Jabalpur. न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में आग लगने से 8 लोगों की मौत के बाद सीएमएचओ ने इस अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया है। इसके अलावा आधा सैकड़ा अस्पतालों को नोटिस जारी किया है कि वे अपने दस्तावेज दिखाएं। जब तक मापदंड के अनुसार अस्पताल के दस्तावेज नहीं दिखाते, वे नए मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं कर सकते।
अस्पताल अग्नि हादसे को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है। सीएमएचओ डॉक्टर रत्नेश कुरारिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। संयुक्त संचालक जबलपुर संभाग डॉक्टर संजय मिश्रा को सीएमएचओ का प्रभार दिया गया है। जो काम पहले होना था, वो अब हो रहा है। वह भी तब जब आठ घरों में मातम छा गया। न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल का लाइसेंस सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुरारिया ने 2 अगस्त की रात निरस्त कर दिया। इसके अलावा शहर के आधा सैकड़ा अस्पतालों को भी नोटिस जारी करके उन्हें भवन पूर्णता प्रमाण पत्र, नगर निगम से प्राप्त परमानेंट फायर सेफ्टी एनओसी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त एनओसी,3.6 मीटर दमकल वाहन निकलने जगह, अस्पताल में भवन संबंधित दस्तावेज, अग्निशमन से संबंधित दस्तावेज को सीएमएचओ कार्यालय में जमा करने कहा गया है।जिन अस्पतालों के पास ये दस्तावेज नहीं हैं उन्हें कहा गया है कि वे नए मरीजों की भर्ती न करें।
हॉस्पिटल के संचालकों पर गैर इरादतन हत्या और 307 का मामला दर्ज
न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अग्नि कांड से आठ लोगों की मौत के बाद अस्पताल के संचालक डॉ निशांत गुप्ता, डॉ सुरेश पटेल, डॉ संजय पटेल, डॉ संतोष सोनी मैनेजर राम सोनी पर एफआईआर दर्ज की गई है। एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि इन पर गैर इरादतन हत्या और गैर इरादतन हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। मैनेजर को गिरफ्तार किया गया है। दूसरी तरफ इस पूरे मामले में लापरवाही के आरोप झेल रहे सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुररिया ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि उनके नोटिस को निजी अस्पताल हल्के में लेते हैं। कुररिया के इस बयान का हर तरफ विरोध हो रहा है। पूर्व नौकरशाहों ने भी कुररिया के बयान को संवेदनहीन और हास्यास्पद बताया है।
कोविडकाल में खुले अस्पताल
शहर में कोविडकाल से करीब 50-60 अस्पताल शुरू किए गए।जिन्होंने सेफ्टी के मापदंड को पूरा नहीं किया। अजब बात है कि इनको सीएमएचओ के नोटिस की भी परवाह नहीं है। केवल औपचारिकताएं ही चल रही हैं।सीएमएचओ कार्यालय से नोटिस भेजे जाते हैं और कार्रवाई कुछ नहीं होती।
दस्तावेज पूरे नहीं, फिर भी एनओसी
एडवोकेट विशाल बघेल ने द सूत्र से चर्चा में कहा कि जबलपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना काल के समय से धड़ल्ले से अस्पताल खुलवाने का खेल खेला जा रहा है जिसमें समस्त लागू नियमों की की धज्जियाँ उड़ाते हुए अस्पताल के लायसेस जारी किये जा रहे हैं। विशाल बघेल का कहना है की इस संबंध में उनके द्वारा आर.टी.आई. से दस्तावेज प्राप्त कर फर्जी तरीके से नियमों की पूर्ती नही करने वाले अस्पतालों के उदाहरण देते हुए इस फर्जीवाड़े के संबंध में अधिकारियों को शिकायत की गयी थी किन्तु किसी भी अधिकारी द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नही की जाने पर मामला जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया गया है जिस पर सरकार आज दिनांक तक जबाब नही पेश कर पायी है |
जबलपुर में स्थित न्यू लाइफ अस्पताल में हुई आगजनी की घटना के संबंध में कुछ तथ्य :
1. अस्पताल संचालक ने अस्पताल का लायसेंस प्राप्त करने हेतु जो आवेदन जिला मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया था उसमें नियमानुसार बिल्डिंग कम्पलीशन प्रमाण पत्र के स्थान पर एक प्रायवेट लेआउट लगाया गया जिसमें साफ़ स्पष्ट है कि उक्त भवन में अंदर जाने व बाहर आने का सिर्फ एक ही मार्ग उपलब्ध था , उसके बाबजूद सी.एम.एच.ओ. तथा तत्कालीन जांच टीम ने बिल्डिंग का स्वीकृत ले आउट देखे बिना उक्त अस्पताल नियमानुसार बता पंजीयन जारी किया गया |
2. अस्पताल संचालक के पास नियमानुसार भवन में आगजनी की स्थिति में दमकल वाहन के आने-जाने के लिए निर्धारित 3.6 मीटर साईंड स्पेस न होने की दृष्टी से भी अनफिट होने के बाबजूद अस्पताल/नर्सिंग होम का पंजीयन दिया गया है जो कि म.प्र. उपचर्यागृह व रूजोपचार नियम 1997 , मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 एवं नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 भाग-3, भाग- 4 के विपरीत है |
3. निजी अस्पतालों / नर्सिंग होम के पंजीयन के पूर्व आवश्यक समस्त जानकारी की सटीकता की पुष्टि करने एवं स्थल निरीक्षण कर संतुष्ट होने के उपरांत अनुज्ञा जारी करने की जिम्मेदारी सरकार ने जिनके कंधो पर दी है वह सरकार के नियम/ निर्देशों एवं अपने मूल कर्तव्य को विस्मृत कर, उपरोक्त गंभीर अनियमिततायें करते हुए फर्जी अस्पतालों को पंजीयन करने का कार्य कर रहे हैं और शिकायतें होने पर मात्र पंजीयन निरस्त कर मामले को दबाने की कला में माहिर हो चुके हैं और पूरे शहर के नागरिकों की जान खतरे में डालने से नही चूक रहे हैं |
4. उक्त अस्पताल भवन अनफिट होने के बाबजूद अगस्त 2021 में शासन के आदेश पर समस्त अस्पतालों के निरीक्षण करने गठित 6 सदस्य कमेटी द्वारा भी अपनी रिपोर्ट में उक्त अस्पताल द्वारा समस्त नियमों का पालन करना बताया गया है, बिल्डिंग पूर्णता प्रमाण पत्र रिकार्ड में न होने के बावजूद भी “yes” लेख किया जाकर खानापूर्ति की गयी है |
एडवोकेट व अध्यक्ष लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मप्र, विशाल बघेल का कहना है कि इस मामले में अनफिट भवन में अस्पताल लायसेंस जारी करने वाले अधिकारी , नियमानुसार निरीक्षण कर भवन को अस्पताल संचालन हेतु उपयुक्त बताने वाले अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए | जबलपुर जिले में अनफिट भवनों में संचालित अस्पतालों और जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किये जा रहे फर्जीवाड़े के लिए हमारे द्वारा कई शिकायतें करने के बाद कार्यवाही नहीं होने पर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगायी गयी है, जिस पर सरकार से जबाब मांगा गया है।
नगर निगम से नोटिस जारी
फायर सेफ्टी अधीक्षक कुशाग्र ठाकुर ने 13 अस्पतालों को प्रोविजनल एनओसी की मियाद खत्म होने पर नोटिस जारी किए लेकिन कुछ नहीं हुआ।
नोटिस को हल्के में लेते हैं
सीएमएचओ डॉ रत्नेश कुरारिया का कहना है कि दिसम्बर 2020 में न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था। इनको 5 जनवरी 2021को रजिस्ट्रेशन जारी किया था उस वक्त इनके नॉर्म्स पूरे थे। जून 2021 में नया नर्सिंग होम एक्ट बना उसके अनुसार जांच कमेटी से जांच कराई गई,तब वह वैध पाया गया।नगर निगम की फायर सेफ्टी की प्रोवीजनल एनओसी की अवधि इनकी मार्च 2022 में खत्म हो गई।तब दूसरे दिन इनको नोटिस जारी किया गया।अन्य 55 अस्पतालों को भी नोटिस जारी किया गया है। प्रायः अस्पताल सीएमएचओ के नोटिस को हल्के में लेते हैं।
नोटिस को गंभीरता से लेना जरूरी
लोक स्वास्थ्य विभाग में रीजनल डायरेक्टर (रिटायर्ड) रहे डॉ जे एल मिश्रा का कहना है कि सीएमएचओ द्वारा भेजे गए नोटिस को कोई अस्पताल हल्के में नहीं ले सकता।यदि कोई अस्पताल उनके द्वारा भेजे गए नोटिस को नहीं मानता तो उसका लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है।