गैंगस्टर अब्दुल रज्जाक: रिमांड खत्म गया जेल, पूछताछ में बहाने; ऐसे हुआ कुख्यात

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Pooja Kumari
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गैंगस्टर अब्दुल रज्जाक: रिमांड खत्म गया जेल, पूछताछ में बहाने; ऐसे हुआ कुख्यात

जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर (Jabalpur) के हिस्ट्रीशीटर (History Sheeter) अब्दुल रज्जाक (Abdul Razzaq) को कोर्ट (Court) में पेश किया गया, जहां पुलिस रिमांड (Police Remand) बढ़ाने से कोर्ट ने इंनकार करते हुए उसे जेल भेज दिया। इससे पहले आरोपी 3 दिन की रिमांड पर था। इस दौरान पुलिस ने 307 समेत अन्य धाराओं में उससे पूछताछ की। पूछताछ में रज्जाक ने कभी बीमारी का बहाना बनाया, तो कभी पुलिस को ही बयानों में उलझाता रहा। लेकिन इस अवधि में पूछताछ के दौरान उसके खिलाफ पुलिस के हाथ महत्वपूर्ण दस्तावेज लगे। 





नोटरी फर्जी निकली : शपथ पत्र (Affidavit) के आधार पर रज्जाक ने अपने खिलाफ लगे आरोपों की जांच बंद करा दी थी, वे फर्जी निकले। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि जिस वकील की नोटरी है, उसे ही नहीं पता। उसके हस्ताक्षर व सील आदि भी फर्जी हैं। इसके बाद पुलिस ने दर्ज एफआइआर में रज्जाक, उसके बेटे सरताज समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी (Fraud) की धारा बढ़ा दी हैं। रज्जाक और उसके गुर्गों ने स्टांप वेंडर से स्टांप खरीदने के बाद उस पर शपथ पत्र तैयार किया था। शपथ पत्र पर नोटरी के सील और हस्ताक्षर फर्जी मिले। पुलिस सूत्रों की मानें तो तीन दिन की रिमांड में अब्दुल रज्जाक ने पुलिस का सहयोग नहीं किया। 





अब्दुल रज्जाक कौन है : संस्कारधानी जबलपुर (Jabalpur) में अपने जुर्म का साम्राज्य खड़ा करने वाला कुख्यात बदमाश अब्दुल रज्जाक (Abdul rajjak) गिरफ्तार है। कभी रज्जाक और उसका परिवार दूध का धंधा करता था। रज्जाक को बचपन से ही पहलवानी और कसरत का शौक था। इसी कारण लोग उसे पहलवान के नाम से जानते थे। रज्जाक डेयरी के बाद टोल टैक्स के धंधे में उतरा। यहीं से उसके गैगस्टर (gangster rajjak) बनने की कहानी शुरू होती है।





साल 1990 में ठेके उठाना शुरू कर दिया : रज्जाक का परिवार 62 साल पहले नरसिंहपुर (narsinghpur) से जबलपुर के नया मोहल्ला में शिफ्ट हुआ था। रज्जाक ने क्राइस्ट चर्च स्कूल से 8वीं तक पढ़ाई की और फिर पिता के साथ दूध की डेरी में लग गया। दूध डेयरी से हुई कमाई के बाद रज्जाक 1990 में टोल टैक्स बैरियर के ठेके में उतरा। आरोपी ने प्रकाश खंपरिया (अमित खंपरिया का चाचा), लखन घनघोरिया (कांग्रेस विधायक एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री), शमीम कबाड़ी, सिविल लाइंस स्थित पुराने आरटीओ परिसर में रहने वाले मुन्ना मालवीय (फैक्ट्री में तब एकाउंटेंट था।) के साथ मिलकर ठेके उठाए।  





बादशाहत कायम करने के लिए गैंगवार: ठेके के धंधे में उतरने के बाद रज्जाक की प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। इसके बाद उसने गैंग बना ली। गोरखपुर की महबूब अली गैंग (Mehboob ali gang) भी इसी धंधे में थी। इस कारण दोनों के बीच गैंगवार (gangwar) शुरू हुआ। रज्जाक ने बस स्टैंड मदनमहल में पहली बार 6 फरवरी 1996 को जानलेवा हमला किया। इसके बाद महबूब अली गैंग ने 29 अगस्त 2000 को हाईकोर्ट के पास अब्दुल रज्जाक पर गोली चलाकर जान लेने की कोशिश की। इसका बदला लेने के लिए रज्जाक ने गोरखपुर (gorakhpur) क्षेत्र में महबूब अली (Mehboob ali) के छोटे भाई अक्कू उर्फ अकबर की गोली मारकर 14 जुलाई 2003 में हत्या कर दी गई। 





रज्जाक की राजनीति में मजबूत पकड़: रज्जाक की गैंग पर जमीन कब्जाने, गैंगवार, अवैध हथियारों की तस्करी, हत्या, बमवारी जैसे संगीन मामलों में अलग-अलग थानों में 86 केस दर्ज है। आरोपी अपने बाहुबल का उपयोग करके गवाह पलट देता है। रज्जाक पर पहले बीजेपी (BJP) के कुछ नेताओं की छत्रछाया थी। इसके बाद वह कांग्रेस (Congress) के नेताओं का खास बन गया। 27 अगस्त 2021 को अब्दुल रज्जाक की हथियारों के साथ गिरफ्तारी हुई। इसके बाद रज्जाक के बदमाशों ने जबलपुर कोर्ट परिसर में हंगामा किया था।



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