पीएम की अगवानी के लिए न ग्वालियर की मेयर को बुलाया और न कराहल की आदिवासी जनपद अध्यक्ष को, दोनों कांग्रेसी

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Dev Shrimali
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पीएम की अगवानी के लिए न ग्वालियर की मेयर को बुलाया और न कराहल की आदिवासी जनपद अध्यक्ष को, दोनों कांग्रेसी

GWALIOR. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्वालियर और श्योपुर  जिले की यात्रा में प्रोटोकॉल को लेकर अब मध्य प्रदेश सरकार कांग्रेस तथा अन्य लोगों के निशाने पर आ गयी है। मोदी की एयरपोर्ट पर अगवानी करने के लिए आमंत्रित करने वालों की सूची में जिला प्रशासन द्वारा नगर की प्रथम नागरिक ग्वालियर की महापौर को ही शामिल नहीं किया गया।  ऐसा पहली बार हुआ है जब पीएम या राष्ट्रपति सरकारी दौरे पर आये हों और उनकी अगवानी करने वालों में मेयर मौजूद नहीं रही हो। अब यह मुद्दा सोशल मीडिया पर खूब छाया हुआ है। ऐसा ही श्योपुर जिले में हुआ है। .पीएम का आयोजन कराहल जनपद पंचायत के क्षेत्र में था लेकिन यहाँ की आदिवासी जनपद अध्यक्ष को भी सूची से बाहर रखा गया क्योंकि वह  कांग्रेस से हैं। 



आज मेयर को नहीं  बुलाया 



ग्वालियर में  राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री आदि अति विशिष्ठ लोगों के दौरे होते रहते हैं। अगर यह लोग शासकीय दौरे पर आते हैं तो हमेशा नगर के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले महापौर को एयरपोर्ट पर अगवानी करने वाले गणमान्य नागरिकों की सूची में शामिल रखा जाता है लेकिन इस बार शासन - प्रशासन ने इस परम्परा की धज्जियां उड़ा दीं। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्योपुर जाने के लिए ट्रांजिट विजिट पर सुबह ग्वालियर पहुंचे। एयरफोर्स स्टेशन पर उनकी अगवानी और विदाई करने के लिए आधिकारिक लोगों की सूची तैयार की उसमें मेयर का नाम ही नहीं किया गया। 



सिर्फ दस लोगों के नाम थे 



एयरफोर्स में अगवानी करने के लिए हवाई पट्टी तक जाने के लिए केवल दस लोगों की सूची एयरफोर्स गेट पर दी गयी थी।  बताते है कि यह सूची जिला प्रशासन ने बीजेपी नेताओं से चर्चा के बाद तैयार की थी,जिसे पहले पीएमओ भेजा गया और वहां से एप्रूव्ड होकर आने के बाद एयरफोर्स अधिकारियों को सौंपी गयी जिसके आधार पर पीएम की अगवानी करने वालों को कतारबद्ध होना था।  इस सूची में पांच नेताओं के नाम थे और पांच अफसरों के थे। जिन्होंने  अगवानी की उनमें राज्यपाल मंगू भाई पटेल के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ,पीएम की अगवानी के लिए घोषित किये गए मिनिस्टर नई वेटिंग  गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ,प्रदेश के जल संसाधन मंत्री और ग्वालियर के प्रभारी तुलसीराम सिलावट,बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद जयभान सिंह पवैया और बीजेपी के शहर जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी शामिल थे।  इस सूची में एक नाम बीजेपी की अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का भी था लेकिन वे एयरपोर्ट पहुंचे ही नहीं। इनके अलावा कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह,एसपी अमित सांघी ,प्रदेश के मुख्य सचिव  इकबाल सिंह बैंस और डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना शामिल थे। लेकिन प्रशासन की तरफ से महापौर श्रीमती शोभा सतीश सिकरवार को अगवानी के लिए पहुंचने हेतु निमंत्रण नहीं दिया गया।   



कांग्रेस बोली यह हार की खीज और ग्वालियर की जनता का अपमान 



इस मामले पर कांग्रेस ने सियासत शुरू कर दी है। कांग्रेस के  जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने इसे संवैधानिक परम्पराओं का उल्लंघन और महापौर का अपमान बताया। डॉ शर्मा ने कहा कि बीजेपी ने विकास योजनाओं का तो राजनीतिकरण कर ही दिया है  लेकिन अब पीएम के दौरे में मेयर को न बुलाकर ग्वालियर की जनता का भी अपमान किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह राष्ट्रपति देश के और राज्यपाल प्रदेश के प्रथम नागरिक होते हैं वैसे ही महापौर शहर की प्रथम नागरिक है। पीएम के दौरे में मेयर को न बुलाकर संवैधानिक परंपराओं का उल्लंघन  किया है , जनता और कांग्रेस इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगी और जनता आने वाले समय में इसका जवाब देगी। यह मामला सोशल मीडिया पर भी खूब ट्रेंड हो रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि 57 साल बाद मेयर पद पर बीजेपी को मिली करारी हार और कांग्रेस की जीत से बीजेपी में स्थाई सिहरन हो रही है और इस हार के दंश में वे लोकतान्त्रिक मूल्यों को भी भूल जाते है जबकि उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि उनके इन्हीं तरह के कर्मों के कारण तो यह करारी हार मिली थी लेकिन वे अब भी नहीं सुधर रहे तो जनता जल्द ही उनके लिए आगे के रास्ते भी बंद करने वाली है। 



श्योपुर में भी यही हाल



अगवानी के लिए सूची बनाने में प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप श्योपुर जिले में भी लग रहा है।  प्रधानमंत्री मोदी का मुख्य कार्यक्रम इसी जिले में था। उन्होंने  कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया  से आये चीतों को बाड़े में छोड़ा जबकि कराहल में स्व सहायता समूहों की महिलाओं के सम्मेलन  को सम्बोधित किया। यह दोनों ही आयोजन कराहल जनपद पंचायत क्षेत्र में आयोजित किये गए  थे।  इस जनपद पंचायत की अध्यक्ष एक आदिवासी महिला श्रीमती पट्टो बाई है। वे भी पीएम की अगवानी के आमंत्रण का इंतज़ार करती रही लेकिन उन्हें बुलाया ही नहीं गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राम निवास रावत ने कहाकि उन्हें भी इसलिए नहीं बुलाया गया क्योंकि बीजेपी के सारे षड्यंत्रों के बावजूद कांग्रेस की इस आदिवासी नेता ने जनपद अध्यक्ष पद पर जीत हासिल कर ली थी। 



दो दिन पहले मेयर मंच छोड़कर चलीं गयीं थी 



यह पहला मौक़ा नहीं है जब बीजेपी और प्रशासन मेयर का अपमान किया गया हो है। दो रोज  पहले केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी यहाँ विकास कार्यों का भूमिपूजन और उदघाटन करने आये थे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र तोमर ,केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के अनेक मंत्री मौजूद थे। इसमें मेयर डॉ शोभा सतीश सिकरवार का नाम भी अतिथि के रूप में निमंत्रण पत्र पर अंकित था। वे वहां गयीं भी और कुछ  देर मंच पर बैठी भी लेकिन असहज होकर बीच कार्यक्रम में ही वहां से उठकर चली आयी। बाद में मीडिया द्वारा उनके बीच में चले आने की वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मंच पर मेयर के बैठने की चेयर गरिमा के खिलाफ एकदम कोने पर लगाई गई थी ,हालाँकि तब भी मैं बैठी रही लेकिन जब शासकीय आयोजन में हमारी पार्टी के नेता कमलनाथ की आलोचना शुरू कर दी गयी तो उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए मैं वहां से उठाकर चली आयी। शासकीय आयोजनों को किसी पार्टी का आयोजन बनाना तो लोकतंत्र का मखौल और छोटे दिल के होने का ही प्रमाण देता है


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