रूचि वर्मा. भोपाल। मप्र के पूर्व विधायकों को ज्यादा सुविधाएं चाहिए और इसके लिए पूर्व विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से ये मांग भी की है। प्रदेश के पूर्व विधायक परिषद के अध्यक्ष व पूर्व विधायक विजेंद्र सिंह सिसोदिया, उपाध्यक्ष रमेश शर्मा, महामंत्री रामकिशन चौहान के ज्ञापन पर विधानसभा अध्यक्ष जल्द ही पूर्व विधायकों का सम्मेलन भी आयोजित कर रहे हैं, ताकि उनकी समस्या और सुविधाओं पर बात कर सकें। दरअसल पूर्व विधायक चाहते हैं कि उन्हें भी विधायक की तरह तो नहीं लेकिन उसका आधा वेतन मिले। विधायकों की तरह प्रोटोकॉल मिले, एसी फर्स्ट क्लास में यात्रा करने की इजाजत मिले। सुविधाएं बढ़ाने की लिस्ट लंबी है। लेकिन सवाल है कि सरकार की माली हालत इसकी इजाजत देगी क्योंकि ये पैसा तो सरकार को ही देना है। मप्र के इन 800 पूर्व विधायकों को अभी क्या सुविधा मिल रही है और वो और क्या चाहते हैं। द सूत्र की टीम ने इसकी पड़ताल की है।
800 पूर्व विधायकों को इस समय निम्नलिखित सुविधाएं मिलती हैं
- पेंशन के रूप में मिलते हैं 35 हजार रु., जिसमें 20 हजार रु. पेंशन होती है और 15 हजार रु. मेडिकल अलाउंस।
पूर्व विधायकों की नई मांगें
- विधायकों को जितनी सैलरी मिलती है उसकी आधी पेंशन पूर्व विधायकों की मिलनी चाहिए। एक विधायक को करीब 1 लाख रुपए की सैलरी मिलती है। इस हिसाब से पूर्व विधायक को 50 हजार रुपए पेंशन मिलनी चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा मांग पत्र: जब इस मुद्दे पर द सूत्र ने पूर्व विधायक परिषद के उपाध्यक्ष रमेश शर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि पूर्व विधायकों ने अपना ये मांगपत्र विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को सौंपा है। विधानसभा अध्यक्ष जल्द ही पूर्व विधायकों का सम्मेलन आयोजित करेंगे और इसपर विचार करने वाले हैं।
विधानसभा अध्यक्ष भी पूर्व विधायकों के समर्थन में: जब विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से इस बारे में बात की तो उनकी बातों से लगता है कि वो भी चाहते हैं कि पूर्व विधायकों को सुविधा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सारे विधायक अडानी-अम्बानी नहीं होते। कई पूर्व विधायक काफी बुरी स्थिति में रह रहे हैं। कुछ तो विधायकी के बाद हल जोतते एवं चौराहे पर जूते पोलिश करते मिले। कोविड-19 के वक्त कइयों को इलाज में दिक्कतें भी आई। अगर वे आयुष्मान कार्ड बनवा भी लेते हैं तो इससे उनकी मदद ही हो जाएगी। वैसे भी वे रोज-रोज तो कार्ड का उपयोग नहीं करेंगे।
मांगे स्वीकृत होने से सरकार पर पड़ेगा 1 करोड़ का अतिरिक्त बोझ: मप्र और अविभाजित मप्र को जोड़कर पूर्व विधायकों की संख्या है करीब आठ सौ। ऐसे में पूर्व विधायकों को जो 35 हजार रु. पेंशन मिल रही है उसे जोड़ा जाए तो ये राशि होती है करीब 2 करोड़ 80 लाख रु। अब पूर्व विधायक मांग कर रहे हैं विधायकों की सैलरी की आधी पेंशन की यानी करीब 50 हजार रु. की। इसके बाद ये आंकड़ा होगा करीब 4 करोड़ रु। इससे सरकारी खजाने पर 1 करोड़ 20 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। ये सारा आम जनता के टैक्स का ही पैसा होगा।