अंकुश मौर्य, Bhopal. नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के लिए गायत्री परिवार विशेष योजनाओं पर काम कर रहा है। बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार दिए जा रहे हैं, जो उन्हें 55 की उम्र तक भी काम आएंगे। युवाओं को सम्मेलन के माध्यम से नई दिशा देने का अभियान चलाए जा रहे हैं। उन्हें 16 संस्कार और 4 संयमों की शिक्षा दी जा रही है। गायत्री जयंती के मौके पर द सूत्र ने गायत्री परिवार भोपाल के सदस्य एवम् साहित्य डिपो प्रभारी डॉ. अशोक नेमा से गायत्री परिवार के नवाचारों पर बातचीत की। संपूर्ण देश में गायत्री जयंती का पर्व ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
संस्कारवान बच्चे करेंगे युग निर्माण
गायत्री परिवार युग निर्माण की योजना पर काम कर रहा है। हर आयु वर्ग पर फोकस है। छोटे बच्चों को बचपन में पचपन के संस्कार देने के लिए बाल संस्कार शाला है। देशभर में जिला एवं ब्लॉक स्तर तक बाल संस्कार शालाएं चलाई जा रही हैं। इन शालाओं में बच्चों को ऐसे संस्कार दिए जा रहे हैं, जो उन्हें जीवन भर काम आएंगे। बच्चों को संस्कारवान बनाने के अभियान देशभर में चल रहा है। शांतिकुंज के नेतृत्व में सिलेवस तैयार किया गया है। जिसे देशभर में संस्कार शालाओं के संचालकों को दिया गया है।
स्वस्थ और संपन्न युवाओं के निर्माण के लिए युवा प्रकोष्ठ का निर्माण
भारत सबसे युवा राष्ट्र हैं, देश की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी 60 फीसदी है। लिहाजा युवा को सही दिशा देना जरूरी है। क्यों कि युवा जिस दिशा में चलते हैं, देश उसी दिशा में चलता है। युवाओं के लिए गायत्री परिवार ने 1998 से युवा प्रकोष्ठ का निर्माण किया गया। ताकि युवाओं को मार्गदर्शन दिया जा सके। उनकी ऊर्जा को सही दिशा में लगाया जा सके। युवा प्रकोष्ठ जिला स्तर पर युवा सम्मेलन का आयोजन करता है। जिसमें युवाओं को साधना, स्वावलंबन, स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया जाता है। उन्हें नशे से दूर रहने की शिक्षा दी जाती है।
अच्छे काम के लिए सतत प्रयास करना संस्कार है
मनुष्य के जीवन में 16 संस्कार होते हैं। इनमें से तीन जन्म से पहले के और 2 मृत्यु के बाद के होते हैं। बाकि 11 संस्कारों के साथ जीवन चलता है। उदाहरण के लिए गर्भधान संस्कार होता है। पहले लोग अभिमन्यु की कहानी को नहीं मानते हैं। लेकिन आज दुनिया गर्भधान संस्कार को मान रही है। बच्चे को कोख में भी संस्कार दिए जा सकते है। महिलाएं संस्कारवान बच्चे पैदा कर सकती हैं। इसकी शिक्षा भी गायत्री परिवार देता हैं। आओं गढ़ें संस्कारवान पीढ़ी के नाम से अभियान देशभर में चल रहा है।
जानिए क्या होते हैं 16 संस्कार
1. गर्भाधान संस्कार
2. पुंसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जातकर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चूड़ाकर्म संस्कार
9. विद्यारम्भ संस्कार
10. कर्णवेध संस्कार
11. यज्ञोपवीत संस्कार
12. वेदारम्भ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार
युवाओं को दे रहे विवाह संस्कार
दहेज प्रथा के खिलाफ दशकों से मुहिम चल रही है। गायत्री परिवार युवाओं को विवाह संस्कार में बिना दहेज की शादी के लिए प्रेरित करता है। जहां लोभ नहीं होगा वहां कुविचार भी जन्म नहीं लेगा। युवाओं के जीवन में आध्यात्मिकता प्रवेश कर जाए तो वह सही राह पर चल पड़ता है।
जीवन में बदलाव के लिए चार संयम जरूरी हैं
इंद्री संयम, समय संयम, विचार संयम और अर्थ संयम ये चारों संयम यदि जीवन में नहीं हैं तो मुश्किलें खड़ी होती हैं। बिना संयम के कुछ भी संभव नहीं है। परिवार को संयुक्त रखने के लिए घर का वातावरण अच्छा रखना जरूरी है। माता-पिता पूजन करते हैं तो बच्चें भी सीखतें हैं। यानी बड़े जैसा करेंगे उनकी अगली पीढ़ी भी वैसा ही करेगी।