Varanasi. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ताजमहल के तहखाने के 20 कमरों को खोलने की याचिका पर सुनवाई हुई। ताजमहल केस में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, पढ़ाई करें, PHD करें उसके बाद कोर्ट आएं। हाईकोर्ट के जस्टिस ने कहा कि कल आप जजों के चैंबर देखने की मांग करेंगे तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे। आपके मुताबिक इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा।
ताजमहल के 20 कमरों को खोलने की मांग
अयोध्या के बीजेपी मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसमें उन्होंने ताजमहल के तहखाने के 22 कमरों में से 20 को खोलने की मांग की थी। डॉ. रजनीश सिंह ने उन कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जाहिर की थी। उनका कहना था कि ताजमहल के बंद कमरों को खोलकर दुनिया के सामने इसका रहस्य उजाकर करना चाहिए।
'ताजमहल विश्व विरासत, इसे धार्मिक रंग न दें'
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नदीम रिजवी ने ताजमहल को धार्मिक रंग देने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि 300 साल तक ताजमहल के तहखाने और बाकी हिस्से खुले हैं। कई पीढ़ियों ने ताजमहल को देखा है। यहां कोई चिन्ह नहीं हैं। ताजमहल के हिस्से धार्मिक कारणों से नहीं भीड़ और सुरक्षा की वजह से बंद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्मारक के संरक्षण और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए ASI ने पूरे देश में स्मारकों के कुछ हिस्सों को बंद किया है। तहखाना खोलने में कोई हर्ज नहीं है, कोर्ट की निगरानी में वीडियोग्राफी कराई जा सकती है। एक बार वीडियोग्राफी होने पर सारे विवाद खत्म हो जाएंगे।