Jabalpur. लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहे मध्यप्रदेश के पेंशनर्स ने महंगाई भत्ते में समुचित इजाफे को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पेंशनर्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अब राज्य शासन से पूछ है कि राज्य के पेंशनर्स को कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा। जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने इस मामले में सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव के साथ-साथ आयुक्त पेंशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
पेंशनर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश के महामंत्री एचपी उरमलिया ने याचिका दायर कर बताया कि प्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स को जुलाई 2019 से कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल ने दलील दी कि मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ राज्य पुनर्गठन की धारा 49(6) को समाप्त किया जाए। उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त कर्मियों को प्रदेश सरकार हलाकान कर रही है। जिससे पेंशनर्स में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
पहले भी एरियर्स पचा चुकी है सरकार
इससे पहले भी राज्य सरकार पेंशनर्स का कई साल का एरियर्स भी पचा चुकी है। जिसे देने की न तो सरकार की मंशा है और न ही इसका कभी कोई जिक्र किया जाता है। दूसरी तरफ पेंशनर्स लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बोझ समझ लिया है जिस कारण उनकी मांगों को लगातार नजर अंदाज किया जाता है।
पेंशनर्स को मिल रहा आधा महंगाई भत्ता
दरअसल लंबे समय से पेंशनर्स इस बात से खफा हैं कि राज्य के कर्मचारियों की तुलना में उन्हें सरकार करीब-करीब आधा महंगाई भत्ता ही दे रही है। जिसको लेकर उन्होंने किसी तरह तो कोरोना काल काट दिया लेकिन अब पानी सर से ऊपर हो चुका है। दूसरी तरफ पेंशनर्स का यह भी दर्द है कि केंद्रीय कर्मचारियों की तरह राज्य सरकार उन्हें किसी प्रकार की स्वास्थ्य सेवा योजना का लाभ नहीं दे रही है।