में व्यस्त था वन महकमा
दरअसल ग्रामीणों ने जब-जब वन विभाग को गौशाला में मादा मगरमच्छ और उसके बच्चों को निकालने के लिए फोन किया। वन विभाग की टीम बहानेबाजी ही करती नजर आई। शुरूआत में तो टीम थोड़ा देर-थोड़ा देर का पहाड़ा पढ़ती रही और करीब 3 घंटे बाद कर्मचारियों की कमी का बहाना बनाकर मगरमच्छों को जस के तस हाल में छोड़ देने की सलाह ग्रामीणों का दे दी गई।
सारी रात मवेशियों को कहां ले जाते, इसलिए किया रेस्क्यू
दिन ढलने का समय करीब आता देख ग्रामीण असमंजस में थे। वहीं गौशाला संचालक मनीष श्रीपाल के सामने भी यही यक्ष प्रश्न था कि सारी रात मवेशियों को कहां रखेंगे। जैसे-तैसे ग्रामीणों ने वन्य प्राणी विशेषज्ञ शंकरेंदु नाथ की सहायता से ग्रामीण रेस्क्यू में जुट गए।
मादा मगरमच्छ के शांत होने का किया इंतजार
वन्यप्राणी विशेषज्ञ शंकरेंदु नाथ ने बताया कि करीब दो घंटे बाद मादा मगरमच्छ एकांत पाकर नदी की तरफ चली गई। उसी समय मौका देखकर ग्रामीणों ने एक-एक करके मगर के 6 बच्चों को नदी में ले जाकर छोड़ दिया।