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भोपाल. यहां की केन्द्रीय जेल (Central Jail) में 35 बुजुर्ग कैदी ऐसे हैं जिनकी सजा पूरी हो चुकी है लेकिन इन्हें मुक्ति का इंतजार था। क्योंकि इन कैदियों (Prisoners) की जुर्माना राशि 1.87 लाख रुपए भरने वाला कोई नहीं था। लेकिन लाइंस क्लब और समाजिक कार्यकर्ताओं (Lines Club and Social Workers) ने मिलकर इन कैदियों की जुर्माना राशि (fine amount) भर दी है। ऐसे में इन कैदियों को उद्धारक की तलाश पूरी हो गई है। जुर्माना राशि नहीं भरने की सूरत में इन्हें अतिरिक्त कारावास काटनी पड़ रही थी। इनके अपनों ने आजीवन कारावास के चलते सारे रिश्ते तोड लिए थे। इन कैदियों में से कुछ के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह जुर्माना राशि नहीं भर पा रहे थे।
उद्धारक की तलाश पूरी हुई: सजा काट चुके कैदियों का भार सरकार को अतिरिक्त न उठाना पडे इसके लिए प्रबंधन कैदियों के उद्धारक की तलाश कर रहा था। ये सभी 35 कैदी आजीवन कारावास समेत 20 साल की सजा काट चुके हैं। यदि ये कैदी जुर्माने की राशि नहीं भर पाते, तो इन्हें 6 माह और जेल में ही रहना पड़ेता। यानि इनकी रिहाई इसी माह 26 जनवरी को न होकर आगामी 15 अगस्त 2022 को होती। जिन 35 कैदियों की रिहाई होना है उसमें से कई बुजुर्ग और अशक्त हो चुके हैं। इनकी रिहाई के लिए तकरीबन डेढ़ लाख रुपए की जरूरत थी। इसमें से दो की जुर्माने की राशि 42-42 हजार रुपए थी। जो भर दी गई है।
मानव अधिकार आयोग ने जवाब मांगा था: मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग (Madhya Pradesh Human Rights Commission) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने मामले में संज्ञान लेकर प्रमुख सचिव, मप्र शासन, जेल विभाग, मंत्रालय, भोपाल, महानिदेशक (डीजी) जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं, मध्यप्रदेश सहित केन्द्रीय जेल, भोपाल के अधीक्षक से तीन सप्ताह में जवाब मांगा था। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा गया था कि इन मुल्जिमों को किस धारा में कितनी सजा दी गई थी, ये अब तक कितनी सजा काट चुके हैं, क्या विधिक सेवा प्राधिकरण (लीगल सर्विस अथॉरिटी) के माध्यम से रिट पिटीशन लगाने का प्रयास किया गया है।