RSS के इतिहास का नहीं हुआ जिक्र, गांधी-नेहरू और आजादी के आंदोलन पर बोले राम माधव

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Shivasheesh Tiwari
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RSS के इतिहास का नहीं हुआ जिक्र, गांधी-नेहरू और आजादी के आंदोलन पर बोले राम माधव

Jabalpur/Rewa. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय समिति के पदाधिकारी राम माधव ने उत्तरप्रदेश-मध्यप्रदेश में चल रहे चर्चित 'बुलडोजर अभियान' को दंडनीति की दृष्टि से समयानुकूल व उचित कहा। राजनीतिक दलों को जातिवाद का संरक्षक बताया। वहीं शहीद अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ां के विचारों को मुसलमानों के लिए एक नजीर के तौर पर रेखांकित किया। जबलपुर के बाद 30 अप्रैल को रीवा के कृष्णा-राजकपूर ऑडिटोरियम में एक घंटे के व्याख्यान में स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए गांधी-नेहरू के योगदान की प्रशंसा करते हुए बार-बार उद्धृत किया लेकिन आश्चर्यजनक यह कि वीर सावरकर का कहीं भी उल्लेख नहीं किया।





आयोजन स्थल की फोटो।





नौसैनिक विद्रोह पर भी बोले





राम माधव ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन और स्वाधीनता प्राप्ति देशवासियों के समिष्टि प्रयासों का प्रतिफल है। इसका श्रेय कोई एक समूह व संगठन कैसे ले सकता है। उन्होंने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज के सैन्य अभियान को स्वतंत्रता के लिए मील का पत्थर बताया। राम माधव ने कहा कि 1944 में आजाद हिन्द फौज ने मणिपुर को अंग्रेजों से मुक्त कराकर तिरंगा फहराया। इसके बाद जो लहर चली उसके फलस्वरूप अंग्रेजों की सेना में विद्रोह शुरू हो गया। मुंबई और कराची का नौसैनिक विद्रोह इसी का परिणाम था। द्वितीय विश्वयुद्ध से हताश व थके ब्रिटेन के सामने भारत को स्वतंत्र करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था।





दर्शक





गांधी परिवार को घेरा





स्वतंत्रता व उसके बाद नेहरू के योगदान का उन्होंने कई बार उल्लेख किया। राम माधव ने कहा कि जिन नेहरू ने 1922 में वकालत त्याग दी थी। उन्हीं ने 1945 में लालकिले ट्रायल में आजाद हिन्द फौज के सेनानियों के पक्ष में पैरवी की। स्वतंत्रता के बाद नेहरू ने कहा कि डेमोक्रेसी इज अवर सेकंड बेस्ट च्वाइस..। हालांकि उन्होंने कहा कि गांधीजी ने मृत्यु से तीन दिन पूर्व कांग्रेस को राजनीतिक संगठन के तौर पर विघटित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे नेहरू ने नहीं स्वीकार किया। उन्होंने कटाक्ष किया कि कांग्रेस के समापन की जो बात तब के गांधी ने कही थी, उसे आज का गांधी परिवार पूरा कर रहा है।





संघ का जातिवाद पर रुख





राम माधव ने भगत सिंह के क्रांतिकारी साथी अशफाकउल्ला का उल्लेख करते हुए कहा कि फांसी दिए जाने के एक दिन पूर्व जेल के एक मुसलमान अफसर ने अफशाक से कहा कि स्वतंत्रता का आन्दोलन तो हिन्दुओं का है। हम मुसलमानों को अंग्रेजों से क्या आपत्ति? इसके जवाब में अशफाकउल्ला ने कहा- भारत मेरी मातृभूमि है। अंग्रेजों की गुलामी बर्दाश्त नहीं.. हिन्दू भाइयों की गुलामी इनसे बेहतर है। राम माधव ने कहा 130 करोड़ देशवासियों को हर भेदभाव जाति, धर्म, संप्रदाय से उठकर राष्ट्रभाव जाग्रत करना होगा। आरएसएस प्रचारक ने कहा आज देश में जो जातिवाद है। उसका पोषण राजनीतिक दल कर रहे हैं। समाज के कार्यव्यवहार में अब जातिवाद समाप्ति की ओर है। राम माधव ने कहा कि हमे मन और आचरण से भी जातिवाद मुक्त होना पड़ेगा।





बुल्डोजर की कार्रवाई पर भी बोले





एक संदर्भ में दंडनीति का उल्लेख करते हुए कहा कि बुल्डोजर चल रहे हैं, वे राजकाज की दृष्टि से उचित है। चाणक्य ने राजदंड की बात की। समाज को भय मुक्त बनाने के लिए ऐसी दंडनीति का उपयोग आवश्यक व उचित ही है। उन्होंने कहा लेकिन इसका तरीका ऐसे होना चाहिए जैसे बिगडैल बच्चे को सही रास्ते में लाने के लिए घर के बड़े बुजुर्ग उसे थप्पड़ मारते हैं.. दुश्मनी भुनाने के लिए नहीं अपितु अनुशासित करने के लिए। एक घंटे के व्याख्यान में राम माधव ने स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया। न ही केशव बलीराम हेडगेवार का नाम लिया और न ही वीर सावरकर का।







 



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