Bhopal. द सूत्र के खास कार्यक्रम साहित्य सूत्र में रिटायर्ड IFS ऑफिसर और लेखक HS पाबला ने अपनी किताब बिसाइड्स लविंग द बीस्ट्स पर चर्चा की। HS पाबला वाइल्ड लाइफ पर 3 किताबें पहले ही लिख चुके हैं। बिसाइड्स लविंग द बीस्ट्स उनकी चौथी किताब है जो वाइल्ड लाइफ पर ही आधारित है। इसमें उन्होंने तीन अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे हैं। पहला केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट, दूसरा एशियाटिक लायंस और चौथा फॉरेस्ट फायर।
केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट
HS पाबला बताते हैं कि वे केन बेतवा प्रोजेक्ट को 40-45 साल से देखते आ रहे हैं। पहले ये किसी दूसरे नाम से था। पन्ना नेशनल पार्क के अंदर ये डैम बनने वाला था। इसमें जितने सेफ गार्ड और सपोर्ट की बात हो रही है, अगर उतना दे पा रहे हैं तो नेशनल पार्क का कुछ एरिया डूब में जाने से परेशानी नहीं है।
एशियाटिक लायंस
HS पाबला कहते हैं कि उनकी किताब बिसाइड्स लविंग द बीस्ट्स सॉल्युशन से भरी हुई है। पिछली किताब में सवाल थे इस किताब में समाधान हैं। गुजरात में एशियाटिक लायंस की संख्या 1200-1500 होगी। गिर का जंगल लायंस से भर चुका है। आप सोच सकते हैं जिन गांव में लायंस रहते हैं उस गांव के लोगों का क्या हाल होता होगा। पाबला ने कहा कि गुजरात में लायंस का भविष्य नहीं है। पाबला कहते हैं कि मध्यप्रदेश में लायंस लाने चाहिए। गुजरात के लायंस देश की दूसरी जगहों पर भी भेजने चाहिए।
फॉरेस्ट फायर
जंगलों की आग को लेकर HS पाबला का कहना है कि भारत में फॉरेस्ट फायर को लेकर बेहद कमजोर अप्रोच है। हम सिर्फ जंगल की आग को एक आपदा मानते हैं। आग हमारे ईको सिस्टम का आधार है। हम चाहें भी तो जंगल की आग को रोक नहीं सकते। ज्यादातर देशों में प्राकृतिक आग को बढ़ावा दिया जाता है क्योंकि ये जरूरी होती है। वहीं इंसानों की लगाई आग को किसी भी कीमत पर बुझाने की कोशिश की जाती है।