आरोपी कोर्ट में पेश हो जाए तो उसे कोर्ट की हिरासत माना जाए, सभी जिला न्यायालयों में आदेश की प्रति भेजने के निर्देश

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Rajeev Upadhyay
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आरोपी कोर्ट में पेश हो जाए तो उसे कोर्ट की हिरासत माना जाए, सभी जिला न्यायालयों में आदेश की प्रति भेजने के निर्देश

Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक आदेश में महत्वपूर्ण कानूनी बिंदु को स्पष्ट कर दिया है। इसके तहत व्यवस्था दी गई कि यदि कोई भी आरोपित कोर्ट में पेश हो जाता है तो उसे कोर्ट की हिरासत माना जाएगा। साथ ही उसकी नियमित जमानत अर्जी पर भी गुणदोष के आधार पर सुनवाई भी अनिवार्य हो जाएगी। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने इस आशय का आदेश पारित करते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश जारी कर दिए है कि आदेश की प्रति मध्यप्रदेश के सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायालयों में भेज दी जाए। ताकि राज्य के सभी विचारण न्यायालयों में इसे प्रसारित किया जा सके। 



यह था मामला



रायसेन जिले की सिलवानी नगर पालिका में सफाई निरीक्षक के पद पर कार्यरत चंद्रभान कलोसिया की ओर से सीआरपीसी की धारा 438 के तहत यह अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की गई थी। बहस के दौरान कोर्ट को अवगत कराया गया कि आवेदक के खिलाफ सिलवानी थाने में भादवि की धारा 323,294,354 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया। इस मामले में विवेचना पूरी होने पर उसे सिलवानी थाने की ओर से चार्जशीट पेश किए जाने का नोटिस मिला। नियत तारीख पर वह अदालत में हाजिर हो गया। उसने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत अर्जी लगाई। लेकिन कोर्ट ने यह कहकर निरस्त कर दी कि वह गिरफ्तार नहीं हुआ था। 



अदालत ने जताई हैरानी 



इस पर सीआरपीसी की धारा 438 के तहत हाईकोर्ट में यह अग्रिम जमानत की अर्जी पेश की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि ऐसे मामलों में निचली अदालतें हाजिर होने पर आरोपी की नियमित जमानत की अर्जी स्वीकार नहीं करती, बल्कि हाजिर होने पर अधिकांश आरोपितों को जेल भेज दिया जाता है। इस पर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। 


मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का फैसला Madhya Pradesh High Court verdict instructions to send a copy of the order to all the district courts If the accused appears he should be treated as the custody of the court आरोपी कोर्ट में पेश हो जाए तो उसे कोर्ट की हिरासत माना जाए सभी जिला न्यायालयों में आदेश की प्रति भेजने के निर्देश