दीपेंद्र सिंह राजपूत, भोपाल।प्रदेशके ज्यादातर विधायक(MLA) लोकतंत्र के मंदिर यानि मध्यप्रदेश विधानसभा (MP Vidhansabha) में पारित किए गए अपने ही संकल्प का पालन नहीं कर रहे हैं। दिसंबर 2019 में विधानसभा (Assembly) में यह संकल्प पारित किया गया था कि सभी विधायक हर साल अपनी और अपने परिवार के आश्रित सदस्यों की संपत्ति का ब्योरा विधानसभा सचिवालय को देंगे। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस सालविधानसभा के कुल 230 में से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) और विधानसभा अध्यक्ष (Speaker) सहितसिर्फ 15 (6%) विधायकों ने ही इस संकल्प का पालन किया है। इस बारे में विधानसभा सचिवालय के कई रिमाइंडर के बाद भी बाकी विधायकों ने संपत्ति की जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा है। हालत यह है कि विधायक तो दूर सरकार में मंत्री (Minister) पद की जिम्मेदारी संभालने वाले विधानसभा के वरिष्ठ विधायक भी संपत्ति का ब्योरा देने के संकल्प को पूरा नहीं कर रहे हैं। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जब माननीय विधायक विधानसभा में लिए गए संकल्प का पालन नहीं कर रहे हैं तो प्रदेश की जनता कैसे उनके तमाम दावे-वादों पर कैसे भरोसा करे?
तर्कः चुनाव लड़ने से पहले हर सदस्य संपत्ति का ब्योरा देता है
बता दें कि कांग्रेस (Congress) की कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के कार्यकाल के दौरान 18दिसंबर 2019 को विधानसभा में पारितइस संकल्प का मकसद था कि मंत्री-विधायकों और उनके परिजनों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक होने से पारदर्शिता आएगी। आम जनता मेंनिर्वाचित जनप्रतिनिधि को लेकर भरोसा बढ़ेगा। लेकिन ज्यादातर विधायक इस संकल्प का पालन करना भूल गए। इस मुद्दे पर मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम (Vidhansabha Speaker Girish Gautam) का कहना है कि अभी ये कानून नहीं है कि किसी सदस्य अपनी संपत्ति का ब्योरा देने से बाध्य किया जा सके। वैसे चुनाव लड़ने वाले सभी जनप्रतिनिधियों को नामांकन फार्म के साथ अपनी संपत्ति का ब्योरा अनिवार्य रूप से देना पड़ता है।
बीजेपी ने तो कानून बनाकर सजा के प्रावधान की वकालत की थी
कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान पूर्व संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने जब ये संकल्प विधानसभा में पेश किया तब बहस के दौरान तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और मौजूदा चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग की दलील थी कि इसे संकल्प के बजाय कानून की शक्ल में लाया जाता तो बेहतरहोता। गोपाल भार्गव ने तो ये तक कहा था कि ये बिना दांत औऱ नाखून वाला संकल्प है। उन्होंने तो इसमें सजा का प्रावधान करने तक की पैरवी की थी, ताकि कोई गलत ब्योरा ना दे सके।उस वक्त विधानसभा में लंबी चौड़ी दलीलें देने वाले इन्हीं नेताओं ने विधानसभा के पटल पर संपत्ति का ब्योरा नहीं रखा है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने भी सचिवालय को संपत्ति का ब्योरा नहीं सौंपा है।
संकल्प का पालन करना हर विधायक का नैतिक दायित्व
अब जब सत्ता की बागडोर बीजेपी के हाथ में है तो उसकी ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि हर 5 साल में चुनाव लड़ने से पहले हलफनामा में संपत्ति का ब्योरा दिया जाता है। इस पर जबलपुर से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि जब सदन में कांग्रेस ये प्रस्ताव लेकर आई थी, उस वक्त बीजेपी के सदस्य इसके लिए विधेयक लाना चाहती थे। अब जब सरकार उनकी है तो वेखामोश क्यों हैं। उनका कहना है कि विधानसभा में पारित किए गए संकल्प के अनुसार हर विधायक को अपनी संपत्ति की जानकारी विधानसभा सचिवालय को देनी चाहिए।
क्या है संपत्ति का सालाना ब्योरादेने का संकल्प
15वीं विधानसभा के चुनाव से पहले कांग्रेस ने मतदाताओं से अपने वचन पत्र में मंत्री –विधायकों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी सदन में देने का वादा किया था। उसी के चलते चुनाव के बाद सत्ता में आने पर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में संसदीय कार्य विभाग ने इसका संकल्प तैयार किया। संकल्प के अनुसार विधानसभा के सभी सदस्यों को हर साल अपनी और अपने परिजनों की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना था।उन्हें संपत्ति की जानकारी हर साल 31 मार्च से 30 जून के बीच विधानसभा सचिवालय को सौंपना निर्धारित किया गया था।
संपत्ति का विवरण विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड
विधायकों की संपत्ति का विवरण विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। हर विधायक को अपनी और परिवार में प्रत्येक आश्रित सदस्य की संपत्ति की जानकारीचार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रमाणित करवाकर या फिर चुनावउम्मीदवारी के लिए भरे जाने वाले निर्वाचन आयोग के प्रपत्र में प्रस्तुत करना होती है।
पहले विधानसभा मेंसिर्फ मंत्री देते थे संपत्ति का ब्यौरा
2019 में इस संकल्प के पारित होने से पहले, मंत्रियों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी सदन के पटल पर रखे जाने की परंपरा थी, लेकिन इसमें विधायक शामिल नहीं थे। सुंदरलाल पटवा ने मुख्यमंत्री रहते साल 1990 में मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा सदन के पटल पर रखने की शुरुआत की थी। 1993 में दिग्विजय सिंह ने सीएम बनने पर इस परंपरा को जारी रखा। साल 2008 में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी संपत्ति की जानकारी सदन के पटल पर रखी थी। इसके बाद 2010 में पहली बार उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक की। इसके बाद 2012 में 16 मंत्री, 2013 में 17 मंत्रियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी को सार्वजनिक किया। इसके बाद 2014 में सिर्फ 2 मंत्रियों ने अपनी जानकारी सार्वजनिक की, लेकिन 2015 के बाद से ये सिलसिला थम गया। इस संकल्प के आने के बाद उम्मीद थी कि अब मंत्री समेत विधायक भी संपत्ति की जानकारी देंगे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
इन विधायकों ने दिया संपत्ति का ब्योरा
बीजेपी विधायक- शिवराज सिंह चौहान, गिरीश गौतम, शैलेंद्र जैन, प्रद्युम्न लोधी, नागेंद्र सिंह, प्रभुराम चौधरी, रामपाल सिंह, लीना जैन, ग्यारसी लाल रावत, चेतन्य कश्यप।
बीजेपी विधायक-
बीजेपी विधायक- शिवराज सिंह चौहान, गिरीश गौतम, शैलेंद्र जैन, प्रद्युम्न लोधी, नागेंद्र सिंह, प्रभुराम चौधरी, रामपाल सिंह, लीना जैन, ग्यारसी लाल रावत, चेतन्य कश्यप