खरगोन के दंगाइयों से वसूली करने के लिए सरकार ने ट्रिब्यूनल का कार्यकाल 3 महीने बढ़ाया

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Rahul Garhwal
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खरगोन के दंगाइयों से वसूली करने के लिए सरकार ने ट्रिब्यूनल का कार्यकाल 3 महीने बढ़ाया

BHOPAL. खरगोन में रामनवमी पर 10 अप्रैल को हुए साम्प्रदायिक दंगों से सरकारी और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की वसूली के लिए गठित ट्रिब्यूनल का कार्यकाल एक बार फिर 3 महीने के लिए बढ़ा दिया है। ट्रिब्यूनल का कार्यकाल 26 अक्टूबर 2022 को खत्म हो गया था जिसे 26 जनवरी 2023 तक बढ़ा दिया गया है। सरकार ने दंगाईयों से नुकसान की वसूली के लिए लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसान की वसूली कानून बनाया है। इस कानून के अनुसार क्लेम ट्रिब्यूनल को यथासंभव 3 महीने में ही दंगाइयों से हुए नुकसान की वसूली का फैसला सुनाना है, लेकिन विशेष परिस्थिति में ट्रिब्यूनल का कार्यकाल बढ़ाए जाने का प्रावधान भी दिया गया है। कानून बनने के बाद ये पहला ट्रिब्यूनल है जो खरगोन दंगे में हुए नुकसान की वसूली कर रहा है।





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क्लेम ट्रिब्यूनल में दर्ज हुए हैं 350 केस





दंगाइयों से लोक और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली के लिए गठित क्लेम ट्रिब्यूनल में लगभग 350 प्रकरण रजिस्टर हुए हैं। ट्रिब्यूनल पिछले 6 महीने से इन मामलों की सुनवाई कर रहा है। ट्रिब्यूनल के सामने परेशानी ये है कि अब तक कुल 350 में से सिर्फ 35 प्रकरणों में आरोपियों का पता चला है, शेष 315 प्रकरणों में आरोपी कौन है इसकी जानकारी ट्रिब्यूनल के पास नहीं है। जो आरोपी मिले हैं ट्रिब्यूनल ने उन्हें नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। उनका पक्ष सुनने के बाद ​ट्रिब्यूनल अपना फैसला सुनाएगा। कुछ आरोपी जेल में है तो उन्हें जेल में नोटिस भेजे गए हैं। इन आरोपियों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग से की जाएगी।





दूसरी बार बढ़ाया गया ट्रिब्यूनल का कार्यकाल





सुनवाई में समय लगने के कारण सरकार ने ट्रिब्यूनल का कार्यकाल दूसरी बार 3 माह के लिए बढ़ाया है। अब ट्रिब्यूनल को जनवरी 2023 त​क अपना फैसला सुनाना होगा। अप्रैल में दंगे होने के बाद सरकार ने मई में 3 महीने के लिए ट्रिब्यूनल गठित किया था। इसके बाद दूसरी बार कार्यकाल अगस्त में 3 महीने के लिए बढ़ाया गया था जोकि अक्टूबर 2022 को समाप्त हो रहा है।





दोगुना तक वसूली करने का सुना सकते हैं फैसला





निजी संपत्ति के नुकसान पर संपत्ति मालिक या संपत्ति का नियंत्रणकर्ता 30 दिन के भीतर आवेदन कर सकता है। क्लेम ट्रिब्यूनल को हर्जाना/मुआवजे का निर्धारण यथासंभव आवेदन करने के 3 महीने में करना आवश्यक होता है। विशेष परिस्थितियों में ये समय सीमा बढ़ाई जा सकती है। ट्रिब्यूनल नुकसान के 2 गुना तक अवॉर्ड पारित कर सकता है। ट्रिब्यूनल कलेक्ट्रेट में हर सोमवार, मंगलवार और बुधवार को सुनवाई करती है।





ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद क्या ?





ट्रिब्यूनल के अवॉर्ड पारित (नुकसान वसूली) करने के 15 दिन में भुगतान नहीं होने पर ब्याज और आवेदनकर्ता को क्लेम में प्रकरण में हुए खर्चे की वसूली के आदेश देने के अधिकार हैं। 15 दिन में राशि जमा नहीं होने पर ट्रिब्यूनल कलेक्टर को बकाया की वसूली के लिए संबंधितों की चल-अचल संपत्ति की कुर्की और नीलामी के लिए प्रमाण-पत्र जारी कर सकते हैं। हालांकि इस अधिनियम से पुलिस की कार्रवाई बाधित नहीं होगी।





हाईकोर्ट में दी जा सकती है चुनौती





मध्यप्रदेश लोक व निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण और नुकसान की वसूली कानून के अनुसार ट्रिब्यूनल को सिविल कोर्ट के अधिकार मिले हैं। क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश को केवल हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है।



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