VIDISHA. शादी या प्यार में एक-दूसरे के साथ जीने और साथ मरने की कसम खाने की बात हमने सुनी है लेकिन ये बहुत ही कम देखने को मिलता है। लेकिन ये बात विदिशा में देखने को मिली जब पति-पत्नी के रूप में एक-दूसरे के साथ जीये और जब अंतिम समय आया तो साथ में इस दुनिया को अलविदा कह गए। वहीं परिजनों ने दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया।
दत्तक पुत्री के इंतजार की वजह से रविवार को करना था कमलादेवी का अंतिम संस्कार
नंदवाना में रहने वाले 87 साल के राधाकिशन महेश्वरी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनकी पत्नी कमलादेवी में सुबह से शाम तक उनकी सेवा करती थीं। शनिवार को कमला देवी की अचानक तबीयत खराब हुई और उन्होंने अपनी देह त्याग दी। उनके अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी। उनकी दत्तक पुत्री के इंतजार की वजह से अंतिम संस्कार रविवार को करना तय हुआ। उनके पति राधाकिशन को पत्नी के निधन की जानकारी नहीं थी। जैसे ही उन्हें जानकारी मिली रविवार तड़के उनकी भी मृत्यु हो गई।
एक साथ संसार को अलविदा कह गए पति-पत्नी
नंदवाना से लेकर मुख्य तिलक चौक मार्ग तक दो अर्थियां एक साथ लाई गईं। इसके बाद ट्रैक्टर-ट्रॉली से श्मशान तक लाया गया। सिर्फ 22 घंटे के अंदर पति-पत्नी ने संसार को अलविदा कह दिया। परिजन ने एक ही चिता पर दोनों का अंतिम संस्कार किया।
हुजूर साहब...मीठा खाओगे क्या..
उन्हें बच्चों की तरह झगड़ते देखा जा सकता था। एक तरफ से आवाज आती हुजूर साहब...मीठा खाओगे क्या.. तो जवाब मिलता अरे जरूर खाऊंगा और जोर से ठहाका लगाते। अपने से मिलने वालों को भी प्रेम और स्नेह की फुहारों से दोनों भिगो देते थे। दोनों की कोई संतान नहीं थी लेकिन एक दसूरे में ही पूर्ण परिवार का भाव लेकर मस्त जीवन जिये जा रहे थे। राधाकिशन हमेशा कहते पहले मैं जाऊंगा तो कमला देवी जी कहती हुजूर साहब...इसमें आपकी नहीं चलेगी पहले मैं जाऊंगी आप पीछे से आना। अभी 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए थे कि साथ-साथ जीने वाले करीब 85 साल के इस दम्पति ने एक एक करके देह त्याग दी।
प्रेम के सशक्त बंधन की कहानी
प्रेम के सशक्त बंधन की यह कहानी है विदिशा के नंदवाना निवासी राधाकिशन माहेश्वरी और कमला देवी माहेश्वरी की। सुबह तक कमला देवी बिल्कुल स्वस्थ थी लेकिन पास में बिस्तर पर लेटे राधाकिशन लंबे समय से बीमार चल रहे थे पिछले कुछ दिनों से तो चलने-फिरने और सुनने-बोलने तक में असमर्थ हो गए थे इतने में भी कमला देवी की आवाज भर उनके लिए प्राण वायु का काम कर रही थी। कोविड हुआ कड़ाके की सर्दी निकली दो बार डॉक्टरों ने जवाब देकर घर भेज दिया लेकिन मानो उनकी सांसें कुछ वजह से बची हुईं थी दूसरी तरफ कमला देवी जी जो उम्र के इस पड़ाव में भी राधाकिशन की पूरी देखभाल करतीं। शनिवार सुबह कमला देवी ने स्नान के बाद राधाकिशन के समीप ही प्राण त्याग दिए लेकिन वे इस बात से अनजान थे उन्हें आभास तक नहीं था कि हुजूर..साहब..कहने वाली उनकी दोस्त जैसी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं रहीं।
56 साल तक विवाह बंधन में रहे
जिसने सुना आश्चर्य में पड़ गया कि काका की तबीयत खराब थी काकी तो अच्छी थीं उन्हें क्या हुआ....तब कुछ करीब के लोगों ने बताया कि ये कमलादेवी की पुण्याई का फल है वे सदैव हर पूजा में यही कामना करतीं कि इनके पहले मैं जाऊं मुझे सुहागन ही बुलाना प्रभु... सुहागन ही अनंत यात्रा पर निकल गई कमला देवी की पार्थिव देह घर में रखी हुई थी जिसका अंतिम संस्कार होना था और दूसरे कमरे में राधाकिशन की सांसें तो चल रही थी पर जैसे उन्हें सब मालूम था कि अब हुजूर साहब की आवाज नहीं आएगी...उन्हें दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम करने वाली उनकी दोस्त जैसी पत्नी अब इस दुनिया में नही है रात भी पूरी नहीं निकली और तड़के 4.30 बजे उन्होंने भी देह त्याग दी। दोनों एक-दूसरे के साथ खूब जिये जी भर जिये और जब इस दुनिया से गए तो एक-दूसरे को इसकी खबर तक नहीं लगी और 56 साल तक विवाह बंधन में रहे अब अनंत यात्रा पर भी एक साथ ही गए।