डिण्डौरी। मध्यप्रदेश के कान्हा और बांधवगढ़ के बीच पड़ने वाले जंगली गलियारे के बीच डिण्डौरी जिले के कई इलाकों में जंगली हाथी इन दिनों जमकर उत्पात मचा रहे हैं। जिले के रूसामाल, मडियारास, पड़रिया कला समेत करंजिया ब्लॉक में उत्पाती हाथियों के झुण्ड एक दर्जन से ज्यादा मकानों का क्षतिग्रस्त कर चुके हैं। इसके अलावा जंगल में उनके द्वारा पेड़ों को उखाड़ने का सिलसिला भी लगातार जारी है। हालात ये हैं कि इन जंगली हाथियों से कोई जनहानि न हो इसके लिए अनेक ग्रामीण पलायन की बात भी सोचने लगे हैं। वन विभाग के मुताबिक इलाके में हाथियों के तीन-चार झुण्ड सक्रिय हैं। हर झुण्ड में दो दर्जन से ज्यादा छोटे-बड़े हाथी रहते हैं। ऐसे में ये झुण्ड जिस इलाके का रुख करते हैं वहां के लोगों में दहशत बढ़ जाती है।
मद में आने पर करते हैं उत्पात
विशेषज्ञों की मानें तो हाथी वैसे तो बहुत शांत प्रवृत्ति का जानवर होता है लेकिन साल में एक बार नर हो या मादा हर हाथी मद में आता है। मद में आने के दौरान हाथियों के कान से लेकर सिर के किनारे तक की चमड़ी नम होकर गीली दिखाई पड़ने लगती है। करीब एक माह तक चलने वाले मद के दौरान हाथी बहुत उत्तेजित रहते हैं। खासकर संसर्ग करने के इच्छुक नर हाथी तो इस दौरान पूरे इलाके को तहस-नहस कर डालते हैं। इलाके में चल रहे हाथियों के उत्पात के पीछे यहां का वन विभाग हाथियों के मद को वजह मान रहा है।
घने जंगलों में हाथियों के लौटने का है इंतजार
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो हाथी जैसे भारी भरकम जानवर को काबू करना बेहद टेढ़ी खीर है। उन्हें डराकर कुछ किलोमीटर दूर तक खदेड़ा तो जा सकता है लेकिन उन पर पूरी तरह से कंट्रोल नहीं किया जा सकता। वहीं वन विभाग हाथियों को खदेड़ने दूसरे संसाधनों को अपनाने से भी बच रहे हैं। उनका मानना है कि मद के दौरान ऐसा करने से हाथियों के पागल हो जाने का भी खतरा होता है और यदि एक हाथी भी पागल हुआ तो वह पूरे इलाके के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।