GUNA: हाई कोर्ट के वकीलों का 3 सदस्यीय पैनल और सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे धनोरिया; पीड़ित के परिजन और घटनास्थल का लिया जायजा

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Naveen Modi
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GUNA: हाई कोर्ट के वकीलों का 3 सदस्यीय पैनल और सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे धनोरिया; पीड़ित के परिजन और घटनास्थल का लिया जायजा

GUNA. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के गुना जिला के अंतर्गत आने वाले धनोरिया (Dhanoria) गांव में एक आदिवासी महिला (Tribal Women) को जिंदा जलाया गया था। 2 जुलाई की इस घटना के बाद से बमोरी थाना क्षेत्र में असंतोष व्याप्त है। आरोप है कि आदिवासी महिला की 6 बीघा जमीन पर दबंगों ने जबरन कब्जा कर रखा था। महिला द्वारा विरोध करने पर दबंगों ने उसके ऊपर डीजल छिड़का और आग लगा दी, जिससे उसका 80 फीसदी शरीर जल चुका है। महिला का इलाज भोपाल (Bhopal) में चल रहा है।





यह है पूरा मामला





वहीं पुलिस और प्रशासन (Administration) पर आरोपियों पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप हैं। हालांकि आरोपियों की गिरफ्तारी तो की जा चुकी है। इस मामले को लेकर गुना के सामाजिक कार्यकर्ताओं (Social Worker) और वकीलों (Lawyer) के एक पैनल ने 6 जुलाई को पीड़िता के गांव जाकर fact-finding रिपोर्ट तैयार की। वकीलों के पैनल ने पीड़िता के परिजनों और गांव वालों से बातचीत कर जरूरी साक्ष्य एकत्रित किए। जानकारी के अनुसार, राज्यपाल को  ये रिपोर्ट सौंपी जाएगी। रिपोर्ट में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग होगी। पीड़िता के आश्रितों के लिए 1 करोड़ का मुआवजा, पीड़िता के उचित उपचार एवं सुरक्षा की भी मांग रखी जाएगी।





पीड़ित के लिए सरकारी नौकरी मांगी





पैनल में हाई कोर्ट के वकील डॉ. पुष्पराग, सीमा राय और मोहर सिंह लोधी शामिल रहे। पैनल ने पीड़िता राम प्यारी पत्नी अर्जुन सहरिया के परिजन सुखराम सहरिया, जमुनालाल सहरिया और तोरण सिंह सहरिया सहित अन्य लोगों के बयान लिए। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र सिंह भदोरिया ने कहा कि हम आदिवासियों के साथ हैं। उनके लिए हर स्तर तक संघर्ष करेंगे। पीड़िता एवं उनके परिजनों को राहत राशि सहित शासकीय नौकरी की मांग रखी जाएगी।





इन्होंने ये कहा





सामाजिक कार्यकर्ता राकेश मिश्रा ने कहा कि आदिवासी हमारी संस्कृति हैं। सरकार को इन्हें संरक्षण देना चाहिए। लेकिन सरकार उनके पुनरुत्थान के लिए गंभीरता से काम नहीं कर रही है। सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश शर्मा ने कहा कि एक तरफ छोटे से अपराध में भी पुलिस और प्रशासन बिना जांच किए आरोपियों के मकान तोड़ने तक की कार्रवाई करता है लेकिन आदिवासी महिला को जिंदा जलाने के बाद भी प्रशासन ने अभी तक कोई भी एक्शन नहीं लिया है। इससे ये लगता है कि पुलिस और प्रशासन की इसमें मिलीभगत है। इस तरह से पीड़िता को न्याय नहीं मिल पाएगा। हम मांग करते हैं कि सरकार इस मामले में सख्त रवैया अपनाए अन्यथा सामाजिक कार्यकर्ता अपनी आवाज को और बुलंद करेंगे।



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