देव श्रीमाली, Gwalior. यहां अंतिम संस्कार करने के बाद एक व्यक्ति के घर लौटने का मामला सामने आया है। 26 दिन पहले जिस शव की रोहित समझकर कुशवाह परिवार ने अंत्येष्टि कर दी थी, वह रोहित नहीं, अजय कुशवाह था। 4 मई को पुलिस को महाराज बाड़ा के पार्क में एक विकलांग युवक की लाश मिली थी। पुलिस ने शव को बरामद कर पोस्टमॉर्टम हॉउस में रखवाया। इसी बीच रोहित कुशवाह लापता हो गया। रोहित का एक हाथ खराब था और मृतक भी एक हाथ से दिव्यांग था, एक जैसी कद काठी होने की वजह से परिजन उलझन में पड़ गए और अजय को रोहित समझकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। इसी दौरान जब परिवार अस्थियां लेकर आ रहा था, तब रोहित घर पहुंच गया। परिजन तब दंग रह गए, जब उन्हें पता लगा कि उन्होंने किसी और व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर दिया।
ऐसे हुई शव की शिनाख्त
अजय कुशवाह मजदूरी करने के लिए निकला था और घर नहीं लौटा। 30 मई को शाम को जब मृतक का भांजा कोतवाली थाने पहुंचा। भांजे ने फोटो से अपने मामा को पहचान लिया तो पिछले कई दिनों से परेशान पुलिस ने राहत की सांस ली। उसकी मौत की खबर से 30 मई को सिकंदर कंपू के रहने वाले कुशवाह परिवार में मातम छा गया, परिजन का रो-रोकर बुरा हाल था। अजय की अस्थियां पुलिस के ही पास थीं। अजय का परिवार उसका अंतिम संस्कार तो नहीं कर पाया, लेकिन अब अस्थि विसर्जन करेगा। शिंदे की छावनी में रहने वाले कुशवाह परिवार ने अजय का अंतिम संस्कार रोहित मानकर कर दिया था। उसकी शिनाख्त मौत के करीब 26 दिन बाद अजय के रूप में हुई।
कई दिन तक घर नहीं आता था अजय
अजय को शराब पीने की लत थी, इसके चलते अक्सर उसके घर पर झगड़ा होता था। लड़ाई होने के कारण अजय कई-कई दिन तक घर नहीं आता था। घरवालों ने करीब 20 दिन तक अजय का इंतजार किया, जब वह नहीं लौटा तो अजय की पत्नी कमलेश ने अपने भांजे को उसे तलाशने भेजा। थाने में उसका भांजा पहुंचा तो उसने अजय की पहचान की।