अपमान, विरोध, उपहास के बाद भी गांधी ने सत्यधर्म नहीं छोड़ा- केंद्रीय मंत्री तोमर

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Shivasheesh Tiwari
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अपमान, विरोध, उपहास के बाद भी गांधी ने सत्यधर्म नहीं छोड़ा- केंद्रीय मंत्री तोमर

जौरा. मध्यप्रदेश के मुरैना में बागी आत्मसमर्पण की स्वर्ण जयंती समारोह जौरा के गांधी सेवा आश्रम में आयोजित हो रहा है। तमाम अपमान, विरोध और उपहास के बाद भी गांधी जी ने जीवन में सत्यधर्म का पालन किया और सत्यधर्म नहीं छोड़ा। भौतिक शरीर से बहुत सारे काम किए जाते हैं। इसके साथ एक आत्मिक ताकत होती है और यही आध्यात्मिक ताकत व्यक्ति को सर्वमान्य और महान बनाती है। उनके शिष्य जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चम्बल में बागी आत्मसमर्पण का होना प्रेरणादायक घटना है और इसमें डॉ. एसएन सुब्बाराव का कार्य बहुत महत्वपूर्ण रहा। ये बातें बागी आत्मसमर्पण समारोह में मुख्य अतिथि केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कही।



बाबा साहब को याद किया



केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर को याद करते हुए कहा कि तमाम सामाजिक बुराईयां, जातिगत भेदभाव को सहने करने के बाद भी डॉ. अम्बेडकर ने निष्पक्षता के साथ बिना किसी पूर्वाग्रह के पूरे देश को संचालित करने के लिए संविधान लिखा। उनके जीवन से महान कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।



केन्द्रीय मंत्री ने चंबल का सकारात्मक पक्ष बताया 



केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि चंबल के भिंड और मुरैना की पहचान बागियों और उनके कार्यों से नकारात्मक रही है। चंबल की अच्छाईयों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि चंबल में ककनमठ और मितावली के साथ डॉल्फिन, घड़ियाल पार्क और खेत-खलिहान भी है। उन्होंने जिला प्रशासन से, देश भर से आए नौजवानों को चंबल विशेषकर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल संग्रहालय का भ्रमण कराने की व्यवस्था करने के लिए कहा, जिससे नौजवान चंबल की सकारात्मक छवि को लेकर जाएं।



शांति के लिए गांधी के तीन मंत्र हैं- रघु ठाकुर



विख्यात गांधीवादी और एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने सभी आगन्तुकों का स्वागत करते हुए कहा कि चंबल की घटना से देश और दुनिया में शांति और अहिंसा का संदेश गया। चंबल की स्मृति से दुनिया को अहिंसा का संदेश जाना चाहिए। समाजवादी चिंतक और पूर्व सांसद रघु ठाकुर ने कहा कि न्याय और शांति के लिए गांधी के तीन सूत्र ‘चलो शहर से गांव की ओर’, ‘बड़े से छोटे की ओर’ और ‘मशीन से हाथ की ओर’ पर काम करने की आवश्यकता है। चंबल में शिक्षा और रोजगार पर काम करना न्याय और शांति के लिए जरूरी है।



दंगा-फसाद होना चिंता का विषय- आनंद कुमार



प्रख्यात समाजशास्त्री, अध्येता और जवाहर लाल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि साम्प्रदायिक एकता के हजार सूत्र देने वाले शंकराचार्यों, मौलवियों और राजनेताओं के होने के बाद भी रामनवमी, होली और ईद के दिन देश में दंगा-फसाद होना चिंता का विषय है। इसे जड़ से मिटाने का रास्ता केवल गांधीवाद में है। गांधी का रास्ता है- तीज त्यौहार में अपने-अपने टोल-मोहल्ले में जाकर एक-दूसरे को बधाईयां देना और भाईचारा बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि दंगा-फसाद संसद और विधानसभा में नहीं होता बल्कि टोले और मोहल्ले में होता है इसलिए उसका रास्ता भी वहीं है।



सांसद डॉ. विकास महात्मने ने अपने उद्बोधन में देश के राजनीतिक परिदृश्य में पारदर्शिता लाने के लिए चुनाव प्रक्रिया और प्रणाली में व्यापक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। समाजवादी चिंतक, रामप्रताप ने कहा कि चंबल का विकास पर्यावरणीय पर्यटन, शिक्षा एवं स्वावलंबन पर ही निर्भर जिसमें युवाओं की सक्रिय भागीदारी करानी होगी। कार्यक्रम के दौरान एक्षन विलेज इंडिया एवं जय जगत के अंतराष्ट्रीय प्रतिनिधियों क्रमशः एस्टर (इंग्लैण्ड) और जिल कार हैरिस (कनाडा) ने भी अपने विचार व्यक्त कर शांति संदेश दिया।



भाई जी की मूर्ति का अनावरण



केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भाई जी की समाधि स्थल पर पुष्पांजलि देकर श्रद्वांजलि अर्पित की तदोपरांत आश्रम परिसर में भाई जी डॉ. एसएन सुब्बाराव की मूर्ति का अनावरण किया।



समारोह में शामिल आत्मसमर्पित बागी



70 के दशक के चंबल के बागी सरगना सरू सिंह, माधो सिंह, मोहर सिंह, माखन-छिद्वा, हरबिलास सिंह और राजस्थान के रामसिंह गिरोह के सदस्य रहे आत्मसमर्पित बागी, मानसिंह, मेहरबान सिंह, गंगा सिंह, संतोष सिंह, उम्मेद सिंह, रामभरोसी, घमण्डी सिंह, बूटा सिंह, अजमेर सिंह यादव, बहादुर सिंह कुशवाहा, सोबरन सिंह, सोनेराम, रामस्वरूप सिकरवार सहित 80 के दशक के आत्मसमर्पित दस्यु रमेश सिंह सिकरवार, बाबू सिंह, प्रभु सिंह और राजस्थान आत्मसमर्पित महिला बागी कपूरी बाई समारोह में शामिल हुए। सभी आत्मसमर्पित बागियों को सम्मानित किया गया।



भाई जी संस्कार पुरस्कार 2022



डॉ. एसएन सुब्बाराव (भाई जी) के नाम से सामाजिक कार्य के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार आंध्रप्रदेश केके यादव राजू, तमिलनाडु के करूनाकरण और महाराष्ट्र के नरेन्द्र बड़गांवकर को प्रदान किया गया। इसमें उनको स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्रम् सहित संयुक्त रूप से एक लाख की धनराशि दी गई।



समर्पण और पुनर्वास कार्य 



ज्ञात हो कि चम्बल घाटी में वर्ष 1970 में 14 अप्रैल को लोक नायक जयप्रकाश नारायण के समक्ष चम्बल के कुख्यात और दुर्दान्त बागियों ने गांधी जी के चित्र के समक्ष जौरा स्थित पुराने गांधी आश्रम में अपने हथियार डालकर समर्पण कर दिया था। उनके समर्पण और पुनर्वास में डॉ.एसएन सुब्बाराव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस वर्ष बागी आत्मसमर्पण के 50 वर्ष पूरे होने पर महात्मा गांधी सेवा आश्रम और एकता परिषद द्वारा इसका आयोजन किया गया। सम्मेलन का संचालन महात्मा गांधी सेवा आश्रम के सचिव रनसिंह परमार, रमेश शर्मा और राकेश दीक्षित ने किया। सम्मेलन में मैग्सेसे अवार्डी जलपुरुष राजेन्द्र सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रदीप शर्मा, समाजवादी पत्रकार जयंत तोमर, सर्वोदय मण्डल उत्तरप्रदेश के रामधीरज भाई, राष्ट्रीय युवा योजना के न्यासी सुकुमारन, मधुभाई, श्योपुर के जयसिंह, कैलाश पराशर, एकता परिषद के महासचिव अनीष कुमार, सर्वोदय समाज परिषद के मनीष राजपूत, बिहार के सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप प्रियदर्शी, गांधी स्मृति दर्शन के रजनीश, अरुणांचल के हरिविश्वास, बिहार के मुकेश, त्रिपुरा के देवाशीष, इण्डोनेशिया से आये प्रख्यात गांधीवादी और पद्मश्री से सम्मानित इंदिरा उद्यन सहित देशभर के गांधीवादी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

 


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