बृजेश पाठक, Sidhi। संजय टाइगर रिजर्व के खोखरा गांव में चार और ठाड़ी पाथर गांव में दो होम स्टे यहां की आदिवासी महिलाओं के लिए आजीविका का जरिया बन गए हैं। देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए यहां आदिवासी शैली में रहने व खानपान की व्यवस्थाएं की गई हैं। महिलाओं ने खुद अपने हाथों से करीब डेढ़ वर्ष में होम स्टे तैयार किए हैं। अब तक छह होम स्टे तैयार हो गए हैं और इनकी बागडोर आदिवासी महिलाएं संभाल रही हैं। इन मकानों में ऊपर कबेलू, तो उसके नीचे पत्ते बिछाकर ऊपर मिट्टी डालकर पटौदा बनाया है। जिससे गर्मी में भी ठंडक रहती है। इन होम स्टे में पिछले एक महीने में 70 से ज्यादा पर्यटक इ सुविधाओं का लाभ ले चुके है। विदेशियों के अलावा स्थानीय पर्यटक भी यहां रुक रहे हैं। एक होम स्टे का किराया एक हजार रुपये एक रात का है। यहां देसी भोजन भी परोसा जाता है जो आदिवासी महिलाएं खुद बनाती हैं। एक दिन के खाने के पांच सौ रुपये लगते हैं।
ऑनलाइन बुकिंग की तैयारी
आदिवासी महिलाओं को अंगिरा मिश्रा ग्राम सुधार समिति ने प्रशिक्षण दिया है। कार्यपालन यंत्री हिमांशु तिवारी पर्यटकों को प्रेरित करने का काम करते हैं। समिति के माध्यम से आनलाइन बुकिंग की तैयारी की जा रही है जिसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा।
पर्यटकों को बघेली व्यंजन
पर्यटकों के लिए आदिवासी महिलाओं द्वारा बघेली व्यंजन तैयार किया जाता है। सभी पकवान लकड़ी और चूल्हे से तैयार किया जाता है।सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम का चाय और नाश्ता पांच सौ रूपये में दिया जाता है। खाने में फुलौरी की कढ़ी, रिकमच, इदहर,दाल पूड़ी, रायता, बगजा सहित कई ऐसे पकवान तैयार किए जाते हैं। खास बात यह है कि यहां बनने वाली सब्जी और पकवान शुद्ध जैविक खाद से तैयार किया जाता है।
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम
पर्यटकों को लुभाने के लिए शाम को स्थानीय आदिवासी कलाकार कर्मा, शैला, तीरंदाज सहित कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस रंगारंग कार्यक्रम में स्थानीय ड्रेस के साथ मोर के पंख पहने होते हैं।
यह संभाल रही होम स्टे की कमान
खोखरा में दइया बाई, कौशल्या सिंह, गुड़िया सिंह और राजकुमारी साकेत सभी एक-एक होम स्टे की कमान संभाल रहीं है। तो वही ठाड़ी पाथर गांव में संध्या सिंह और केशवती होमस्टे को संचालित करती है।