भोपाल. मध्य प्रदेश में मॉनसून ने समय से हफ्तेभर पहले दस्तक दे दी थी। आधा सीजन बीत चुका है, लेकिन अभी भी कई जगह स्थिति चिंताजनक है। इंदौर, धार, खरगोन और बड़वानी रेड जोन में आ गए हैं, यहां सूखे जैसे हालात हैं। मालवा के दूसरे जिलों में झमाझम बारिश हो रही है। निमाड़ के इलाके के रेड जोन में आ चुके हैं।
मिला-जुला असर
भोपाल, चंबल, बुंदेलखंड और महाकौशल में बारिश का मिलाजुला असर देखने को मिला। चंबल में जून में पिछड़ने वाले मॉनसून ने रफ्तार पकड़ी है। यहां सामान्य कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। बुंदेलखंड में स्थिति अभी चिंताजनक है। यहां औसत से काफी कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। प्रदेश की बात की जाए तो 1 जून से लेकर 31 जुलाई तक 18 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य कोटे से 1 इंच ज्यादा है।
जून की अपेक्षा जुलाई में दोगुना बारिश
मध्यप्रदेश में जून में करीब 7 इंच बारिश हुई थी, जबकि जुलाई में अब तक 12 इंच बारिश हो चुकी है। हालांकि सामान्य कोटे की बात की जाए, तो जुलाई में कम बारिश होने के कारण यह सामान्य से सिर्फ एक इंच ही ज्यादा है, जबकि जून में सामान्य से 2 इंच से ज्यादा पानी गिरा था।
भोपाल में कम बारिश
भोपाल में जुलाई में सामान्य से कम बारिश हुई। इस महीने करीब 10 दिन पानी गिरा, जबकि औसतन 12 से 13 दिन बारिश होती है। इसके बावजूद भी इस सीजन में 2 इंच ज्यादा बारिश हुई है। जुलाई तक सामान्य बारिश 18 इंच होती है, जबकि अब तक 20 इंच हो चुकी है। जून महीने में औसतन 5 इंच बारिश होती है, जबकि 11 इंच से ज्यादा पानी गिरा।
इंदौर: कोटे से 1 इंच कम बारिश
इंदौर की हालत चिंताजनक है। जून में औसत 6 दिन से दोगुना ज्यादा यानी 15 दिन पानी गिरा, लेकिन कोटे से एक इंच बारिश कम हुई। इसकी मुख्य वजह तेज बारिश नहीं होना रहा। कमोबेश यही स्थिति जुलाई में रही। सामान्य तौर पर 12 दिन की जगह 20 दिन बूंदाबांदी हुई, लेकिन लोगों को राहत नहीं मिली। सामान्य तौर पर 10.5 इंच बारिश होना चाहिए, लेकिन सिर्फ 9.5 इंच पानी ही गिरा। अलीराजपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, धार, इंदौर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन सभी जगह बारिश हुई। इस सीजन सबसे ज्यादा बारिश अलीराजपुर में 424.6 मिमी बारिश हुई। सबसे कम बड़वानी में 223.7 मिमी पानी गिरा। जून से लेकर अब तक इंदौर में 300 मिमी बारिश हुई है, जबकि औसत 385 मिमी है।
जबलपुर: 11 साल में दूसरी बार जुलाई में कम बारिश
11 साल में दूसरी बार ऐसा हो रहा है। जब जुलाई में कम बारिश हुई है। पहले के सालों में जुलाई में 360 से 627 मिमी बारिश हो चुकी है। 2016 में सबसे ज्यादा 627.2 मिमी बारिश हुई थी। इस साल जून में पिछले साल की तुलना में तीन इंच पानी गिरा। इस दौरान 6.5 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई, लेकिन यह औसत से एक इंच कम है। जुलाई की बात की जाए, तो पिछले साल की तुलना में दो इंच ज्यादा पानी गिरा, लेकिन कोटा पूरा नहीं हो पाया। इस बार यह करीब 5.5 इंच कम रह गई।
ग्वालियर: देर से शुरुआत पर औसत से ज्यादा पानी
मॉनसून की जोरदार दस्तक होने के बाद भी ग्वालियर में ज्यादा पानी नहीं गिरा। जुलाई में इसमें रफ्तार पकड़ी। हालत यह है, यहां सामान्य से 3 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। यह बारिश के तीन दिन ज्यादा पानी गिरने के कारण हुआ। ग्वालियर से लगे शिवपुरी, श्योपुर, भिंड, मुरैना और दतिया में भी ठीक-ठाक बारिश हुई है। श्योपुर में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। शनिवार को ही यहां एक दिन में 122 मिमी बारिश हुई।
गुना: सीजन का 50% बरसा
गुना में जून और जुलाई में 22 दिन बारिश हुई। जून में 9 दिन और जुलाई में 14 दिन पानी गिरा। इस सीजन में 20 इंच पानी गिर चुका है, जबकि 2020 में सिर्फ 13 इंच पानी गिरा था। हालांकि सीजन की 50% बारिश का आंकड़ा पूरा हो गया है। सीजन में 40 इंच बारिश होती है।
छिंदवाड़ा: सामान्य से 3 इंच ज्यादा बरसा
छिंदवाड़ा से एंट्री करने वाले मॉनसून ने पिछले साल की अपेक्षा अच्छी बारिश हो चुकी है। जून में 7 इंच तो जुलाई में 6 इंच पानी गिरा। यह सामान्य से 3 इंच ज्यादा है। जिले में मॉनसून सीजन में सामान्य तौर पर 42 इंच पानी गिरता है।