न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में हाईकोर्ट सख्त, सरकार से पूछा अफसर आरोपी क्यों नहीं, अगली सुनवाई 1 सितंबर को

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Rajeev Upadhyay
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 न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में हाईकोर्ट सख्त, सरकार से पूछा अफसर आरोपी क्यों नहीं, अगली सुनवाई 1 सितंबर को

Jabalpur. मप्र हाईकोर्ट ने शहर के न्यू लाइफ अस्पताल ( New Life Hospital ) अग्नि दुर्घटना (fire accident ) के मामले पर राज्य सरकार की कार्रवाई पर फिर असंतोष जताया है। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ( Chief Justice Ravi Malimath ) व जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने पूछा कि अस्पताल भवन को उपयुक्त बताने वाले निलंबित चिकित्सक व अन्य को एफआईआर में आरोपी क्यों नही बनाया? कोर्ट ने पुलिस को जांच रिपोर्ट व वस्तुस्थिति सीलबंद लिफ़ाफ़े में पेश करने के निर्देश दिए। संभागायुक्त को भी जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा गया। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यह अंतिम अवसर है। अगली बार भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो स्वतंत्र जांच एजेंसी नियुक्त करने पर विचार होगा। अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मप्र के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर जबलपुर में चल रहे नियम विरुद्ध अस्पतालों का मसला उठाया है। बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह ने शपथपत्र पेश कर घटना दिनांक से वर्तमान तक का सम्पूर्ण घटनाक्रम सिलसिलेवार कोर्ट को बताया।



स्वतंत्र एजेंसी से हो सकती है जांच



बताया गया कि घटना की जांच के लिए संभागायुक्त के नेतृत्व में टीम बनायी गई।  कोर्ट ने पूछा  कि निरीक्षण करने वाले, अस्पताल भवन को उपयुक्त बताने वाले निलंबित चिकित्सक व अन्य को एफ.आई.आर. में आरोपी क्यों नही बनाया गया है ? इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट जबाब नही मिलने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने पूछे गये प्रश्नों पर हमेशा समय मांगने के रवैये पर सख्त एतराज जताया। अंतिम अवसर देते हुए चेतावनी दी कि यदि अगली सुनवाई में कार्यवाहियों के संबंध में संतोषपूर्ण उत्तर नहीं दिया गया तो कोर्ट यह जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने पर निर्णय लेगी।  सरकार की ओर से संभागायुक्त  की जांच अगले कुछ दिनों में पूरी होने का आश्वासन दिया गया। इसे कोर्ट ने रिकार्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई में संभागायुक्त की जांच रिपोर्ट तथा पुलिस द्वारा दर्ज की गयी एफ.आई.आर. से सम्बन्धित समस्त रिपोर्ट बंद लिफ़ाफ़े में पेश करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता एसोसियेशन की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने पैरवी की।



दो डाक्टरों की जमानत अर्जियां निरस्त 



 बारहवें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र प्रताप सिंह चुंडावत की अदालत ने न्यू लाइक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के डा. संतोष सोनी व डा. संजय जैन की जमानत अर्जियां निरस्त कर दीं। अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक अशोक पटेल व अपर लोक अभियोजक संजय वर्मा ने जमानत अर्जियों का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि जबलपुर के चंडाल भाटा क्षेत्र में अस्पताल में आग लगने से आठ लोगों की जान चली गई थी। अग्निकांड लापरवाही का परिणति था। लिहाजा, आवेदकों को जामनत नहीं दी जानी चाहिए। इस तरह के बेहद गंभीर मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। अदालत ने तर्क से सहमत होकर अर्जियां नामंजूर कर दीं।


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