पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने छोड़ी कांग्रेस, नेताओं पर लगाया खराब बर्ताव और उपेक्षा करने का आरोप

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The Sootr CG
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पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे ने छोड़ी कांग्रेस, नेताओं पर लगाया खराब बर्ताव और उपेक्षा करने का आरोप

Sagar. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ नेताओं द्वारा पार्टी छोड़ने का क्रम जारी है। अब एक और नेता ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। एक ओर तो पूरे देश में कांग्रेस द्वारा भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है तो वहीं दूसरी ओर पार्टी से नेता लगातार  दूरी बना रहे हैं। सागर जिले की खुरई विधानसभा से विधायक रहे अरुणोदय चौबे उर्फ अन्नू चौबे ने कांग्रेस छोड़ दी है। चौबे पीसीसी अध्‍यक्ष व पूर्व मुख्‍यमंत्री कमल नाथ के करीबी नेता माने जाते हैं। उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को अपनी इस्तीफा भेजते हुए कांग्रेस छोड़ने का ऐलान किया किया है। उन्होंने अपने इस्तीफे में खुरई विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ खराब बर्ताव व उपेक्षा का आरोप है।



कांग्रेस के बड़े नेता



चौबे प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार हैं। उनका सागर सहित आस-पास के कई जिलों में जनाधार है। चौबे प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, टीकमगढ़ के जिला प्रभारी व प्रदेश कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के पीछे जो वजह बताई वह यह है कि विधानसभा चुनावों तथा नगर पालिका चुनावों के समय जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा मामले बनाए गए थे तो कांग्रेस का कोई भी वरिष्ठ नेता वहां धरना प्रदर्शन अथवा ज्ञापन देने नहीं आया तथा इनके कार्यकर्ता लंबे समय तक जेल में रहे जिससे चलते कांग्रेस छोड़ दी है। 



लंबे समय से चल रहे थे नाराज  



अरुणोदय चौबे लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे और उनके बीजेपी में जाने के कयास लगाए जा रहे थे। फिलहाल उन्होंने बीजेपी में जाने की अभी कोई घोषणा नहीं की है।  दूसरी ओर राजनीतिक गलियारों में ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वे इसी साल 20 मई को नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह के जन्मदिन पर भाजपा में शामिल होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वर्तमान में खुरई में नगर पालिका के चुनाव चल रहे हैं। इस बीच चौबे के इस्तीफा देने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 



चौबे व भूपेंद्र सिंह एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे



 चौबे व नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे हैं। वर्ष 2007 में खुरई विधानसभा के चुनाव में अरुणोदय चौबे ने भूपेंद्र सिंह को शिकस्त दी थी। इसके बाद वे वर्ष 2013 व 2018 में मंत्री भूपेंद्र सिंह से चुनाव हार गए थे। वर्ष 2013 के चुनाव में ही 28 दिसंबर 2013 को खुरई के विनायठा गांव में हुई भैयालाल दांगी की हत्या के मामले में पूर्व विधायक चौबे सहित 11 लोगों पर धारा 302 व अन्य धाराओं से मामला दर्ज हुआ था। बाद में इस मामले में सभी लोग बरी हो गए। लेकिन कुछ समय पहले सेल्फी प्वाइंट तोड़ने के मामले को लेकर हुए विवाद में चौबे पर धारा 307 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ था जिसमें वह फरार चल रहे थे। इस मामले की बाद से ही वे कांग्रेस पार्टी से खफा थे। वहीं उनके भाजपा में आने की अटकलें चलने लगीं है।



चौबे पर कांग्रेस को कमजोर करने का आरोप



दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर अरुणोदय चौबे पर कांग्रेस को कमजोर करने का आरोप भी लगता रहा है। कांग्रेस नेताओं के अनुसार चौबे पिछले कुछ समय से पार्टी विरोधी कार्यों में शामिल थे और अंदर ही अंदर बीजेपी को मदद कर रहे थे। विधानसभा चुनावों से लेकर नगरपालिका चुनाव में उनके द्वारा कांग्रेस को चुनाव जिताने में कोई मदद नहीं की जिससे कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि चौबे के कांग्रेस छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 


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