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BHOPAL. साल 2015 में पाकिस्तान (Pakistan) से भारत (India) आई मूक बधिर गीता (Geeta) 6 साल बाद अपने परिवार से मिल गई। गीता का असली नाम राधा (radha) है। परिवार महाराष्ट्र के परभणी का रहने वाला है। गीता एक साल पहले अपने परिवार से मिल गई थी। अब गीता ने अपनी मां के साथ सार्वजनिक रूप से सामने आकर उसकी मदद करने वालों का धन्यवाद दिया। मंगलवार को गीता रेल पुलिस मुख्यालय (Rail Police Headquarters) पहुंची। गीता और उसके परिवार ने खास तौर पर रेलवे पुलिस को धन्यवाद दिया। साइन लेंग्वेज में उसने बताया कि परिवार को ढूंढ़ने में जीआरपी (GRP) के अधिकारियों ने उसकी बहुत मदद की।
पेट के ऊपर के निशान से हुई पहचान
गीता की मां ने बताया कि उसका असली नाम राधा हैं। पाकिस्तान में उसे गीता नाम मिला था। परिजन ने एक निशान के जरिए गीता की पहचान की। गीता की दादी को याद था कि उसके पेट के ऊपर जन्म से एक निशान हैं। महिला कांस्टेबल की मदद से तफ्तीश में उनका दावा सच निकला। 1999 में गीता नांदेड-अमृतसर ट्रेन में बैंठ गई थी। अमृतसर से उसे समझौता एक्सप्रेस में बैठा दिया गया था।। जिसके कारण वो पाकिस्तान पहुंच गई थी।
गीता के साथ उसकी मां और बहन भी पहुंची भोपाल
गीता की मां मीना पंडारे (Meena Pandare) और बहन पूजा बंसाडे के साथ मंगलवार को भदभदा स्थित रेलवे पुलिस मुख्यालय पहुंची। यहां उन्होंने परिवार से मिलाने में मदद करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं का धन्यवाद दिया। गीता का परिवार मार्च 2021 में ही मिल गया था, लेकिन गीता की मां के पैर का ऑपरेशन हुआ था और वह सभी का धन्यवाद करने मां के साथ आना चाहती थी। इसलिए अब सार्वजनिक रूप से सभी का धन्यवाद देने का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
पाकिस्तान में मिला गीता नाम
8 साल की उम्र में गीता लौहार पहुंच गई। जहां पाकिस्तानी पुलिस ने गीता को ईदी संस्था को सौप दिया। उसके मुक बधिर होने का पता चलने के बाद उसे कराची की संस्था में शिफ्ट किया गया। जहां गीता का पहले नाम फातिमा रखा गया। लेकिन उसके पूजा पाठ को देखकर समझ में आया कि वह हिंदू धर्म से है, इसके बाद बाद उसका नाम गीता रखा गया। अब उसकी मां ने बताया कि गीता का असली नाम राधा है।
घर के पास रेलवे स्टेशन और अस्पताल
इंदौर की आनंद संस्था के ज्ञानेंद्र पुरोहित (Gyanendra Purohit) ने बताया कि गीता को 2015 में पाकिस्तान से भारत लाया गया। उससे साइन लैंग्वेज में बताया कि उसके घर के पास रेलवे स्टेशन और मेटरनिटी होम है। वहां गन्ने की खेती होती है। रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में डीजल का इंजन लगता है। पुरोहित ने बताया कि इसके बाद जीआरपी से मदद मांगी गई। जिसके बाद जीआरपी ने पोस्टर छपवाए गए।
टीचर बनना चाहती है गीता, अभी शादी नहीं करनी
वर्षों बाद परिवार के साथ रह रही गीता अब लैंग्वेज टीचर बनना चाहती है। फिलहाल शादी करने का कोई इरादा नहीं है। गीता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। लिहाजा वो घर का सहारा बनना चाहती है। महाराष्ट्र सरकार से अभी तक उसके परिवार को कोई मदद नहीं मिली है।