Rewa. जिला पंचायत के चुनाव को लेकर नेताओं में महत्वाकांक्षा का गुबार चरम पर पहुंचने लगा है। पद की लालसा में कई बड़े नेता भी मैदान में कूद पड़े है। इनमें पूर्व विधायक पन्नाबाई का नाम भी जुड़ गया है। यह दूसरा मामला है जब किसी पूर्व विधायक जिला पंचायत के रण में किस्मत आजमाने उतर पड़ी हैं। विधायकी के बाद जिला पंचायत चुनाव लड़ने की वजह पूछने पर पन्नाबाई के पति मनगवां क्षेत्र के विधायक पंचूलाल प्रजापति ने दिलचस्प बातें कहीं। पंचूलाल प्रजापति के अनुसार जिला पंचायत के अध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, ऐसे में उपाध्यक्ष पद पर पन्नाबाई की ताजपोशी संभव है। उन्होंने कहा कि छटे बिछटे उपाध्यक्षी तो मिल ही जाएगी।
उपाध्यक्ष पद पर है निगाहें
विधायक पंचूलाल ने इस सियासी मंशा के पीछे की वजह पूछने पर वर्तमान भारतीय राजनीतिक परिदृश्य का जिक्र करने से पीछे नहीं रहे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आगे बढ़ाने के लिए अच्छा अभियान चल रहा है। हाल ही में राज्यसभा एमपी की दो सीटों पर एसटी और एससी वर्ग के प्रत्याशियों के चयन का हवाला देते हुए विधायक पंचूलाल प्रजापति ने कहा कि पार्टी के इस निर्णय से उन्हे और उनकी पत्नी को प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने कहा कि जन सेवा तो करते ही रहे हैं किस्मत साथ दे गई तो जिला पंचायत में उपाध्यक्ष की कुर्सी हरिजन महिला को मिल सकती है और पन्नाबाई इसके काबिल भी है।
कौन हैं पन्नाबाई प्रजापति
पूर्व विधायक पन्नाबाई प्रजापति ने शनिवार को देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक 24 से सदस्य पद के लिये नामांकन दाखिल कर सियासी पंडितों को चौंका दिया। दरअसल 1998 और 2003 में पंचूलाल प्रजापति दो बार लगातार देवतालाब (सुरक्षित) सीट से विधायक चुने गए थे। 2008 में परिसीमन हुआ, जिसमें मनगवां सुरक्षित सीट घोषित कर दी गई। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पंचूलाल का टिकट काट कर उनकी पत्नी पन्नाबाई को मनगवां से मैदान में उतारा। पन्नाबाई ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की.।जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में फिर पंचूलाल भाजपा की टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे। रीवा जिले का यह दूसरा मामला है जब कि पूर्व विधायक जिला पंचायत का चुनाव लड़ रहा हो। इसके पहले अभय मिश्रा 2015 में जिला पंचायत का चुनाव लडक़र अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।