ग्वालियर: जीवाजी यूनिवर्सिटी में एग्जाम सिर पर, लेकिन आंसर शीट का टोटा

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Atul Tiwari
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ग्वालियर: जीवाजी यूनिवर्सिटी में एग्जाम सिर पर, लेकिन आंसर शीट का टोटा

देव श्रीमाली, Gwalior. परीक्षा का मौसम चल रहा हो और यूनिवर्सिटी को पता चले कि अरे, हम तो आंसर शीट खरीदना ही भूल गए। जाहिर है, ये पता चलने पर अधिकारियों के हाथ-पांव फूल जाएंगे। जीवाजी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों इस समय यही हाल है। वे समय पर कॉपी का ऑर्डर देना ही भूल गए। अब चिंता सता रही है कि कहीं बीच परीक्षा में कॉपियों का टोटा न पड़ जाए।



जीवाजी यूनिवर्सिटी पढ़ाई की जगह अन्य बातों के लिए भी चर्चा में रहती है। भ्रष्टाचार को लेकर यहां छात्र आंदोलन, तोड़फोड़ होती रहती है। कैंपस में अपराधियों के प्रोफेसर को पीटने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इन सबके चलते पढ़ाई, शोध, परीक्षाएं समय पर कराना और इनके नतीजे घोषित कर सही मार्कशीट देने से ही अधिकारियों को फुर्सत नहीं मिल पाती। लेकिन इस बार उनकी व्यस्तता की सभी सीमाएं ही टूट गई कि अफसर परीक्षाएं कराने के लिए आंसर शीट खरीदने के टेंडर करना ही भूल गए।

 

पता चला तो मचा हड़कंप



जब इस बात की जानकारी परीक्षा विभाग ने ऊपर तक पहुंचाई। पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब परीक्षार्थियों की संख्या और आंसर शीट की संख्या का तुलनात्मक सत्यापन हुआ तो पता चला कि पर्याप्त कॉपियां तो हैं ही नहीं। परीक्षा के बीच कॉपियों का संकट खड़ा होने से हड़कंप मचा। अफसर जिम्मेदारी एक-दूसरे के सिर डालने में जुट गए।



कमी छिपाने के लिए निकाले टेंडर



ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाओं के बीच मे लटकने की आशंका से डरे यूनिवर्सिटी के अफसरों ने सक्रियता दिखाए और आनन-फानन में ही आंसर शीट खरीदने का टेंडर निकाला गया। साथ ही, आंसर शीट की संख्या की समय पर जानकारी ना देने वालों को नोटिस दिए गए है। यानी सारा दोष बाबुओं पर थोपने की कोशिश शुरू हो गई है।



दिसंबर में होनी थी खरीद



सूत्रों के मुताबिक, आमतौर पर यूनिवर्सिटी में परीक्षा की तैयारियां दिसंबर से ही शुरू हो जाती है, ताकि मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं कराई जा सकें। इस दौरान कुछ पीजी कोर्स की परीक्षाएं भी होती है। इससे पहले कॉपी खरीदी और पेपर तैयार करवाने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, लेकिन इस बार दिसंबर और जनवरी में कॉपी खरीदी नहीं हो सकी। परीक्षा विभाग के जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। 



हालांकि रजिस्ट्रार कह रहे है कि उनके पास अभी के लिए आंसर शीट का पर्याप्त स्टॉक है और खरीदी के टेंडर भी जारी हो गए हैं। सूत्र बताते है कि स्टोर में ढाई लाख कॉपियां हैं, लेकिन परीक्षा में इससे दोगुने स्टूडेंट बैठने वाले हैं। ऐसे में सवाल यह है कि जीवाजी यूनिवर्सिटी इतनी जल्दी इन कॉपियों की पूर्ति कैसे करेगा?



4 करोड़ की उत्तर पुस्तिकाएं खरीदनी हैं



आनन-फानन में जीवाजी यूनिवर्सिटी ने आंसर शीट की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। 4 करोड़ रुपए की कॉपियां खरीदी जानी हैं। इसके टेंडर में एक महीने लगेगा। इसी बीच अगर कॉपियां खत्म हो गईं, तो परीक्षा पर संकट आ सकता है। यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार सुशीला मंडेरिया का कहना है कि परीक्षा की कॉपी की सूचना देने की संबंध में देरी की गई। संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जीवाजी यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 500 से ज्यादा कॉलेजों में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की परीक्षाएं चलेंगी। 


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