Jabalpur. जबलपुर हाईकोर्ट ने दुष्कर्म और एससी एसटी एक्ट के मामले में आरोपी आरक्षक अजय साहू के DNA सैंपल से छेड़छाड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त आदेश दिया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने जबलपुर एडीजीपी उमेश जोगा और छिंदवाड़ा एसपी विवेक अग्रवाल और सिविल सर्जन शेखर सुराना को हटाने के आदेश दिए हैं। उनका ट्रांसफर दूर-दराज के इलाकों में करने के आदेश दिए हैं जिससे वे गवाहों को प्रभावित न कर सकें।
हाईकोर्ट ने खारिज की आरोपी की जमानत याचिका
हाईकोर्ट ने राज्य स्तरीय विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी को जांच के निर्देश दिए हैं। जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने रजिस्ट्रार से DNA से जुड़ी दो जांच रिपोर्ट के साथ आदेश की कॉपी कमेटी को भेजने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है।
हाईकोर्ट की पुलिस पर टिप्पणी
रेप केस में जबलपुर रेंज एडीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल 2022 को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में कोर्ट को पता चला कि सिविल सर्जन शेखर सुराना ने हाईकोर्ट को गलत जानकारी दी। वहीं ADGP ने बिना विचार किए उस पर हस्ताक्षर कर दिए। एक स्टाफ नर्स के बयान भी दर्ज नहीं किए गए थे। हाईकोर्ट ने कहा उच्च अधिकारियों ने पुलिस आरक्षक को बचाने की कोशिश की है, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
मामले में ADGP, SP और सिविल सर्जन की भूमिका संदिग्ध
हाईकोर्ट का कहना है कि पूरे मामले में जबलपुर ADGP, छिंदवाड़ा एसपी और सिविल सर्जन की भूमिका संदिग्ध है। इनके आचरण की जांच के लिए केस CBI को सौंपना था, क्योंकि संबंधित अधिकारी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। सैंपल की दोबारा जांच नहीं हो सकती। इसलिए इन अधिकारियों का मध्यप्रदेश के दूर-दराज क्षेत्र में ट्रांसफर किया जाएगा जिससे बिना प्रभावित हुए जांच हो सके।