भोपाल. अत्याधुनिक तरीके से बनकार तैयार हुए, हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj Railway Station) का नाम बदला जा सकता है। 2016 में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (private partnership) के तहत रेलवे ने हबीबगंज के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रेक्ट किया। मॉडर्नाइजेशन (Modernization) प्रोजेक्ट के बाद जुलाई 2021 में हबीबगंज स्टेशन बनकर तैयार हो गया। स्टेशन को जब से नया रूप दिया गया है। तभी से नाम बदलने के संकेत मिल रहे हैं। देश का पहला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज नए रूप में बनकर तैयार है। 15 नवंबर को उद्घाटन होने वाला है। पीएम मोदी (PM Narendra Modi) इसके उद्घाटन के लिए भोपाल आने वाले हैं। जहां वह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। ऐसे में नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा दिया है। राज्य के परिवहन विभाग ने शुक्रवार देर शाम गृह मंत्रालय को एक पत्र भेजा है। वहीं, भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा समेत कई नेता पहले से इसका नाम बदलने की मंशा दिखा चुके हैं। बीजेपी के कई नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस स्टेशन का नामकरण करवाना चाहते हैं।
रानी कमलापति कौन थीं
16वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था। राजा सूरज सिंह के पुत्र निजामशाह से रानी कमलापति (Rani Kamalapati) का विवाह हुआ था, जो गोंड वंशिज थे। रानी कमलापति का जीवन बहादुरी का प्रतीक है। उन्होंने वीरता से आक्रमणकारियों का सामना किया था। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम गोंड रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के रूप में किए जाने का निर्णय लिया है। भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाये जाने को निर्णय लिया है। इसीलिए सरकार हबीबगंज का नाम आदिवासियों की रानी कमलापति के नाम पर करना चाहती हैं।
हबीबगंज रेलवे स्टेशन का इतिहास
हबीबगंज रेलवे स्टेशन भोपाल में ही स्थित है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। 1979 में इसका विस्तार कर हबीबगंज नाम रखा गया था। स्टेशन का नाम भोपाल के नवाब हबीब मियां के नाम पर है क्योंकि इसके विस्तार के लिए जमीन दान की थी। इसलिए स्टेशन का नाम हबीबगंज पड़ा है। अब इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में विकसित किया गया है।