GUNA. जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) ने फिर आंदोलन छेड़ा है। बीते दिनों गुना जिले के बमोरी इलाके के धनोरिया गांव में खेत पर काम करने गई आदिवासी महिला (सहरिया समुदाय) रामप्यारी बाई को दबंगों ने डीजल डालकर आग लगा दी थी। भोपाल में इलाज के दौरान 7 जुलाई को रामप्यारी की मौत हो गई। पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था। अब जयस ने 24 जुलाई को सभा कर आरोपियों को फांसी की सजा की मांग की। गोपालपुरा स्थित दशहरा मैदान में प्रदेश के कई जिलों से आए नेता जुटे। आंदोलन को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया।
सभा में राघौगढ़ से विधायक जयवर्धन सिंह, कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा भी पहुंचे। बारिश के बीच भी आंदोलनकारियों ने जयस और कांग्रेस नेताओं को सुना। अंत में निर्णय लिया गया कि प्रदेशभर में आदिवासी इन घटनाओं के विरोध में आंदोलन किया जाएगा और बीजेपी सरकार के खिलाफ लामबंदी की जाएगी।
ये बोले नेता
कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने शिवराज सरकार के कुशासन में जमीन के लिए आदिवासी सहरिया समुदाय की हत्या को लेकर चिंता जताई। सरकार को चेतावनी दी कि ये मामला विधानसभा में उठाया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरते हुए कहा कि मामू के राज में आदिवासियों को पूरा सम्मान नहीं दिया जा रहा, उन्हें लगातार परेशान और प्रताड़ित किया जा रहा है।
आंदोलन में नेताओं को सुनने के लिए हजारों लोग जमीन पर बैठे नजर आए। आंदोलन की खासियत यह थी कि यहां कोई कुर्सी, कोई दरी नहीं बिछाई गई थी। आंदोलनकारी सीधे एक-दूसरे से रूबरू थे। आंदोलन में आदिवासी समुदाय से कई युवा पारंपरिक वेश-भूषा और तीर-कमान लेकर पहुंचे।
SDM ने दबंगों के कब्जे से मुक्त कराई थी जमीन
एसडीएम वीरेंद्र बघेल के मुताबिक, 6 मई 2022 को दबंगों के कब्जे से 6 बीघा जमीन मुक्त कराकर अर्जुन सहरिया (रामप्यारी का पति) को दिलाई थी। इस दौरान तहसीलदार ने 6 बीघा खेत में ट्रैक्टर भी चलाया था। दबंगों ने तहसीलदार के सामने हंगामा किया था, लेकिन पुलिस के पहरे में सहरिया परिवार को जमीन पर कब्जा दिला दिया गया था। अर्जुन का कहना था कि उसकी गेहूं की फसल भी दबंगों ने काट ली थी, लेकिन पुलिस से लेकर राजस्व विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
गुना में पहले भी सामने आई थी ऐसी घटनाएं
गुना के बमोरी क्षेत्र में इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी है, जिनमें दबंग, सहरिया आदिवासियों पर अत्याचार करते है। वहीं, रामप्यारी के हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय एकता महिला मंच समूह पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचा था।