Bhopal. मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए गुड न्यूज है। राज्य सरकार जल्द ही पेंशन स्कीम के नियमों में बदलाव करने जा रही है। जिससे अब पेंशनरों और कर्मचारियों को जीवनभर की जमा पूंजी राशि (जीपीएफ) रिटायरमेंट के 4 महीने पहले ही मिल जाएगी। बता दें अब तक प्रक्रिया कठिन होने के कारण राशि रिटायरमेंट के करीब 6 महीने बाद तक पेंशन के लिए भटकना पड़ता था। नियमों में सुधार होने के बाद बैंकों से पेंशन कम मिलने, पैशन का निर्धारण न होने जैसी दिक्कतों का भी निराकरण हो जाएगा। यानी कर्मचारियों की तरह ही पेंशनर की पेंशन सरकार सीधे खाते में ट्रांसफर करेगी जिसे वे तत्काल निकाल सकेंगे। ये सुविधा का लाभ 8 लाख नियमित कर्मचारी और 5.50 लाख पेंशनर्स को मिलने जा रही है। वही इसके साथ ही 2005 के बाद राज्य की सेवा में आए कर्मचारियों की जमा राशि में से भुगतान की प्रक्रिया को भी सरल किया जाएगा, ताकी उन्हें रिटायरमेंट के बाद कोई दिक्कत ना हो।वर्तमान में इन पर PDRFA के नियम लागू होते हैं।
इस प्रक्रिया में होगा सुधार
जीपीएफ में जमा राशि का फाइनल पेमेंट के लिए कार्यालय प्रमुख बिल महालेखाकार कार्यालय को भेजता है, जहां से दस्तावेजों की वापसी होने के बाद ट्रेजरी को भेजे जाते हैं। इस प्रक्रिया का शार्टकट निकाला जा रहा है जिससे भुगतान की प्रक्रिया में आसानी हो। अभी विभाग फिजिकल डाक्यूमेंट बैंक को देता है और बैंक उसके हिसाब से पेंशन तय करता है। इस स्थिति में कागज गुम हो जाने पर डुप्लीकेट डाक्यूमेंट बनवाने में समय लगता है। नई व्यवस्था में रिटायरमेंट के अगले महीने ही पेंशन भुगतान की व्यवस्था की जा रही है। अभी रिटायर होने के बाद पेंशन बनने में कम से कम एक और तीन महीने और उससे ज्यादा समय लग जाता है जिससे रिटायरमेंट के बाद पेंशनर को जमा पूंजी में ही तीन से चार महीने तक निकालने पड़ते हैं।
नहीं काटने पड़ेंगे दफ्तरों के चक्कर
भुगतान की इस प्रक्रिया को आसान करने के लिए राज्य सरकार जीपीएफ की तर्ज पर नियम तैयार करेगी। दरअसल, प्रदेश में अफसरों और कर्मचारियों के भुगतान संबंधी नियम काफी पुराने हो चुके हैं, जिनमें इतनी जटिलताएं है कि अपनी ही जीवन भर में जमा की गई पूंजी को पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटना पड़ते हैं, जिसमें समय और विलंब दोनों होते हैं। लेकिन नए नियमों में बदलाव कर सरकार प्रक्रिया को आसान करने जा रही है। कर्मचारियों के मामले में मौजूदा जो नियम है उनमें संशोधन किया जा रहा है। इस संबंध में लोगों के सुझाव भी आए थे, जल्दी ही इस बारे में शासन स्तर पर विचार कर कर्मचारियों और पेंशनर्स की भुगतान संबंधी प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
ये हैं प्रस्तावित सुधार
पीपीओ अंतरण की प्रक्रिया - केंद्रीयकृत या विकेंद्रीकृत होगी
डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट
वीडियो लाइफ सर्टिफिकेट
डोर स्टेप बैंकिंग
जीपीएफ क्या है?
जीपीएफ या जनरल प्रोविडेंट फंड अकाउंट सरकारी कर्मचारियों के लिए होता है। एक सरकारी कर्मचारी अपनी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा योगदान के रूप में देकर इसका सदस्य बन सकता है। इस फंड में जमा राशि सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति या रिटायरमेंट के समय मिल जाती है।
जीपीएफ कैसे काम करता है?
जनरल प्रोविडेंट फंड सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बचत का माध्यम है। इस अकाउंट में खाताधारक अपनी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा एक निश्चित समय के लिए जमा करवाता है। रिटायरमेंट के समय फंड की राशि कर्मचारी को दे दी जाती है। खाताधारक खाता खोलते समय किसी को नॉमिनी भी बना सकता है। यदि खाताधारक के साथ कुछ हो जाता है तो नॉमिनी वह राशि और लाभ प्राप्त करता है। जीपीएफ में GPF एडवांस फीचर होता है जो कि एक ब्याज रहित लोन होता है। उधार लिया हुआ यह पैसा नियमित मासिक किश्तों में चुकाया जा सकता है। जीपीएफ़ एडवांस कैश पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता है। आवश्यकतानुसार कितनी बार भी जीपीएफ़ एडवांस लिया जा सकता है।
जीपीएफ के लिए योग्यता
सरकारी कर्मचारी जो भारत के नागरिक हैं वे जनरल प्रोविडेंट फंड अकाउंट के लिए पात्र हैं। सरकार के कुछ सैलरी वर्ग के कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य होता है। प्राइवेट कर्मचारी इस अकाउंट के लिए पात्र नहीं होते हैं।